नारायणपुर: जिले में इन दिनों किसानों को पानी की कमी से भारी नुकसान हो रहा है. नारायणपुर के आसपास सब्जी की खेती करने वाले किसानों को नदी डैम से पानी नहीं मिलने के कारण खेती करने में बड़ी परेशानी हो रही है.
नारायणपुर मुख्यालय में एकमात्र नदी बहती है, जो कुकुर नदी के नाम से जानी जाती है, जिसमें कुछ साल पहले गड़बेगाल में एक एनीकट बनाया गया था. लगभग 1 साल तक आसपास के किसानों को एनीकट से पानी मिला करता था, खेती अच्छे से हो रही थी, जिसके बाद नदी में बारिश के मौसम में बाढ़ आने से एनीकट पूरी तरह से टूट-फूट गया.
नदी के पानी को रोककर किसान करते थे खेती
जल संसाधन विभाग ने न तो एनीकट की मरम्मत करवाई और न ही दूसरा एनीकट बनवाया. क्षेत्र के लाचार आदिवासी किसान कुछ सालों तक नदी को रोककर उसके पानी से खेती किया करते थे, जिसके बाद लगभग 3 साल तक आसपास के किसान आपस में मिलकर नदी के पानी को रोक कर गर्मी के मौसम में सब्जी की फसल उगाया करते थे.
इस बार की गर्मी में हाल इतना खराब रहा की जो किसान मिल बांट के पानी रोक के खेती किया करते थे, इस बार हिम्मत हार गए और खेती करना इस बार के सीजन में बंद कर दिया. किसानों से चर्चा करने के बाद पता चलता है कि जल संसाधन विभाग को कई बार इसकी शिकायत कर चुके हैं पर कोई भी अधिकारी उनके क्षेत्र में निरीक्षण करने नहीं जाते.
किसान हैं मजबूर
नारायणपुर से 4 किलोमीटर दूरी पर है गढ़बेगाल गांव. लगभग 10 से 20 हेक्टेयर कृषि भूमि में जिसमें सिंचाई की जा रही थी अब वहां घाट के 1 से 2 एकड़ में सिंचाई होती है. लाचार किसान मजबूर हैं, ज्यादा सरकार से लड़ नही सकते. जिसके कारण उनको पानी नहीं मिलता और वहां खेती भी नहीं कर सकते. किसान बारिश के मौसम में ही थोड़ी खेती करके अपना गुजर बसर करते हैं और अपना जीवन यापन करते हैं.