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द ग्रेट पॉलिटिक्स ऑफ छत्तीसगढ़ : सोनिया से मिलने दिल्ली पहुंचीं रेणु जोगी, पीसीसी चीफ मरकाम कर रहे जेसीसीजे के गढ़ का दौरा - mungeli news

एक तरफ प्रदेश की सियासत में इन दिनों कोहराम मचा हुआ है. लगभग आधी सरकार दिल्ली दौरे पर है. वहीं दूसरी तरफ छत्तीसगढ़ प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष मोहन मरकाम लगातार प्रदेश में ही रहकर दौरे कर रहे हैं.

PCC Chief Markam visiting JCCJ's citadel
पीसीसी चीफ मरकाम कर रहे जेसीसीजे के गढ़ का दौरा
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Published : Aug 27, 2021, 5:49 PM IST

मुंगेली : एक तरफ प्रदेश की सियासत में इन दिनों कोहराम मचा हुआ है. लगभग आधी सरकार दिल्ली दौरे पर है. वहीं दूसरी तरफ छत्तीसगढ़ प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष मोहन मरकाम लगातार प्रदेश में ही रहकर दौरे कर रहे हैं. मोहन मरकाम का ये दौरा ऐसे समय में हो रहा है, जब प्रदेश के सीएम पद को लेकर सियासी उठापटक का दौर जारी है. करीब 50 से अधिक विधायक और आधा दर्जन से अधिक मंत्री दिल्ली दौरे पर हैं. ऐसे समय में मोहन मरकाम का पहले मरवाही जाना, उसके बाद कोटा विधानसभा में रात रुकना फिर लोरमी पहुंचना, ये एक नई सियासत की ओर इशारा कर रहा है.

लोरमी में दिखी गुटबाजी

कोटा में रात्रि विश्राम के बाद शुक्रवार को मोहन मरकाम कोटा से लोरमी पहुंचे. यहां कांग्रेसियों ने उनका गर्मजोशी से स्वागत किया. हालांकि लोरमी से पंडरिया जाने के दौरान वह कुछ समय के लिए ही रुके, लेकिन लोरमी में भी कांग्रेसियों के बीच गुटबाजी साफ तौर पर नजर आयी. संगठन खेमे ने जहां राम्हेपुर के पास जिला अध्यक्ष सागर सिंह के नेतृत्व में स्वागत किया, वहीं कांग्रेस के विधानसभा प्रत्याशी रहे शत्रुघ्न सोनू चंद्राकर के नेतृत्व में काफी संख्या में कांग्रेसियों ने तहसील चौक के पास पीसीसी चीफ का स्वागत किया. इस तरह जमीन पर भी कांग्रेस की गुटबाजी खुलकर दिख गई.


स्वागत के लिए रुके पर मीडिया से बनाए रखी दूरी

लोरमी से गुजरने के दौरान मरकाम के दौरे की सबसे खास बात यह रही कि पीसीसी चीफ पूरे दौरे में हाल ही में गहराये विवाद पर मीडिया से कुछ भी बात करने से साफ तौर पर कतराते दिखे. लोरमी में मीडिया से पीसीसी चीफ ने बात तक नहीं की. वो जगह-जगह स्वागत करने वाले कांग्रेसियों से तो मिलने रुके, लेकिन मीडिया के किसी भी सवाल का जवाब देने से बचते रहे.


जेसीसीजे के गढ़ में सियारी दौरा

जेसीसीजे के गढ़ में पीसीसी चीफ का यह दौरा कौन-सी नई राजनैतिक दिशा तय करेगा, ये तो भविष्य के गर्भ में है. लेकिन जिस तरह से जेसीसीजे की नेता और कोटा विधायक रेणु जोगी की सोनिया गांधी से दिल्ली में मुलाकात की खबरें निकलकर आ रही हैं, उससे एक बात साफ हो रही है कि अचानक ही जेसीसीजे की कांग्रेस से नजदीकियां एक नई सियासी समीकरण की ओर इशारा कर रही हैं.

मुंगेली : एक तरफ प्रदेश की सियासत में इन दिनों कोहराम मचा हुआ है. लगभग आधी सरकार दिल्ली दौरे पर है. वहीं दूसरी तरफ छत्तीसगढ़ प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष मोहन मरकाम लगातार प्रदेश में ही रहकर दौरे कर रहे हैं. मोहन मरकाम का ये दौरा ऐसे समय में हो रहा है, जब प्रदेश के सीएम पद को लेकर सियासी उठापटक का दौर जारी है. करीब 50 से अधिक विधायक और आधा दर्जन से अधिक मंत्री दिल्ली दौरे पर हैं. ऐसे समय में मोहन मरकाम का पहले मरवाही जाना, उसके बाद कोटा विधानसभा में रात रुकना फिर लोरमी पहुंचना, ये एक नई सियासत की ओर इशारा कर रहा है.

लोरमी में दिखी गुटबाजी

कोटा में रात्रि विश्राम के बाद शुक्रवार को मोहन मरकाम कोटा से लोरमी पहुंचे. यहां कांग्रेसियों ने उनका गर्मजोशी से स्वागत किया. हालांकि लोरमी से पंडरिया जाने के दौरान वह कुछ समय के लिए ही रुके, लेकिन लोरमी में भी कांग्रेसियों के बीच गुटबाजी साफ तौर पर नजर आयी. संगठन खेमे ने जहां राम्हेपुर के पास जिला अध्यक्ष सागर सिंह के नेतृत्व में स्वागत किया, वहीं कांग्रेस के विधानसभा प्रत्याशी रहे शत्रुघ्न सोनू चंद्राकर के नेतृत्व में काफी संख्या में कांग्रेसियों ने तहसील चौक के पास पीसीसी चीफ का स्वागत किया. इस तरह जमीन पर भी कांग्रेस की गुटबाजी खुलकर दिख गई.


स्वागत के लिए रुके पर मीडिया से बनाए रखी दूरी

लोरमी से गुजरने के दौरान मरकाम के दौरे की सबसे खास बात यह रही कि पीसीसी चीफ पूरे दौरे में हाल ही में गहराये विवाद पर मीडिया से कुछ भी बात करने से साफ तौर पर कतराते दिखे. लोरमी में मीडिया से पीसीसी चीफ ने बात तक नहीं की. वो जगह-जगह स्वागत करने वाले कांग्रेसियों से तो मिलने रुके, लेकिन मीडिया के किसी भी सवाल का जवाब देने से बचते रहे.


जेसीसीजे के गढ़ में सियारी दौरा

जेसीसीजे के गढ़ में पीसीसी चीफ का यह दौरा कौन-सी नई राजनैतिक दिशा तय करेगा, ये तो भविष्य के गर्भ में है. लेकिन जिस तरह से जेसीसीजे की नेता और कोटा विधायक रेणु जोगी की सोनिया गांधी से दिल्ली में मुलाकात की खबरें निकलकर आ रही हैं, उससे एक बात साफ हो रही है कि अचानक ही जेसीसीजे की कांग्रेस से नजदीकियां एक नई सियासी समीकरण की ओर इशारा कर रही हैं.

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