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नारायणपुर: पानी-सड़क जैसी बुनियादी सुविधाओं को तरस रहे इस गांव के लोग, नहीं सुन रहा प्रशासन!

भरण्डा पंचायत के आश्रित गांव चिलपरस में मूलभुत सुविधाएं नहीं है. 2 साल पहले गांववालों ने कलेक्टर को ज्ञापन भी सौंपा था.

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Published : Apr 19, 2019, 2:52 PM IST

नारायणपुर: जिले के भरण्डा पंचायत के आश्रित गांव चिलपरस में मूलभुत सुविधाएं नहीं है. 2 साल पहले गांववालों ने कलेक्टर को ज्ञापन भी सौंपा था. बावजूद इसके कोई सुनवाई नहीं हुई. इसके बाद गांववालों ने एक बार फिर अपनी मूलभुत सुविधाओं को लेकर कलेक्टर से गुहार लगाई है.

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पूरा मामला नारायणपुर से महज 11 किलोमीटर दूर बसे गांव चिलपरस का है, जहां की आबादी लगभग 700 से 1000 तक की हैं. यहां रहने वाले लोगों के पास न तो पीने योग्य पानी है और न ही गांव में सड़क है. यहां के लोग आज भी पगडंडी के सहारे नारायणपुर मुख्यालय आते-जाते हैं.

2 साल पहले गांववालों ने कलेक्टर को ज्ञापन सौंपा था और अपनी समस्या को बताया था, लेकिन शासन ने उनकी समस्या को नजरअंदाज कर दिया. नारायणपुर मुख्यालय से लगे होने के कारण शासन-प्रशासन से कोई भी नेता या अधिकारी गांव में निरीक्षण करने भी नहीं आते है. इसी कारण गांव में कोई भी विकास का कार्य नहीं हुआ है, जिसके कारण लोग यहां बेरोजगारी, पानी, स्वास्थ्य और शिक्षा से कोसों दूर है.

बता दें कि ग्रामीणों ने अपनी इन्हीं समस्याओं को लेकर एक बार फिर कलेक्टर से गुहार लगाई है. इस संबंध में कलेक्टर ने बताया कि गांव में पानी की समस्या का कारण यह है कि वहां का जलस्तर कम हो गया है, जिसके कारण वहां के हैंडपंप सूख गए है. साथ ही उन्होंने कहा कि ग्रामीणों की समस्या को जल्द ही दूर करने का प्रयास किया जाएगा.

नारायणपुर: जिले के भरण्डा पंचायत के आश्रित गांव चिलपरस में मूलभुत सुविधाएं नहीं है. 2 साल पहले गांववालों ने कलेक्टर को ज्ञापन भी सौंपा था. बावजूद इसके कोई सुनवाई नहीं हुई. इसके बाद गांववालों ने एक बार फिर अपनी मूलभुत सुविधाओं को लेकर कलेक्टर से गुहार लगाई है.

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पूरा मामला नारायणपुर से महज 11 किलोमीटर दूर बसे गांव चिलपरस का है, जहां की आबादी लगभग 700 से 1000 तक की हैं. यहां रहने वाले लोगों के पास न तो पीने योग्य पानी है और न ही गांव में सड़क है. यहां के लोग आज भी पगडंडी के सहारे नारायणपुर मुख्यालय आते-जाते हैं.

2 साल पहले गांववालों ने कलेक्टर को ज्ञापन सौंपा था और अपनी समस्या को बताया था, लेकिन शासन ने उनकी समस्या को नजरअंदाज कर दिया. नारायणपुर मुख्यालय से लगे होने के कारण शासन-प्रशासन से कोई भी नेता या अधिकारी गांव में निरीक्षण करने भी नहीं आते है. इसी कारण गांव में कोई भी विकास का कार्य नहीं हुआ है, जिसके कारण लोग यहां बेरोजगारी, पानी, स्वास्थ्य और शिक्षा से कोसों दूर है.

