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मुंगेली : राइस मिलर्स और सरकार के बीच कई मांगों को लेकर तकरार

राइस मिलर्स और सरकार के बीच कस्टम मिलिंग को लेकर की जा रही मांगों के विषय में मिलर्स मंगलवार को चर्चा करेंगे, जिसके लिए राजधानी रायपुर में बैठक आयोजित की गई है.

rice Mill
राइस मील
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Published : Nov 26, 2019, 11:09 AM IST

Updated : Nov 26, 2019, 3:07 PM IST

मुंगेली : राइस मिलर्स और सरकार के बीच कस्टम मिलिंग को लेकर छिड़ा विवाद कम होने का नाम नहीं ले रहा है. सरकार की ओर से दी जाने वाली प्रोत्साहन राशि के बढ़ाए जाने के बाद भी राइस मिलर्स अपनी मांगों को लेकर अड़े हुए हैं. इसे लेकर जल्द ही राइस मिलर्स प्रदेश स्तरीय बैठक कर सरकार के सामने अपनी मांग रखने वाले हैं.

मांगों को लेकर तकरार

छत्तीसगढ़ प्रदेश में 1 दिसंबर से धान खरीदी की शुरुआत हो जाएगी. इसे लेकर पूरे प्रदेशभर के सहकारी समितियों में तैयारियां पूरी कर ली गई हैं. लेकिन इन सबके बीच छत्तीसगढ़ सरकार और प्रदेश के राइस मिलर्स के बीच अभी कस्टम मिलिंग को लेकर विवाद बना हुआ है. राइस मिलर्स को 10 रूपए प्रति क्विंटल की दर से प्रोत्साहन राशि दी जाती थी, जिसे सरकार ने बढ़ाकर 40 रूपए प्रति क्विंटल कर दिया है. इसके बाद भी मिलर्स की कुछ मांगे अधूरी रह गई है, जिसे लेकर वे सरकार के सामने अपनी ये मांगे रखने वाले हैं.

मिलर्स की प्रमुख मांगें-

  • मिलिंग चार्ज में जीएसटी अभी तक नहीं मिला है, जिसकी वजह से मिलर्स को अपनी ओर से टैक्स चुकाना पड़ रहा है. ऐसे में उन्होंने जीएसटी की मांग की है.
  • वर्ष 2018-19 में मिलर्स के जमा किए गए बारदानों का उपयोगिता शुल्क नहीं मिला है, जिसे देने की मांग की जा रही है.
  • सहकारी समितियों में जमा किए गए बारदानों का परिवहन व्यय अभी तक नहीं मिला है.जिसका भुगतान करने की मांग है.
  • संग्रहण केंद्र से धान परिवहन और नान में जमा सीएमआर चावल में s-o-r दर में हमाली शामिल नहीं की जा रही है, जो कि अनुबंध की शर्तो का उल्लंघन है. ऐसे में s-o-r में हमाली शामिल कर भुगतान दिया जाए.
  • 2018-19 में पूरक बिल की पात्रता का प्रॉविजन अभी तक नहीं किया गया है.
  • भारतीय खाद्य निगम में जमा किए गए चावल का परिवहन और 2008-09 से प्रोविजनल दर पर भुगतान किया जा रहा है. इसमें मिलर्स का काफी भुगतान बाकि है, जिसके भुगतान की मांग की गई है.
  • मिलर्स को 2018-19 की कस्टम मिलिंग का पूरा भुगतान नहीं हुआ है. जिसे भुगतान करने की मांग की गई है.

छत्तीसगढ़ के राइस मिलर्स मंगलवार को रायपुर में प्रदेश स्तरीय बैठक करने जा रहे हैं. जिसमें मांगों को लेकर आगे की रणनीति पर चर्चा की जाएगी.

