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दो तरफ से नक्सल प्रभावित जिलों से घिरे खुड़िया चौकी को बंद करने का फैसला, विरोध में उतरी बीजेपी

छत्तीसगढ़ के मुंगेली जिले में नक्सल प्रभावित जिलों से घिरे खुड़िया पुलिस चौकी (khudia police chowki in mungeli) को बंद करने की प्रक्रिया शुरू हो गई है. विशेष पुलिस महानिदेशक आरके विज (Special DG RK Vij) की ओर से एक पत्र बिलासपुर रेंज के आईजी रतनलाल डांगी (bilaspur ig ratan lal dangi) को लिखा गया है. इस पत्र के बाद से ही जिले की सियासत गरमा गई है. पूरे मामले को लेकर जहां बीजेपी आंदोलन की बात कर रही है. वहीं संबंधित अधिकारी कुछ भी कहने से इनकार कर रहे हैं.

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दो तरफ से नक्सल प्रभावित जिलों से घिरे खुड़िया चौकी को बंद करने का फैसला
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Published : Jun 26, 2021, 8:34 PM IST

मुंगेली: छत्तीसगढ़ के विशेष पुलिस महानिदेशक (Special DGP in Chhattisgarh) के एक शासकीय पत्र से मुंगेली जिले की सियासत गरमा गई है. यह पत्र जिले के दूरस्थ वनांचल में स्थित खुड़िया पुलिस चौकी (khudia police chowki in mungeli) को बंद करने को लेकर है. अब इस पूरे मामले पर बीजेपी आंदोलन करने की बात कह रही है.

बीजेपी ने खुड़िया चौकी को बंद करने के फैसले का जताया विरोध

खुड़िया पुलिस चौकी को बंद करने की कवायद

जिले के लोरमी क्षेत्र के खुड़िया वनग्राम स्थित पुलिस चौकी से जुड़ा मामला विवादित होता नजर आ रहा है. खुड़िया चौकी को बंद करने की कवायद प्रदेश के गृह विभाग (Home Department Chhattisgarh) की ओर से हो रही है. इसको लेकर प्रदेश के विशेष पुलिस महानिदेशक आरके विज (Special DG RK Vij) की ओर से एक पत्र बिलासपुर रेंज के आईजी रतनलाल डांगी (bilaspur ig ratan lal dangi) को लिखा गया है. जिसमें लोरमी के खुड़िया चौकी को बंद कर उसके स्थान पर रायपुर के ग्राम भैंसा में नए पुलिस चौकी खोले जाने की बात कही गई है. इस आदेश के जारी होने के बाद इसका विरोध शुरू हो गया है.

बीजेपी सरकार के कार्यकाल में खुली थी चौकी

लोरमी के खुड़िया ग्राम में पुलिस चौकी की स्थापना 29 अक्टूबर 2014 को तत्कालीन बीजेपी सरकार में की गई थी. खुड़िया गांव में पुलिस चौकी खोलने को लेकर लंबे समय से मांग की जा रही थी. तत्कालीन बीजेपी विधायक और छत्तीसगढ़ सरकार में संसदीय सचिव रहे तोखन साहू की पहल पर यहां पुलिस चौकी की स्थापना की गई थी.

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सीमावर्ती जिले नक्सल प्रभावित

लोरमी के खुड़िया इलाके की सीमा एक तरफ से नक्सल प्रभावित मध्यप्रदेश के डिंडौरी जिले तो दूसरी तरफ छत्तीसगढ़ के कवर्धा जिले से लगती है. खुड़िया क्षेत्र सघन जंगल का इलाका है. समय-समय पर इस क्षेत्र में नक्सलियों की आमद की सूचना पुलिस को मिलती रही है. यही वजह थी कि जंगल के अंदर अपनी पहुंच बढ़ाने के लिए तत्कालीन बीजेपी सरकार में यहां पुलिस चौकी की स्थापना की गई थी, लेकिन मौजूदा कांग्रेस सरकार में एकाएक इसे बंद करने का फैसला किया है. यह फैसला यहां के निवासियों के गले नहीं उतर रहा है. ऐसे में गृह विभाग के इस फैसले का विरोध भी शुरू हो गया है.

गौ तस्करी का केंद्र

खुड़िया के रास्ते बड़े पैमाने पर गौ तस्करी की जाती रही है. यहां के जंगलों से होते हुए मध्यप्रदेश के जबलपुर तक गौ की तस्करी की जाती रही है. खुड़िया में चौकी खुलने के बाद से तस्करों पर काफी लगाम लगा था.

