नारायणपुर : narayanpur conversion controversy में आदिवासी नेता और BJP District President Rupsai Salam समेत चार लोगों की गिरफ्तारी को लेकर दिन भर प्रदर्शन हुआ. इसमें कोंडागांव-नारायणपुर मुख्य मार्ग में बन्द रहा. पुलिस और जिला प्रशासन की टीम ने ला एंड आर्डर का हवाला देते हुए बीजेपी नेताओं को Benur Police Station एरिया में ही रोक लिया था. जिसके बाद नेताओं ने बेनूर थाने के पास ही सड़क पर विरोध करना शुरु किया. दोपहर दो बजे से सड़क पर बैठे नेताओं ने रात 9 बजे तक विरोध प्रदर्शन किया. इस विरोध में कई बार पुलिस के साथ नेताओं की तीखी बहस भी हुई.
पूर्व मंत्री केदार कश्यप हुए भावुक :सड़क पर विरोध प्रदर्शन करने के दौरान पूर्व मंत्री केदार कश्यप भावुक Kedar Kashyap became emotional on arrest हुए. उनकी आंखों में आंसू आ गए. इस दौरान उन्होंने कहा कि '' रूपसाय सलाम आदिवासी नेता है और जमीन से जुड़ा हुआ नेता है. पुलिस ने उसके साथ बर्बरता पूर्वक व्यवहार किया है. उसकी पगड़ी को छीना गया, डंडे से पीटा गया.'' ऐसा बोलते वक्त केदार कश्यप भावुक हुए.ऐसा पहला मौका होगा जब बस्तर के कद्दावर नेता केदार कश्यप किसी की गिरफ्तारी को लेकर सड़क पर बैठकर रो पड़े. इस घटना का वीडियो सोशल मीडिया में वायरल हो रहा है.
क्या था पूरा मामला : सोमवार को जिले में सर्व आदिवासी समाज के लोग हजारों की संख्या में धर्मांतरण के आक्रोश में मुख्यालय पहुंचे थे. इसमें कई चर्च में तोड़ फोड़ हुई. एसपी के सिर में भी पत्थर से चोट आई. जिसके बाद पुलिस ने जिले के बीजेपी जिलाध्यक्ष आदिवासी नेता रूपसाय सलाम समेत अन्य चार लोगों की गिरफ्तारी की. भाजपा प्रदेश अध्यक्ष अरुण साव ने इस मामले की जांच के लिए एक प्रतिनिधिमंडल का गठन किया था. इस मंडल में सांसद संतोष पांडे, मोहन मंडावी, पूर्व गृहमंत्री ननकीराम कंवर, पूर्व मंत्री महेश गागड़ा, केदार कश्यप समेत विधायक शिवरतन शर्मा शामिल थे.जिसके बाद बीजेपी प्रतिनिधिमंडल नारायणपुर के लिए रवाना हुआ. लेकिन पुलिस और जिला प्रशासन ने माहौल बिगड़ने का अंदेशा जताकर नारायणपुर मुख्यालय से 20 किलोमीटर पहले बेनूर में सभी को रोक लिया.
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कोर्ट छावनी में हुआ था तब्दील : पांच लोगों की गिरफ्तारी के बाद मंगलवार को सभी को न्यायालय लाया गया था.न्यायालय के मुख्य द्वार पर पूरे समय पुलिस का पहरा रहा और नारायणपुर का सीजेएम न्यायालय के आसपास का क्षेत्र पूरी तरह से छावनी में तब्दील हो गया था. पुलिस ने आरोपियों के परिजनों, पत्रकारों और अन्य मामलों में न्यायालय आ रहे पक्षकारों को भी अंदर जाने की इजाजत नहीं दी. इसके बाद जब आरोपियों को रिमांड में जेल भेजा गया,उसके बाद न्यायालय का मुख्य द्वार खोला गया. अन्य प्रकरणों की सुनवाई हुई. परिजनों को नहीं मिलने देने से परिजन काफी आक्रोशित दिखे. बुधवार को जेल में बंद बीजेपी जिलाध्यक्ष और आदिवासी नेता रूपसाय सलाम से उनके परिजन मुलाकात करेंगे.