ETV Bharat / state

मुंगेली: एक ऐसा देवी मंदिर जहां 365 दिन जलती है अखंड ज्योति

मुंगेली के लोरमी नगर पंचायत में बसी है पहाड़ों वाली मां महामाया, महाअष्टमी पर जानिए इस मंदिर की कहानी जहां 365 दिन जलती है अखंड ज्योति.

author img

By

Published : Oct 6, 2019, 8:41 PM IST

Updated : Oct 18, 2019, 8:56 AM IST

लोरमी की प्रसिद्ध मां महामाया मंदिर

मुंगेली: शारदीय नवरात्र की दुर्गाष्टमी को जिले में लोरमी के प्रसिद्ध मां महामाया मंदिर में सुबह से ही श्रद्धालुओं का तांता लगा रहा. पहाड़ों वाली मां के नाम से प्रसिद्ध ये मंदिर इसलिए भी विशिष्ट माना जाता है, क्योंकि यहां साल के पूरे 365 दिन माता की अखंड ज्योति जलती है.

मुंगेली के लोरमी नगर पंचायत में बसी है पहाड़ों वाली मां महामाया,

नवरात्र में मंदिर का हर कोना माता रानी की ज्योति से जगमगा उठता है. यह पूरे भारतवर्ष में माता का एकमात्र ऐसा मंदिर है जहां माता रानी अपने पूरे नौ रूपों के साथ जमीन के अंदर से प्रकट हुई है.

माता के नौ रूपों के साथ इस मंदिर में भगवान हनुमान भी लंगूर रूप में प्रकट हुए हैं. इतिहास के जानकारों के मुताबिक यहां स्थित मूर्तियां लगभग 300 वर्ष पुरानी है. यही वजह है कि लाखों लोग हर वर्ष यहां माता रानी के दर्शन के लिए पहुंचते हैं. इस मंदिर के चारों तरफ हरियाली ही हरियाली नजर आती है.

लोरमी महामाया मंदिर का इतिहास और मान्यता

  • मंदिर के नजदीक ही एक कौहा का विशालकाय पेड़ था. जहां पर लोधी वंश के राजाओं का किला था.
  • तब यह जगह चारों तरफ से जंगल से घिरा था और कुछ गिने-चुने घरों से बनी एक छोटी सी बस्ती अपने शैशवकाल में थी, जो कि धीरे-धीरे बढ़ रही थी.
  • कुछ समय बाद लोधी वंश के शासक अपने नागा गुरु महंत मौजा दास को लेकर ताल्लुक दान कर वापिस रामगढ़ मंडला चले गए.
  • जिसके बाद नागा गुरु मौजा दास ने महंत लक्ष्मी दास को ताल्लुकेदार बनाकर गद्दी पर बैठाया.
  • इसी दौरान महंत लक्ष्मी दास के शासन काल के समय लोरमी में रहने वाले एक चंदेल कृषक को एक रात मां महामाया ने स्वप्न में दर्शन दिया और बताया कि पहाड़ों के ऊपर बांस के घने जंगलों के बीच में वो आसीन हैं.
  • जिसके बाद चंदेल कृषक ने उस जगह पर छोटा चबूतरा बना कर उसके ऊपर एक कबेलुनुमा मकान बनाया और नवरात्रि पर वहां ज्योति कलश प्रज्जवलित होने लगा.
  • चंदेल कृषक ने अपनी मृत्यु के बाद पूरी संपत्ति मंदिर में दान देने की अग्रिम घोषणा की और अपनी समाधि बनाए जाने की इच्छा रखी
  • चंदेल भक्तों के मंशा के अनुरूप ही उसकी मृत्यु के बाद उसका समाधि स्थल मंदिर के दक्षिण दिशा में बनवाया गया जो कि आज भी दिखाई देता है.

पढ़ें- SPECIAL: यहां की मिट्टी के बिन अधूरी होती हैं मां दुर्गा की प्रतिमाएं

दूर-दराज से पहुंचते हैं श्रद्घालु
मंदिर में स्थापित माता की स्वयंभू प्रतिमा चमत्कारी मानी जाती है. यही वजह है कि माता के दर्शन के लिए देश ही नहीं विदेश से भी भारी संख्या में श्रद्धालु यहां पहुंचते हैं. नवरात्र के 9 दिन यहां पूरा भक्तिमय माहौल रहता है और भक्त माता रानी की भक्ति में पूरी तरह डूबे नजर आते हैं. यहां पहुंचने वाले श्रद्धालुओं को माता रानी के अलावा भगवान हनुमान, गणेश,शंकर भगवान और भैरव बाबा के भी दर्शन होते हैं.

