नारायणपुर : धर्मांतरण एक संवेदनशीलता का मुद्दा बना हुआ है. इसी बीच संतों की यात्रा छत्तीसगढ़ के अलग अलग जिलों में शुरू हो चुकी है. यात्रा का मूल उद्देश्य छत्तीसगढ़ में धर्मांतरण मुक्त राज्य बनाने की दिशा में पहल करना है. इसके अलावा धर्म ग्रंथों के अपमान, पूजा पद्धतियों के अपमान, जनसंख्या असंतुलन, लव जिहाद जैसे मुद्दों को लेकर संत समाज भारतवर्ष को हिंदू राष्ट्र घोषित कर इन समस्याओं के समाधान की मांग कर रहा है. साथ ही उदासीन हुए सनातनी हिंदू समाज को जगा कर संगठित करना भी है.
हिंदू स्वाभिमान जागरण संत पदयात्रा : 18 फरवरी महाशिवरात्रि के दिन से यात्रा दंतेवाड़ा के माता दंतेश्वरी मंदिर से शुरू होकर बस्तर क्षेत्र के विभन्न अंचलों ग्रामीण और शहर नगर होते हुए बुधवार को नारायणपुर पहुंची. इस दौरान पूरा नगर एक होकर सर्व सनातनी संतों की पदयात्रा को मूल सनातन धर्म की एकता का संदेश दे रहा था,अभी हिंदू समाज के लोगों ने जगह जगह पुष्प वर्षा कर भव्य स्वागत किया. गायत्री मंदिर नारायणपुर में रात्रि विश्राम के बाद गुरुवार सुबह नारायणपुर से यात्रा कांकेर जिले की ओर बढ़ेगी.
Sant Mahasabha 19 मार्च को रायपुर में संत महासभा का आयोजन
कांकेर की ओर 25 किलोमीटर जाएगी यात्रा: सर्व हिंदू समाज के लोग 25 किलोमीटर कांकेर जिले की ओर यात्रा को लेकर जाएंगे. इसके बाद यात्रा की जिम्मेदारी कांकेर जिले के पदयात्री और हिंदू समाज के लोग के मुताबिक तय होगी. यात्रा आगे बढ़ते हुए 19 मार्च को रायपुर में पहुंचेगी, जहां इसका समापन होगा. नारायण प्रसाद साहू ने बताया कि "अब हिंदू जाति और समाजों में भारत का रहने वाले एक कॉम नहीं है बल्कि हिंदुत्व के नाम से एक होकर राष्ट्र की एकता अखंडता के लिए कृत्य संकल्पित होने के पूरे मूड में आ चुके हैं."
'हिंदुओं का स्वाभिमान जागेगा': संत पदयात्री ने बताया कि "हिंदू स्वाभिमान जागरण जो हिंदू समाज का राष्ट्रीयता के प्रति उदासीनता का भाव आजकल अपने सनातन धर्म के प्रति जो भाव आ गया है, यह पुनः जागृत हो और जब हिंदुओं का स्वाभिमान जागेगा तो भारतवर्ष का उत्थान होगा. साथ ही विश्व पटल पर विश्व गुरु के उच्चतम सिंहासन पर भारत माता विराजमान होंगी. इन्हीं उद्देशों को लेकर यात्रा शुरू की गई है."
नारायणपुर में धर्मांतरण संवेदनशीलता का मुद्दा: संत पदयात्री ने बताया कि "नारायणपुर में धर्मांतरण एक संवेदनशीलता का मुद्दा बन गया है. जो धार्मिक सनातन परंपरा को लेकर समस्याएं हैं धर्म ग्रंथों का अपमान करना, पूजा पद्धति का अपमान करना, जनसंख्या असंतुलन, लव जिहाद, इन सारी बातों को लेकर हम सोचते हैं कि हमारा भारत वर्ष हिंदू राष्ट्र हो. हिंदू राष्ट्र घोषित होते ही इन सभी समस्याओं का समाधान होगा. हम सभी संत और पदयात्री इस यात्रा में निकल पड़े हैं और उदासीन पढ़े सनातन समाज के लोगों को जगा कर संगठित कर रहे हैं."