नारायणपुर: ग्राम पंचायत बावड़ी के आश्रित ग्राम गोंगला में ग्रामीण आंगनबाड़ी केंद्र खोलने की मांग कर रहे हैं. इस गांव में 40 बच्चे हैं. फिलहाल गोंगला गांव से 5 किलोमीटर की दूरी पर बावड़ी में आंगनबाड़ी केंद्र का सहारा है. गांव की गर्भवती महिलाओं और बच्चों को पोषण आहार के लिए जंगल का रास्ता पार कर जाना पड़ता है.
गोंगला गांव में आंगनबाड़ी केंद्र नहीं होने से परेशानी: गोंगला में आंगनबाड़ी केंद्र नहीं होने से गांव की महिलाओं और बच्चों को परेशानी होती है. सबसे बड़ी दिक्कत यह है कि गांव के बच्चे सिर्फ घूमते रहते हैं.आंगनबाड़ी केंद्र नहीं होने के कारण बच्चे इधर उधर घूम रहे हैं. आंगनबाड़ी में मिलने वाले पोषण आहार रेडी टू ईट पैकेट गर्भवती महिलाओं और बच्चों को सही समय पर नहीं मिल पा रहा है.
''गांव में आंगनबाड़ी नहीं है. बच्चे इधर उधर घूमते हैं. बच्चों को जंगल के रास्ते से गांव से दूर दूसरे गांव में बने आंगनबाड़ी केंद्र जाना पड़ता है.'' -मनाय पोटाई, ग्रामीण
गांव की दूसरी महिलाओं ने भी गांव में आंगनबाड़ी केंद्र खोले जाने की मांग की है.
''गांव में आंगनबाड़ी नहीं है. कई बार कलेक्ट्रेट जाकर मांग की गई है.'' -मनकी पोटाई, ग्रामीण
क्या कहते हैं अधिकारी ?: गांव के लोग कई बार अधिकारियों और जनप्रतिनिधियों से भी इस समस्या को लेकर मिल चुके हैं. महिला एवं बाल विकास विभाग के अधिकारी का कहना है कि प्रस्ताव भेजा गया है, लेकिन मंजूरी नहीं मिली है.
''आंगनबाड़ी केंद्र की मांग को लेकर पहले ग्रामीण आए थे. गोंगला गांव में आंगनबाड़ी भवन खोलने के लिए हमने राज्य शासन के माध्यम से केंद्र सरकार को प्रस्ताव भेजा है. जैसे ही हमें स्वीकृति मिलती है, वहां पर नया आंगनबाड़ी भवन खोला जाएगा.'' -रविकांत धुर्वे, महिला एवं बाल विकास विभाग अधिकारी
आंगनबाड़ी केंद्र क्यों खोले जाते हैं ?: आंगनवाड़ी में बच्चों के पोषण आहार, हेल्थ और शिक्षा पर ध्यान दिया जाता है. 6 साल से कम उम्र के बच्चों का टीकाकरण, पोषण आहार, गर्भवती महिलाओं का टीकाकरण, पोषण आहार का ध्यान रखा जाता है. सबसे खास बात यह है कि आंगनबाड़ी में 3-6 साल की उम्र के बच्चों को शिक्षा भी दी जाती है. लेकिन गोंगला गांव में आंगनबाड़ी केंद्र नहीं होने की वजह से यह सभी सुविधाएं नहीं हैं. गांव के बच्चों को कुपोषण से बचाने और प्रायमरी एजुकेशन देने के उद्देश्य से आंगनबाड़ी केंद्र खोला जाता है.