मुंगेली : राइस मिलर्स और सरकार के बीच कस्टम मिलिंग को लेकर छिड़ा विवाद कम होने का नाम नहीं ले रहा है. सरकार की ओर से दी जाने वाली प्रोत्साहन राशि के बढ़ाए जाने के बाद भी राइस मिलर्स अपनी मांगों को लेकर अड़े हुए हैं. इसे लेकर जल्द ही राइस मिलर्स प्रदेश स्तरीय बैठक कर सरकार के सामने अपनी मांग रखने वाले हैं.
छत्तीसगढ़ प्रदेश में 1 दिसंबर से धान खरीदी की शुरुआत हो जाएगी. इसे लेकर पूरे प्रदेशभर के सहकारी समितियों में तैयारियां पूरी कर ली गई हैं. लेकिन इन सबके बीच छत्तीसगढ़ सरकार और प्रदेश के राइस मिलर्स के बीच अभी कस्टम मिलिंग को लेकर विवाद बना हुआ है. राइस मिलर्स को 10 रूपए प्रति क्विंटल की दर से प्रोत्साहन राशि दी जाती थी, जिसे सरकार ने बढ़ाकर 40 रूपए प्रति क्विंटल कर दिया है. इसके बाद भी मिलर्स की कुछ मांगे अधूरी रह गई है, जिसे लेकर वे सरकार के सामने अपनी ये मांगे रखने वाले हैं.
मिलर्स की प्रमुख मांगें-
- मिलिंग चार्ज में जीएसटी अभी तक नहीं मिला है, जिसकी वजह से मिलर्स को अपनी ओर से टैक्स चुकाना पड़ रहा है. ऐसे में उन्होंने जीएसटी की मांग की है.
- वर्ष 2018-19 में मिलर्स के जमा किए गए बारदानों का उपयोगिता शुल्क नहीं मिला है, जिसे देने की मांग की जा रही है.
- सहकारी समितियों में जमा किए गए बारदानों का परिवहन व्यय अभी तक नहीं मिला है.जिसका भुगतान करने की मांग है.
- संग्रहण केंद्र से धान परिवहन और नान में जमा सीएमआर चावल में s-o-r दर में हमाली शामिल नहीं की जा रही है, जो कि अनुबंध की शर्तो का उल्लंघन है. ऐसे में s-o-r में हमाली शामिल कर भुगतान दिया जाए.
- 2018-19 में पूरक बिल की पात्रता का प्रॉविजन अभी तक नहीं किया गया है.
- भारतीय खाद्य निगम में जमा किए गए चावल का परिवहन और 2008-09 से प्रोविजनल दर पर भुगतान किया जा रहा है. इसमें मिलर्स का काफी भुगतान बाकि है, जिसके भुगतान की मांग की गई है.
- मिलर्स को 2018-19 की कस्टम मिलिंग का पूरा भुगतान नहीं हुआ है. जिसे भुगतान करने की मांग की गई है.
छत्तीसगढ़ के राइस मिलर्स मंगलवार को रायपुर में प्रदेश स्तरीय बैठक करने जा रहे हैं. जिसमें मांगों को लेकर आगे की रणनीति पर चर्चा की जाएगी.