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Conversion case in Bastar : क्यों आदिवासी और ईसाई मिशनरी के बीच है लड़ाई - Conflict between Christian converts and tribal

बस्तर संभाग के नारायणपुर जिले के अबूझमाड़ में नक्सलियों के गढ़ के नाम से चर्चा पूरे देश होती थी. लेकिन इन दिनों यहां धर्मांतरण का मुद्दा गरमाया हुआ fight between tribal and Christian missionary है. नारायणपुर में मूल आदिवासी जनजातियों में गोंड,माड़िया ,मुरिया,अबुझमाड़िया प्रमुख हैं. इस इलाके में आदिवासी सैंकड़ों वर्षों से रह रहे हैं.लेकिन अब आदिवासी अपनी आस्था बदल रहे हैं.तेजी से इन इलाकों में धर्मांतरण हो रहा है. आदिवासी एक एक करके ईसाई धर्म अपना रहे हैं.यहीं नहीं धर्म बदलने के साथ ही ये स्थानीय आदिवासियों के खिलाफ आवाज उठाने से भी पीछे नहीं हट रहे.अब हालात ये हैं कि नारायणपुर जिले में ही नब्बे फीसदी से ज्यादा आदिवासी ईसाई धर्म अपना चुके हैं.narayanpur latest news

Conversion case in Bastar
आदिवासियों और ईसाईयों के बीच द्वंद्व
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Published : Jan 6, 2023, 8:46 PM IST

नारायणपुर : अबूझमाड़ इलाके में अशिक्षा और विकास की बागडोर देरी से पहुंचना यहां के आदिवासियों के लिए बुरे सपने जैसा है. स्थानीय लोगों ने आरोप लगाया कि "आदिवासियों को विकास, बीमारी ठीक होने और पैसों का लालच देकर ईसाई धर्म के प्रति आकर्षित किया गया. भोले-भाले आदिवासी ईसाई पास्टर की बातों में आकर अपना धर्म बदलने के लिए राजी हो गए. धर्मांतरण कराने वाले ऐसे आदिवासी परिवार को अपना निशाना बनाते जो आर्थिक रुप से कमजोर रहता या फिर उनके घर में कोई बीमार होता. बीमारी ठीक होने की बात कहकर पहले धर्म बदलवाया जाता.इसके बाद आर्थिक मदद करके ये जताया जाता कि ईसाई धर्म में किसी भी चीज की कोई कमी Conversion case in Bastar नहीं."

धर्मांतरित ईसाई और मूल आदिवासी के बीच संघर्ष : ईसाई बन चुके आदिवासियों और मूल धर्म के आदिवासियों के बीच झगड़े जैसी स्थिति बन गई fight between tribal and Christian missionary है. अपना धर्म छोड़ चुके आदिवासी देवी - देवता,रीति-रिवाज,गाथा पकना, शादी ब्याह, मरनी,छट्टी समेत ऐसी कितनी ही परंपराओं को नहीं मानते.वहीं सबसे बड़ा झगड़ा बीते कई महीनों से शव दफनाने को लेकर हो रहा है. ईसाई धर्म मान चुके व्यक्ति के शव को मूल धर्म के आदिवासी इलाके के गांव के जमीन पर नहीं दफनाने दे रहे हैं. आदिवासियों का मानना है कि यदि ईसाई का शव जमीन में दफनाया गया तो पूरी मिट्टी दूषित हो जाएगी. इस तरह के विवाद हर महीने सामने आ रहे हैं. वहीं ईसाई बन चुके आदिवासी आरोप लगा रहे हैं कि उनके परिवार के लोगों की कब्र खोदकर शव गांव से बाहर फेंके जा रहे हैं.