मुंगेली : राइस मिलर्स और सरकार के बीच कस्टम मिलिंग को लेकर छिड़ा विवाद कम होने का नाम नहीं ले रहा है. सरकार की ओर से दी जाने वाली प्रोत्साहन राशि के बढ़ाए जाने के बाद भी राइस मिलर्स अपनी मांगों को लेकर अड़े हुए हैं. इसे लेकर जल्द ही राइस मिलर्स प्रदेश स्तरीय बैठक कर सरकार के सामने अपनी मांग रखने वाले हैं.

मांगों को लेकर तकरार

छत्तीसगढ़ प्रदेश में 1 दिसंबर से धान खरीदी की शुरुआत हो जाएगी. इसे लेकर पूरे प्रदेशभर के सहकारी समितियों में तैयारियां पूरी कर ली गई हैं. लेकिन इन सबके बीच छत्तीसगढ़ सरकार और प्रदेश के राइस मिलर्स के बीच अभी कस्टम मिलिंग को लेकर विवाद बना हुआ है. राइस मिलर्स को 10 रूपए प्रति क्विंटल की दर से प्रोत्साहन राशि दी जाती थी, जिसे सरकार ने बढ़ाकर 40 रूपए प्रति क्विंटल कर दिया है. इसके बाद भी मिलर्स की कुछ मांगे अधूरी रह गई है, जिसे लेकर वे सरकार के सामने अपनी ये मांगे रखने वाले हैं.

मिलर्स की प्रमुख मांगें-

  • मिलिंग चार्ज में जीएसटी अभी तक नहीं मिला है, जिसकी वजह से मिलर्स को अपनी ओर से टैक्स चुकाना पड़ रहा है. ऐसे में उन्होंने जीएसटी की मांग की है.
  • वर्ष 2018-19 में मिलर्स के जमा किए गए बारदानों का उपयोगिता शुल्क नहीं मिला है, जिसे देने की मांग की जा रही है.
  • सहकारी समितियों में जमा किए गए बारदानों का परिवहन व्यय अभी तक नहीं मिला है.जिसका भुगतान करने की मांग है.
  • संग्रहण केंद्र से धान परिवहन और नान में जमा सीएमआर चावल में s-o-r दर में हमाली शामिल नहीं की जा रही है, जो कि अनुबंध की शर्तो का उल्लंघन है. ऐसे में s-o-r में हमाली शामिल कर भुगतान दिया जाए.
  • 2018-19 में पूरक बिल की पात्रता का प्रॉविजन अभी तक नहीं किया गया है.
  • भारतीय खाद्य निगम में जमा किए गए चावल का परिवहन और 2008-09 से प्रोविजनल दर पर भुगतान किया जा रहा है. इसमें मिलर्स का काफी भुगतान बाकि है, जिसके भुगतान की मांग की गई है.
  • मिलर्स को 2018-19 की कस्टम मिलिंग का पूरा भुगतान नहीं हुआ है. जिसे भुगतान करने की मांग की गई है.

छत्तीसगढ़ के राइस मिलर्स मंगलवार को रायपुर में प्रदेश स्तरीय बैठक करने जा रहे हैं. जिसमें मांगों को लेकर आगे की रणनीति पर चर्चा की जाएगी.

Intro:मुंगेली: छत्तीसगढ़ के राइस मिलर्स और सरकार के बीच कस्टम मिलिंग को लेकर छिड़ा विवाद कम होने का नाम नहीं ले रहा है. सरकार के द्वारा राइस मिलर्स को दी जाने वाली प्रदेश सरकार की प्रोत्साहन राशि को 10 रुपये प्रति क्विंटल से वापिस फिर से बढ़ाकर 40 रुपये प्रति क्विंटल के जाने के बाद भी राइस मिलर अपनी कुछ और मांगों को लेकर अभी भी अड़े हुए हैं। जिसको लेकर राइस मिलर्स जल्द ही प्रदेश स्तरीय बैठक कर सरकार के समक्ष मजबूती से अपनी मांग रखने की तैयारी में है।