मुंगेली: शारदीय नवरात्र की दुर्गाष्टमी को जिले में लोरमी के प्रसिद्ध मां महामाया मंदिर में सुबह से ही श्रद्धालुओं का तांता लगा रहा. पहाड़ों वाली मां के नाम से प्रसिद्ध ये मंदिर इसलिए भी विशिष्ट माना जाता है, क्योंकि यहां साल के पूरे 365 दिन माता की अखंड ज्योति जलती है.

मुंगेली के लोरमी नगर पंचायत में बसी है पहाड़ों वाली मां महामाया,

नवरात्र में मंदिर का हर कोना माता रानी की ज्योति से जगमगा उठता है. यह पूरे भारतवर्ष में माता का एकमात्र ऐसा मंदिर है जहां माता रानी अपने पूरे नौ रूपों के साथ जमीन के अंदर से प्रकट हुई है.

माता के नौ रूपों के साथ इस मंदिर में भगवान हनुमान भी लंगूर रूप में प्रकट हुए हैं. इतिहास के जानकारों के मुताबिक यहां स्थित मूर्तियां लगभग 300 वर्ष पुरानी है. यही वजह है कि लाखों लोग हर वर्ष यहां माता रानी के दर्शन के लिए पहुंचते हैं. इस मंदिर के चारों तरफ हरियाली ही हरियाली नजर आती है.

लोरमी महामाया मंदिर का इतिहास और मान्यता

  • मंदिर के नजदीक ही एक कौहा का विशालकाय पेड़ था. जहां पर लोधी वंश के राजाओं का किला था.
  • तब यह जगह चारों तरफ से जंगल से घिरा था और कुछ गिने-चुने घरों से बनी एक छोटी सी बस्ती अपने शैशवकाल में थी, जो कि धीरे-धीरे बढ़ रही थी.
  • कुछ समय बाद लोधी वंश के शासक अपने नागा गुरु महंत मौजा दास को लेकर ताल्लुक दान कर वापिस रामगढ़ मंडला चले गए.
  • जिसके बाद नागा गुरु मौजा दास ने महंत लक्ष्मी दास को ताल्लुकेदार बनाकर गद्दी पर बैठाया.
  • इसी दौरान महंत लक्ष्मी दास के शासन काल के समय लोरमी में रहने वाले एक चंदेल कृषक को एक रात मां महामाया ने स्वप्न में दर्शन दिया और बताया कि पहाड़ों के ऊपर बांस के घने जंगलों के बीच में वो आसीन हैं.
  • जिसके बाद चंदेल कृषक ने उस जगह पर छोटा चबूतरा बना कर उसके ऊपर एक कबेलुनुमा मकान बनाया और नवरात्रि पर वहां ज्योति कलश प्रज्जवलित होने लगा.
  • चंदेल कृषक ने अपनी मृत्यु के बाद पूरी संपत्ति मंदिर में दान देने की अग्रिम घोषणा की और अपनी समाधि बनाए जाने की इच्छा रखी
  • चंदेल भक्तों के मंशा के अनुरूप ही उसकी मृत्यु के बाद उसका समाधि स्थल मंदिर के दक्षिण दिशा में बनवाया गया जो कि आज भी दिखाई देता है.

पढ़ें- SPECIAL: यहां की मिट्टी के बिन अधूरी होती हैं मां दुर्गा की प्रतिमाएं

दूर-दराज से पहुंचते हैं श्रद्घालु
मंदिर में स्थापित माता की स्वयंभू प्रतिमा चमत्कारी मानी जाती है. यही वजह है कि माता के दर्शन के लिए देश ही नहीं विदेश से भी भारी संख्या में श्रद्धालु यहां पहुंचते हैं. नवरात्र के 9 दिन यहां पूरा भक्तिमय माहौल रहता है और भक्त माता रानी की भक्ति में पूरी तरह डूबे नजर आते हैं. यहां पहुंचने वाले श्रद्धालुओं को माता रानी के अलावा भगवान हनुमान, गणेश,शंकर भगवान और भैरव बाबा के भी दर्शन होते हैं.

Intro:मुंगेली: लोरमी नगर के बीचों-बीच विराजी है मां महामाया जहां पर केवल नवरात्र में ही नहीं बल्कि साल भर जगमगाती है मां की अखंड ज्योतियां,, मां के सामने जो जिस मनोकामना को लेकर ज्योति कलश प्रज्ज्वलित करवाता है मां उनकी हर मुरादें पूरी करती है. नगर के बीच पहाड़ों पर विराजी मां महामाया के इस मंदिर को पहाड़ों वाली मां के नाम से भी जाना जाता है.