बता दें कि ग्रामीणों ने अपनी इन्हीं समस्याओं को लेकर एक बार फिर कलेक्टर से गुहार लगाई है. इस संबंध में कलेक्टर ने बताया कि गांव में पानी की समस्या का कारण यह है कि वहां का जलस्तर कम हो गया है, जिसके कारण वहां के हैंडपंप सूख गए है. साथ ही उन्होंने कहा कि ग्रामीणों की समस्या को जल्द ही दूर करने का प्रयास किया जाएगा.

Intro:1804_CG_NYP_BINDESH_MULBHUT SUVIDHA SE VANCHIT_SHBT

एंकर- नारायणपुर के भरण्डा पंचायत के आश्रित गांव चिलपरस में प्रशासन की बड़ी लापरवाही सामने आ रही है चिल परस नारायणपुर से मात्र 11 किलोमीटर में वसा एक छोटा सा गांव है जहां की आबादी लगभग 700 से 1000 तक लोग यहां रहते हैं पर यहां रहने वाले लोगों को ना पीने योग्य पानी मिलता है नाही गांव में कोई सड़क है लोग आज भी पगडंडी के सहारे से नारायणपुर मुख्यालय आते हैं गांव में बहुत सारी समस्याएं इसी प्रकार बनी हुई है 2 साल पहले गांव वालों ने कलेक्टर के सामने ज्ञापन सौंपा था और अपनी समस्या को बताया था पर शासन ने इन क्षेत्र में रहने वाले लोगों को नजरअंदाज करते हुए एक भी काम शुरू नहीं किया नारायणपुर मुख्यालय से लगे होने के कारण भी शासन प्रशासन से कोई भी नेता या अधिकारी गांव में निरीक्षण करने नहीं पहुंचते इसी कारण से गांव में कोई भी विकास का कार्य नहीं हुआ है जिसके कारण लोग वहां बेरोजगारी पीने का पानी स्वास्थ्य शिक्षा से कोसों दूर है यही कारण है जिसके कारण लोग इन झुलस टी गर्मी में भी पैदल नारायणपुर कलेक्ट्रेट पहुंचकर कलेक्टर साहब के सामने एक उम्मीद की फरियाद लेकर आए हैं की गांव में हैंड पंप लगवा दे ताकि लोग पीने का पानी भर सके गांव में पिछले कई सालों से कोई भी निर्माण कार्य नहीं हुआ है और मनरेगा में भी किसी प्रकार से कोई काम नहीं करवाया गया जिसके कारण यहां रहने वाले लोग बेरोजगारी की बड़ी मार झेल रहे हैं गांव के कुछ लोग यहां से पैदल यात्रा करके नारायणपुर मुख्यालय पहुंचकर मजदूरी करते हैं और अपने घरों में जरूरत के सामान जुटा पाते हैं पर बाकी गांव में रहने वाले बुजुर्ग और महिलाएं जोकि पूरी तरह से बेरोजगार है जिनके पास कोई काम नहीं है गांव में ना मोबाइल टावर है नाही हॉस्पिटल है गांव में किसी को अगर आपातकालीन की जरूरत होती है तो गांव से 2 किलोमीटर दूर जाकर नेटवर्क ढूंढना पड़ता है फोन लगने के बाद भी 108 की वाहन गांव तक नहीं जा पाता क्योंकि गांव में रोड भी नहीं है जिसके कारण 108 की वाहन नहीं जा पाती और मरीज को 2 किलोमीटर दूर तक उठाकर लाना पड़ता है इसी सभी परेशानियों को देखते हुए ग्रामीणों ने कलेक्टर को ज्ञापन सौंपा है

बाइट -पीएस ऐलमा कलेक्टर नारायणपुर
बाइट -बृजमोहन देवांगन वरिष्ठ नागरिक
बाइट -गांव के सरपंच


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Conclusion:1804_CG_NYP_BINDESH_MULBHUT SUVIDHA SE VANCHIT_SHBT
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