Body:छत्तीसगढ़ प्रदेश में 1 दिसंबर से धान खरीदी की शुरुआत हो जाएगी. इसको लेकर पूरे प्रदेश भर के सभी सहकारी समितियों में तैयारियां पूरी कर ली गई हैं लेकिन इन सबके बीच छत्तीसगढ़ सरकार और प्रदेश के राइस मिलर्स के पीछे अभी भी कस्टम।मिलिंग को लेकर शुरू हुआ विवाद बना हुआ है। राज्य सरकार ने बीते दिनों कैबिनेट की बैठक में अपने पूर्व के लिए गए निर्णय को पलटते हुए प्रोत्साहन राशि को एक बार फिर से यथावत कर दिया है.सरकार 40 रुपये प्रति क्विंटल की दर से राइस मिलर्स को कस्टम मिलिंग के लिए प्रोत्साहन राशि देगी. बावजूद इसके छत्तीसगढ़ राइस मिलर्स के कई मांग अभी भी अधूरे हैं जिसको लेकर राइस मिलर अभी भी अपनी मांगो को लेकर अड़े हुए हैं।मिलर्स की प्रमुख मांग है:-

* मिलिंग चार्ज में जीएसटी प्रारंभ से अभी तक अप्राप्त है मिलर्स को अपने पास से पटाना पड़ रहा है. ऐसे में अप्राप्त जीएसटी का भुगतान कराया जाए.
* वर्ष 2018-19 में मिलर्स द्वारा जमा किए गए बारदानों की उपयोगिता शुल्क अप्राप्त है जिसे देने की मांग मिलर्स कर रहे हैं।
* सहकारी समितियों में जमा किए गए बारदानों का परिवहन व्यय गतवर्ष और इस वर्ष का अभी तक अप्राप्त है.जिसका भुगतान करने की मांग है।
* संग्रहण केंद्र से धान परिवहन एवं नान में जमा सीएमआर चावल में s-o-r दर में हमाली शामिल नहीं की जा रही है जो कि अनुबंध की शर्तों का उल्लंघन है. ऐसे में s-o-r में हमाली शामिल कर भुगतान दिया जाए।
*2018-19 में पूरक बिल की पात्रता का प्रॉविजन अभी तक नहीं किया गया है।
* भारतीय खाद्य निगम में जमा किए गए चावल का परिवहन व 2008-09 से प्रोविजनल दर पर भुगतान किया जा रहा है. इसमें मिलर्स का काफी भुगतान शेष है एवं 2017-18 व 2018-19 का अभी तक अप्राप्त है. जिसके भुगतान की मांग.
* मिलर्स को 2018-18 की कस्टम मिलिंग का पूरा भुगतान नहीं हुआ है. जिसके यथाशीघ्र भुगतान की मांग भी शामिल है.


Conclusion:मिली जानकारी के मुताबिक छत्तीसगढ़ के राइस मिलर्स मंगलवार को रायपुर में प्रदेश स्तरीय बैठक करने जा रहे हैं. जिसमें मांगों को लेकर आगे की रणनीति पर चर्चा की जाएगी. गौरतलब है कि राइस मिलर्स के दबाव के बाद ही प्रदेश सरकार ने उनकी प्रोत्साहन राशि 10 रुपये प्रति क्विंटल से बढ़ाकर 40 रुपये प्रति क्विंटल की है।ये बढ़ी हुई राशि प्रदेश सरकार ने कुछ दिन पहले लिए गए अपने फैसले में कम कर दी थी।जिसके बाद प्रदेशभर के राइसमिलर्स ने मिलिंग के नाम पर हाथ खड़ा कर दिया था।जिसे फिर से यथावत कर दिया गया है।हम आपको बता दें कि इस 40 रुपये प्रति क्विंटल की प्रोत्साहन राशि मे 10 रुपये केंद्र का जबकि 30 रुपये राज्य सरकार का है।

बाइट-1-नितेश अग्रवाल (जिला सचिव,राइस मिल एसोसिएशन)

रिपोर्ट-शशांक दुबे,ईटीवी भारत मुंगेली
Last Updated : Nov 26, 2019, 3:07 PM IST
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