अधिकारी मौन, भाजपाई हो रहे मुखर

मामला सीधे प्रदेश के गृह विभाग से जुड़ा है. इसलिए जिले के पुलिस अधिकारी चुप्पी साध लिए हैं. कोई भी बोलने तक को तैयार नहीं है. वहीं बीजेपी इस मामले पर सरकार के खिलाफ उग्र प्रदर्शन करनें की बात कह रही है. बीजेपी के जिला उपाध्यक्ष धनेश साहू के मुताबिक, खुड़िया इलाके में चौकी की स्थापना नक्सलियों और इलाके में बढ़ते गौ तस्करी के मामले को देखते हुए तत्कालीन बीजेपी सरकार की थी, जिसे अब कांग्रेस की सरकार हटाने जा रही है. इससे कांग्रेस की सरकार की मंशा पर सवाल खड़े हो रहे हैं. धनेश साहू ने कहा यदि यह फैसला जल्द ही नहीं बदला गया तो बीजेपी उग्र आंदोलन करने को बाध्य होगी.

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पुलिस चौकी को हटाकर पुलिस सहायता केंद्र की स्थापना

मुंगेली जिले के खुड़िया पुलिस चौकी को बंद के संबंध में ETV भारत ने बिलासपुर रेंज के आईजी रतनलाल डांगी से बात की, तो उन्होंने कहा कि खुड़िया चौकी संवेदनशील क्षेत्र में स्थित है, वहां पुलिस सहायता केंद्र स्थापित किया जा रहा है. वहां के सेटअप में किसी तरह का बदलाव नहीं किया जा रहा है. उतने ही बल वहां तैनात रहेंगे जितने अभी हैं. जिले के एसपी अपने विवेक और आवश्यकता के मुताबिक बल बढ़ा-घटा सकते हैं. गौरतलब है कि खुड़िया इलाके की सीमा से नक्सल प्रभावित इलाके लगे हुए हैं. साथ ही बांध को देखने भी बड़ी संख्या में पर्यटकों का आनाजाना लगा होता है. ऐसे में सवाल उठने लगे थे कि इस तरह संवेदनशील जगह से पुलिस चौकी क्यों हटाई जा रही है, लेकिन ETV भारत से चर्चा में आईजी बिलासपुर ने साफ कर दिया की खुड़िया से पुलिस का जो सेटअप है उसे हटाया नहीं जा रहा है.

क्या होती है पुलिस चौकी ?

दरअसल, पुलिस चौकी किसी थाना के अधीनस्थ एक कार्यालय है. चौकी कानून और व्यवस्था बनाए रखने और एसएचओ के निर्देशों के तहत अन्य कार्यकारी कार्यों का निर्वहन करने के लिए इस्तेमाल होती है. पुलिस सहायता केंद्र ज्यादातर भीड़भाड़ वाली जगहों पर स्थापित किया जाता है. हालांकि अब भी ये सवाल बना हुआ है कि आखिर पुलिस चौकी को सहायता केंद्र में बदलने की क्या जरूरत पड़ गई है.

मुंगेली: छत्तीसगढ़ के विशेष पुलिस महानिदेशक (Special DGP in Chhattisgarh) के एक शासकीय पत्र से मुंगेली जिले की सियासत गरमा गई है. यह पत्र जिले के दूरस्थ वनांचल में स्थित खुड़िया पुलिस चौकी (khudia police chowki in mungeli) को बंद करने को लेकर है. अब इस पूरे मामले पर बीजेपी आंदोलन करने की बात कह रही है.

बीजेपी ने खुड़िया चौकी को बंद करने के फैसले का जताया विरोध

खुड़िया पुलिस चौकी को बंद करने की कवायद

जिले के लोरमी क्षेत्र के खुड़िया वनग्राम स्थित पुलिस चौकी से जुड़ा मामला विवादित होता नजर आ रहा है. खुड़िया चौकी को बंद करने की कवायद प्रदेश के गृह विभाग (Home Department Chhattisgarh) की ओर से हो रही है. इसको लेकर प्रदेश के विशेष पुलिस महानिदेशक आरके विज (Special DG RK Vij) की ओर से एक पत्र बिलासपुर रेंज के आईजी रतनलाल डांगी (bilaspur ig ratan lal dangi) को लिखा गया है. जिसमें लोरमी के खुड़िया चौकी को बंद कर उसके स्थान पर रायपुर के ग्राम भैंसा में नए पुलिस चौकी खोले जाने की बात कही गई है. इस आदेश के जारी होने के बाद इसका विरोध शुरू हो गया है.

बीजेपी सरकार के कार्यकाल में खुली थी चौकी

लोरमी के खुड़िया ग्राम में पुलिस चौकी की स्थापना 29 अक्टूबर 2014 को तत्कालीन बीजेपी सरकार में की गई थी. खुड़िया गांव में पुलिस चौकी खोलने को लेकर लंबे समय से मांग की जा रही थी. तत्कालीन बीजेपी विधायक और छत्तीसगढ़ सरकार में संसदीय सचिव रहे तोखन साहू की पहल पर यहां पुलिस चौकी की स्थापना की गई थी.