ये भी पढ़ें- धर्मांतरण के मुद्दे पर बस्तर बंद


तेजी से गांवों में बने प्रार्थना घर और चर्च : नारायणपुर के शांतिनगर,गरंजी,तेरदुल, चिपरेल, बोरपाल सहित अबूझमाड़ के इलाके में ईसाई धर्म अपनाने वाले लोग गांवों में चर्च प्रार्थना घर का निर्माण करवा रहे हैं.इन गांवों के प्रार्थना घरों में प्रत्येक रविवार को अनिवार्य रूप से आराधना होती है. जिसमें बड़ी संख्या में ईसाई धर्मान्तरित लोग पहुंचते हैं. नारायणपुर मुख्यालय से जो गांव दूर या जंगल में हैं. वहां की आबादी तेजी से क्रिश्चियन धर्म अपना रही है. किसी किसी गांव में इनका प्रतिशत 90 फीसदी तक हो गया है. तेजी से बढ़ते हुए आंकड़े के कारण ही आदिवासी समाज एक अभियान की शुरुआत करते हुए धर्मान्तरित ईसाई लोगों की मूल धर्म में वापसी करा रहा है. गांव में गांव प्रमुख लगातार बैठकें कर समझाईश दे रहे हैं.जो लोग वापस धर्म में नहीं बदल रहे हैं. ऐसे ईसाई लोगों के खिलाफ आदिवासी विरोध के स्वर उठा रहे Conflict between Christian converts and tribal हैं.

नारायणपुर : अबूझमाड़ इलाके में अशिक्षा और विकास की बागडोर देरी से पहुंचना यहां के आदिवासियों के लिए बुरे सपने जैसा है. स्थानीय लोगों ने आरोप लगाया कि "आदिवासियों को विकास, बीमारी ठीक होने और पैसों का लालच देकर ईसाई धर्म के प्रति आकर्षित किया गया. भोले-भाले आदिवासी ईसाई पास्टर की बातों में आकर अपना धर्म बदलने के लिए राजी हो गए. धर्मांतरण कराने वाले ऐसे आदिवासी परिवार को अपना निशाना बनाते जो आर्थिक रुप से कमजोर रहता या फिर उनके घर में कोई बीमार होता. बीमारी ठीक होने की बात कहकर पहले धर्म बदलवाया जाता.इसके बाद आर्थिक मदद करके ये जताया जाता कि ईसाई धर्म में किसी भी चीज की कोई कमी Conversion case in Bastar नहीं."

धर्मांतरित ईसाई और मूल आदिवासी के बीच संघर्ष : ईसाई बन चुके आदिवासियों और मूल धर्म के आदिवासियों के बीच झगड़े जैसी स्थिति बन गई fight between tribal and Christian missionary है. अपना धर्म छोड़ चुके आदिवासी देवी - देवता,रीति-रिवाज,गाथा पकना, शादी ब्याह, मरनी,छट्टी समेत ऐसी कितनी ही परंपराओं को नहीं मानते.वहीं सबसे बड़ा झगड़ा बीते कई महीनों से शव दफनाने को लेकर हो रहा है. ईसाई धर्म मान चुके व्यक्ति के शव को मूल धर्म के आदिवासी इलाके के गांव के जमीन पर नहीं दफनाने दे रहे हैं. आदिवासियों का मानना है कि यदि ईसाई का शव जमीन में दफनाया गया तो पूरी मिट्टी दूषित हो जाएगी. इस तरह के विवाद हर महीने सामने आ रहे हैं. वहीं ईसाई बन चुके आदिवासी आरोप लगा रहे हैं कि उनके परिवार के लोगों की कब्र खोदकर शव गांव से बाहर फेंके जा रहे हैं.

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तेजी से गांवों में बने प्रार्थना घर और चर्च : नारायणपुर के शांतिनगर,गरंजी,तेरदुल, चिपरेल, बोरपाल सहित अबूझमाड़ के इलाके में ईसाई धर्म अपनाने वाले लोग गांवों में चर्च प्रार्थना घर का निर्माण करवा रहे हैं.इन गांवों के प्रार्थना घरों में प्रत्येक रविवार को अनिवार्य रूप से आराधना होती है. जिसमें बड़ी संख्या में ईसाई धर्मान्तरित लोग पहुंचते हैं. नारायणपुर मुख्यालय से जो गांव दूर या जंगल में हैं. वहां की आबादी तेजी से क्रिश्चियन धर्म अपना रही है. किसी किसी गांव में इनका प्रतिशत 90 फीसदी तक हो गया है. तेजी से बढ़ते हुए आंकड़े के कारण ही आदिवासी समाज एक अभियान की शुरुआत करते हुए धर्मान्तरित ईसाई लोगों की मूल धर्म में वापसी करा रहा है. गांव में गांव प्रमुख लगातार बैठकें कर समझाईश दे रहे हैं.जो लोग वापस धर्म में नहीं बदल रहे हैं. ऐसे ईसाई लोगों के खिलाफ आदिवासी विरोध के स्वर उठा रहे Conflict between Christian converts and tribal हैं.

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