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तेंदूपत्ता के नकद भुगतान के लिए ग्रामीणों ने कलेक्टर को सौंपा ज्ञापन

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Published : Jul 4, 2020, 3:33 PM IST

तेंदूपत्ता संग्राहकों ने कलेक्टर से नगद भुगतान करने की मांग की है. ग्रामीणों का कहना है कि, लॉकडाउन के कारण यात्री बसें नहीं चल रही हैं, जिसकी वजह से वे बैंक नहीं जा पा रहे हैं. कैश की किल्लत हो रही है, जिसके कारण उन्हें कई परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है.

narayanpur villager
ग्रामीण

नारायणपुर: तेंदूपत्ता संग्राहकों के भुगतान में हो रही देरी और नकद भुगतान करने की मांग को लेकर ग्रामीणों ने मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और वन मंत्री के नाम कलेक्टर को ज्ञापन सौंपा है. ग्रमीणों ने मांग पूरी नहीं होने पर उग्र आंदोलन करने की चेतावनी दी है.

नकद भुगतान को लेकर ग्रामीणों ने सौंपा ज्ञापन

वन बाहुल्य क्षेत्र में वनोपज ग्रामीणों के जीवन यापन का मुख्य साधन है. बस्तर में तेंदूपत्ता को एक बड़ी आमदनी का साधन माना जाता है. तेंदूपत्ता को 'हरा सोना' के नाम से भी जाना जाता है. इसी हरे सोने के खरीदी और बिक्री को लेकर इस बार कई गांव के ग्रामीण काफी परेशान नजर आ रहे हैं.

रकम निकालने में हो रही परेशानी

लॉकडाउन के दौर में तेंदूपत्ता संग्राहकों को उनका पेमेंट अकाउंट में दिया जा रहा है, जिससे उन्हें काफी परेशानी हो रही है. ग्रामीणों का कहना है कि अंदरूनी इलाके में बसे गांवों के कई हितग्राहियों के पास बैंक खाता नहीं है, जिससे उन्हें नगद रुपए निकलने के लिए कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है.

पढ़ें: आदिवासी की जीविका पर मौसम की मार, घटा 'हरे सोने' का व्यापार

नगद राशि के भुगतान की मांग

ग्रामीणों का कहना है कि खेती किसानी का समय आ गया है और हाथ में नगद पैसे नहीं होने के कारण खेती के काम में देरी हो रही है. उनका कहना है कि खेती की लिए नगद राशि की आवश्यकता होती है. तेंदूपत्ता भुगतान के विलंब होने से किसानों को खेती के लिए खाद बीज इत्यादि खरीदने में दिक्कत हो रही है. हितग्राहियों का मांग था कि बीजापुर, दंतेवाड़ा, सुकमा जिले की तरह ही नारायणपुर में भी तेंदूपत्ता संग्राहकों को नगद राशि भुगतान की जाए.

तेंदूपत्ता खरीदी पर कोरोना का असर

छत्तीसगढ़ में सालभर पहले जब सत्ता परिवर्तन हुआ, उस समय तेंदूपत्ता जमा करने का मूल्य प्रति मानक बोरा 2500 रुपए था. भूपेश सरकार ने इसमें 1500 रुपए बढ़ाए हैं, अब यह मूल्य 4000 रुपये प्रति मानक बोरा है. इसकी वजह से पिछले साल की तुलना में इस साल वनवासियों को 226 करोड़ रुपए का अतिरिक्त भुगतान किया जाना था, लेकिन छत्तीसगढ़ में इस साल तेंदूपत्ता की कम खरीदी हुई है.

Memorandum to collector
कलेक्टर को ज्ञापन सौंपते ग्रामीण

पढ़ें: बीजापुर: कलेक्टर से ग्रामीणों की मांग, 'तेंदूपत्ता का नकद भुगतान कर दीजिए साहब'

ग्रामीणों को हो रहा नुक्सान

कोरोना महामारी और लॉकडाउन के कारण तेंदूपत्ता के संग्रहण में इस बार देरी हुई है, जिसके कारण काफी पत्ते खराब हो गए हैं, इससे ग्रामीणों को काफी नुकसान हुआ है. हर साल तेंदूपत्ता संग्रहण का काम बहुत पहले से ही शुरू हो जाता था, लेकिन इस साल हुई देरी से ग्रामीणों को काफी नुकसान झेलना पड़ा है.

