नारायणपुर: लगातार बढ़ते वायु प्रदूषण, जल प्रदूषण और अवैध खनन के चलते उच्च न्यायालय ने लाल ईंट के व्यापारिक निर्माण पर प्रतिबंध लगा रखा है. राज्य शासन ने उच्च न्यायालय के निर्देश अनुसार लाल ईंट निर्माणकर्ता और व्यापारियों पर दंडात्मक कार्रवाई के लिए जिला खनिज विभाग को निर्देशित किया है. लेकिन नारायणपुर जिले का खनिज विभाग इस निर्देश के प्रति सजग नहीं दिख रहा है. जिला खनिज विभाग की अनदेखी के चलते जिला मुख्यालय से महज 6 से 7 किलोमीटर की दूरी पर चारों ओर लाल ईंट बनाने का अवैध काम बड़े पैमाने पर चल रहा है.
नारायणपुर जिला मुख्यालय से लगे ग्राम पंचायत गरंजी, गढ़बेंगाल ,देवगांव करलखा,बोरपाल,बाकुलवाही,बिंजली आदि पंचायतों की जमीन का उपयोग कर लाल ईंटों का निर्माण किया जा रहा है. ईंट बनाने वाली जगह पर आवश्यक मिट्टी के लिए जमीन को खोद कर खाई नुमा बड़े-बड़े गड्ढे बना दिए गए हैं. ईंट को पकाने के लिए जंगल की लकड़ी को काट कर जलाया जा रहा है. ईंट पकाने के लिए धान के भूसे का उपयोग किया जा रहा है. जिसकी पूर्ति अन्य जिलों से की जा रही है.
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पंचायत सचिव और सरपंच पर मिलीभगत का आरोप
ईंट निर्माण के लिए रेत का अवैध खनन किया जा रहा है. जलापूर्ति के लिए टैंकर लगाए गए हैं. कई ग्राम पंचायत में सचिव,सरपंच और जनप्रतिनिधियों के शय पर लाल ईटों का निर्माण किया जा रहा है. जिसकी खपत पंचायती क्षेत्रों में होने वाले निर्माण कार्यों में की जा रही है. ईटों की कीमत एक हजार नग के लिए 4 हजार से 6 हजार के बीच है.
अधिकारियों ने कही कार्रवाई की बात
लाल ईंट के कारोबार पर जिला खनिज अधिकारी और एसडीएम दिनेश कुमार नाग ने मीडिया के सवालों को जवाब देते हुए कहा कि अवैध निर्माण प्रतिबंधित है. साथ ही साथ उसका उपयोग शासकीय संस्थान में प्रतिबंधित है. यदि कोई ठेकेदार ईंट शासकीय कार्य में उपयोग करेगा तो उस पर सख्त कार्रवाई की जाएगी. वहीं कलेक्टर ने इसपर कार्रवाई की बात कही है.