नारायणपुर : धर्मांतरण हिंसा मामले में पिछले छह महीने से 14 आदिवासी जेल में बंद थे. इस मामले के आरोपी आदिवासियों ने गिरफ्तारी के बाद अदालत का दरवाजा खटखटाया था.लेकिन निचली अदालत ने आरोपियों को जमानत देने से इनकार कर दिया.इसके बाद मामला हाईकोर्ट पहुंचा.जहां से सभी आदिवासियों को जमानत दी गई.इस दौरान छह महीने का लंबा वक्त लगा. ये सभी नारायणपुर उपजेल में बंद थे.
जेल से छूटे आदिवासियों का स्वागत : जेल से रिहाई होने की खबर जैसे ही स्थानीय लोगों को लगी.जेल के बाद आदिवासियों के परिजनों और समर्थकों की भीड़ उमड़ पड़ी. पूर्व केंद्रीय मंत्री केदार कश्यप ने आदिवासियों का स्वागत फूल माला पहनाकर किया.महिलाओं ने कैद से छूटे आदिवासियों का तिलक लगाकर स्वागत किया. इस दौरान आदिवासी समाज ने आदिवासियों की संस्कृति,परंपरा और रीति रिवाज बचाने के लिए जेल जाने वाले लोगों के संघर्ष को सराहा.
''आदिवासी समाज की ये बहुत बड़ी जीत है. जिस तरीके से दुर्भावनावश अपने आस्था के केंद्र अपनी संस्कृति परंपरा की लड़ाई लड़ रहे लोगों को जेल भेजा गया. यह पूरे प्रदेश और देश ने देखा है.लंबे समय तक जेल गए लोगों के परिवार ने साथ दिया हिम्मत नहीं हारा. दृढ़ इच्छा शक्ति के साथ लड़ाई जारी रखी.सरकार की मानसिकता कहीं ना कहीं से आदिवासी वर्ग के संस्कृति को खत्म करने और आदिवासियों की आवाज को कुचलना चाहती है.'' केदार कश्यप, पूर्व मंत्री
''मुझे उतना खुशी नहीं है जितना होना चाहिए. अभी भी हमारे कुछ साथी जेल में ही है. हमारी लड़ाई संवैधानिक लड़ाई है विशुद्ध रूप से सामाजिक लड़ाई है इसमें जरूर राजनीतिक रंग देने का प्रयास किया गया. आज समाज जाग चुका है, संवैधानिक रूप लड़ाई लड़ा जाएगा जब तक आदिवासी जीवित है और जब तक पूरा नहीं हो जाता.'' मंगाऊ राम कावडे, जेल से छूटे आदिवासी
आदिवासी समाज के मुताबिक धर्मांतरण के खिलाफ अब समाज उठ खड़ा हुआ है. रीति रिवाजों को बर्बाद करने वाले लोगों को समाज से दूर रखने के लिए आदिवासी समाज संघर्ष करता रहेगा.