Body:शारदीय नवरात्र के दुर्गाष्टमी को लोरमी के प्रसिद्ध माँ महामाया के मंदिर में सुबह से ही भक्तों की भारी भीड़ मातारानी के दर्शन के लिए पहुंच रही है.पहाड़ों वाली माँ के नाम से प्रसिद्ध ये मन्दिर इसलिए भी विशिष्ट माना जाता है क्योंकि यहां साल के पूरे 365 दिन जलती है माता की अखंड ज्योतियां. नवरात्र में मंदिर का हर कोना माता रानी की ज्योतियों से जगमगा उठता है. यह पूरे भारतवर्ष में माता का एकमात्र ऐसा मंदिर है जहां माता रानी अपने पूरे नौ रूपों के साथ में जमीन के अंदर से प्रकट हुई है. माता के नौ रूपों के साथ इस मंदिर में भगवान हनुमान भी लंगूर के रूप में प्रकट हुए हैं. इतिहास के जानकारों के मुताबिक यहां स्थित मूर्तियां लगभग 300 वर्ष पुरानी है यही वजह है कि लाखों लोग हर वर्ष यहां माता रानी के दर्शन के लिए पहुंचते हैं। लोरमी नगर के बीच में स्थित विशाल पहाड़ पर विराजी मां महामाया को श्रद्धालु पहाड़ों वाली मां के नाम से भी जानते हैं. लाखों लोगों की आस्था के केंद्र इस मंदिर के चारों तरफ हरियाली ही हरियाली नजर आती है. जानकारी के मुताबिक मंडला के रामगढ़ रियासत काल द्वारा शासित लोरमी ताल्लुक में ताल्लुकेदार लोधी वंश के राजा थे. मंदिर के नजदीक ही एक कौहा का विशालकाय वृक्ष था. जहां पर लोधी वंश के राजाओं का किला था. तब यह जगह चारों तरफ से जंगलों से घिरी हुई थी. और कुछ गिने-चुने घरों से बनी एक छोटी सी बस्ती अपने शैशवकाल में थी, जो कि धीरे-धीरे बढ़ रही थी. कुछ समय पश्चात लोधी वंश के शासक अपने नागा गुरु महंत मौजा दास को लेकर ताल्लुक दान कर वापिस रामगढ़ मंडला चले गए. जिसके बाद नागा गुरु मौजा दास ने महंत लक्ष्मी दास को ताल्लुकेदार बनाकर गद्दी पर बैठाया. इसी दौरान महंत लक्ष्मी दास के शासन काल के समय लोरमी में रहने वाले एक चंदेल कृषक को एक रात मां महामाया ने स्वप्न में दर्शन दिया और बताया कि पहाड़ों के ऊपर बांस के घने जंगलों के बीच में वो आसीन हैं. जिसके बाद चंदेल कृषक ने उस जगह पर छोटा चबूतरा बना कर उसके ऊपर एक कबेलुनुमा मकान बनाया,,, और नवरात्रि पर वहां ज्योति कलश प्रचलित करने लगा. चंदेल कृषक नेअपनी मृत्यु के कुछ समय पहले ही लोगों से इच्छा जाहिर कर अपनी पूरी संपत्ति जमीन जायदाद मंदिर में दान करते हुए अपना समाधि स्थल मंदिर के नजदीकी बनाए जाने की बात कही. चंदेल भक्तों के मंशा के अनुरूप ही उसकी मृत्यु उपरांत उसका समाधि स्थल मंदिर के दक्षिण दिशा में बनवाया गया जो कि आज भी दिखाई देता है. वहीं क्या आम और क्या खास सब माता के दरबार में दौड़े चले आते हैं।


Conclusion:मंदिर में स्थापित माता की स्वयंभू प्रतिमा चमत्कारी मानी जाती है. यही वजह है कि माता के दर्शन के लिए देश ही नहीं विदेश से भी भारी संख्या में श्रद्धालु यहां पहुंचते हैं. नवरात्र का 9 दिन यहां पूरा भक्तिमय माहौल रहता है और भक्त माता रानी के भक्ति में पूरी तरह डूबे नजर आते हैं. यहां पहुंचने वाले श्रद्धालुओं को माता रानी के अलावा भगवान हनुमान, गणेश,शंकर भगवान और भैरव बाबा के भी दर्शन होते हैं। बाइट-1-अखिलेश त्रिपाठी (सदस्य,माँ महामाया ट्रस्ट समिति लोरमी) रिपोर्ट- शशांक दुबे,ईटीवी भारत मुंगेली
Last Updated : Oct 18, 2019, 8:56 AM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.