नारायणपुर: तेंदूपत्ता संग्राहकों के भुगतान में हो रही देरी और नकद भुगतान करने की मांग को लेकर ग्रामीणों ने मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और वन मंत्री के नाम कलेक्टर को ज्ञापन सौंपा है. ग्रमीणों ने मांग पूरी नहीं होने पर उग्र आंदोलन करने की चेतावनी दी है.

नकद भुगतान को लेकर ग्रामीणों ने सौंपा ज्ञापन

वन बाहुल्य क्षेत्र में वनोपज ग्रामीणों के जीवन यापन का मुख्य साधन है. बस्तर में तेंदूपत्ता को एक बड़ी आमदनी का साधन माना जाता है. तेंदूपत्ता को 'हरा सोना' के नाम से भी जाना जाता है. इसी हरे सोने के खरीदी और बिक्री को लेकर इस बार कई गांव के ग्रामीण काफी परेशान नजर आ रहे हैं.

रकम निकालने में हो रही परेशानी

लॉकडाउन के दौर में तेंदूपत्ता संग्राहकों को उनका पेमेंट अकाउंट में दिया जा रहा है, जिससे उन्हें काफी परेशानी हो रही है. ग्रामीणों का कहना है कि अंदरूनी इलाके में बसे गांवों के कई हितग्राहियों के पास बैंक खाता नहीं है, जिससे उन्हें नगद रुपए निकलने के लिए कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है.

पढ़ें: आदिवासी की जीविका पर मौसम की मार, घटा 'हरे सोने' का व्यापार

नगद राशि के भुगतान की मांग

ग्रामीणों का कहना है कि खेती किसानी का समय आ गया है और हाथ में नगद पैसे नहीं होने के कारण खेती के काम में देरी हो रही है. उनका कहना है कि खेती की लिए नगद राशि की आवश्यकता होती है. तेंदूपत्ता भुगतान के विलंब होने से किसानों को खेती के लिए खाद बीज इत्यादि खरीदने में दिक्कत हो रही है. हितग्राहियों का मांग था कि बीजापुर, दंतेवाड़ा, सुकमा जिले की तरह ही नारायणपुर में भी तेंदूपत्ता संग्राहकों को नगद राशि भुगतान की जाए.

तेंदूपत्ता खरीदी पर कोरोना का असर

छत्तीसगढ़ में सालभर पहले जब सत्ता परिवर्तन हुआ, उस समय तेंदूपत्ता जमा करने का मूल्य प्रति मानक बोरा 2500 रुपए था. भूपेश सरकार ने इसमें 1500 रुपए बढ़ाए हैं, अब यह मूल्य 4000 रुपये प्रति मानक बोरा है. इसकी वजह से पिछले साल की तुलना में इस साल वनवासियों को 226 करोड़ रुपए का अतिरिक्त भुगतान किया जाना था, लेकिन छत्तीसगढ़ में इस साल तेंदूपत्ता की कम खरीदी हुई है.

Memorandum to collector
कलेक्टर को ज्ञापन सौंपते ग्रामीण

पढ़ें: बीजापुर: कलेक्टर से ग्रामीणों की मांग, 'तेंदूपत्ता का नकद भुगतान कर दीजिए साहब'

ग्रामीणों को हो रहा नुक्सान

कोरोना महामारी और लॉकडाउन के कारण तेंदूपत्ता के संग्रहण में इस बार देरी हुई है, जिसके कारण काफी पत्ते खराब हो गए हैं, इससे ग्रामीणों को काफी नुकसान हुआ है. हर साल तेंदूपत्ता संग्रहण का काम बहुत पहले से ही शुरू हो जाता था, लेकिन इस साल हुई देरी से ग्रामीणों को काफी नुकसान झेलना पड़ा है.

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