लोन वर्राटू: हथियार डालने वाले 19 नक्सलियों को लगी कोरोना वैक्सीन की पहली डोज

सीमावर्ती जिले नक्सल प्रभावित

लोरमी के खुड़िया इलाके की सीमा एक तरफ से नक्सल प्रभावित मध्यप्रदेश के डिंडौरी जिले तो दूसरी तरफ छत्तीसगढ़ के कवर्धा जिले से लगती है. खुड़िया क्षेत्र सघन जंगल का इलाका है. समय-समय पर इस क्षेत्र में नक्सलियों की आमद की सूचना पुलिस को मिलती रही है. यही वजह थी कि जंगल के अंदर अपनी पहुंच बढ़ाने के लिए तत्कालीन बीजेपी सरकार में यहां पुलिस चौकी की स्थापना की गई थी, लेकिन मौजूदा कांग्रेस सरकार में एकाएक इसे बंद करने का फैसला किया है. यह फैसला यहां के निवासियों के गले नहीं उतर रहा है. ऐसे में गृह विभाग के इस फैसले का विरोध भी शुरू हो गया है.

गौ तस्करी का केंद्र

खुड़िया के रास्ते बड़े पैमाने पर गौ तस्करी की जाती रही है. यहां के जंगलों से होते हुए मध्यप्रदेश के जबलपुर तक गौ की तस्करी की जाती रही है. खुड़िया में चौकी खुलने के बाद से तस्करों पर काफी लगाम लगा था.

अधिकारी मौन, भाजपाई हो रहे मुखर

मामला सीधे प्रदेश के गृह विभाग से जुड़ा है. इसलिए जिले के पुलिस अधिकारी चुप्पी साध लिए हैं. कोई भी बोलने तक को तैयार नहीं है. वहीं बीजेपी इस मामले पर सरकार के खिलाफ उग्र प्रदर्शन करनें की बात कह रही है. बीजेपी के जिला उपाध्यक्ष धनेश साहू के मुताबिक, खुड़िया इलाके में चौकी की स्थापना नक्सलियों और इलाके में बढ़ते गौ तस्करी के मामले को देखते हुए तत्कालीन बीजेपी सरकार की थी, जिसे अब कांग्रेस की सरकार हटाने जा रही है. इससे कांग्रेस की सरकार की मंशा पर सवाल खड़े हो रहे हैं. धनेश साहू ने कहा यदि यह फैसला जल्द ही नहीं बदला गया तो बीजेपी उग्र आंदोलन करने को बाध्य होगी.

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पुलिस चौकी को हटाकर पुलिस सहायता केंद्र की स्थापना

मुंगेली जिले के खुड़िया पुलिस चौकी को बंद के संबंध में ETV भारत ने बिलासपुर रेंज के आईजी रतनलाल डांगी से बात की, तो उन्होंने कहा कि खुड़िया चौकी संवेदनशील क्षेत्र में स्थित है, वहां पुलिस सहायता केंद्र स्थापित किया जा रहा है. वहां के सेटअप में किसी तरह का बदलाव नहीं किया जा रहा है. उतने ही बल वहां तैनात रहेंगे जितने अभी हैं. जिले के एसपी अपने विवेक और आवश्यकता के मुताबिक बल बढ़ा-घटा सकते हैं. गौरतलब है कि खुड़िया इलाके की सीमा से नक्सल प्रभावित इलाके लगे हुए हैं. साथ ही बांध को देखने भी बड़ी संख्या में पर्यटकों का आनाजाना लगा होता है. ऐसे में सवाल उठने लगे थे कि इस तरह संवेदनशील जगह से पुलिस चौकी क्यों हटाई जा रही है, लेकिन ETV भारत से चर्चा में आईजी बिलासपुर ने साफ कर दिया की खुड़िया से पुलिस का जो सेटअप है उसे हटाया नहीं जा रहा है.

क्या होती है पुलिस चौकी ?

दरअसल, पुलिस चौकी किसी थाना के अधीनस्थ एक कार्यालय है. चौकी कानून और व्यवस्था बनाए रखने और एसएचओ के निर्देशों के तहत अन्य कार्यकारी कार्यों का निर्वहन करने के लिए इस्तेमाल होती है. पुलिस सहायता केंद्र ज्यादातर भीड़भाड़ वाली जगहों पर स्थापित किया जाता है. हालांकि अब भी ये सवाल बना हुआ है कि आखिर पुलिस चौकी को सहायता केंद्र में बदलने की क्या जरूरत पड़ गई है.

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