मुंगेली : कोरोना संक्रमण को देखते हुए इस बार प्रदेश में जगन्नाथ रथयात्रा निकालने की अनुमति नहीं दी गई, लेकिन जिले के लोरमी स्थित शिवघाट धाम में भगवान जगन्नाथ के प्राचीनतम मंदिर में पूजा-पाठ का आयोजन किया गया. यह पहली बार है जब मुंगेली में बड़े ही सरल तरीके से पूजा-अर्चना की गई. हालांकि कोरोना वायरस के कारण हर साल की तरह इस साल रथयात्रा नहीं निकाली गई.
लोरमी में मंगलवार को भगवान जगन्नाथ के मंदिर में पूजन कार्यक्रम का आयोजन किया गया. वहीं लोरमी के शिवघाट स्थित प्रसिद्ध जगन्नाथ मंदिर से भगवान जगन्नाथ की रथयात्रा मंदिर परिसर के अंदर ही सोशल डिस्टेंसिंग के साथ निकाली गई. प्राचीन परंपरा के मुताबिक सबसे पहले भगवान जगन्नाथ और बलभद्र भगवान के साथ सुभद्रा माता की पूजा अर्चना के बाद उन्हे रथ पर सवार किया गया, जिसके बाद परिसर के अंदर ही यात्रा निकाली गई. बता दें कि इस साल कोरोना के मद्देनजर किए गए लॉकडाउन में रथयात्रा का भव्य आयोजन और नगर भ्रमण नहीं हो पाया है.
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पुलिस प्रशासन रहा तैनात
लॉकडाउन की वजह से सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करवाने के लिए पुलिस भी मंदिर में मौजूद रही. इस दौरान सरकार के दिशा-निर्देशों के तहत पूजन कार्यक्रम का आयोजन किया गया. बता दें कि इस साल कोरोना महामारी के कारण कई सालों से चली आ रही परंपरा टूटी है.
इन जिलों में स्थित मंदिरों की टूटी परंपरा
- धमतरी स्थित जगदीश मंदिर की 135 साल पुरानी परंपरा टूटी है.
- राजनांदगांव के पांडादाह स्थित जगन्नाथ मंदिर की 125 साल पुरानी परंपरा टूटी है.
- रायगढ़ स्थित जगन्नाथ मंदिर की 115 साल पुरानी परंपरा टूटी है.
- रायपुर में भी कोरोना के कारण सालों पुरानी परंपरा टूटी है.
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बता दें कि पूरे देश में 8 जून से भक्तों को मंदिर में प्रवेश की अनुमति दे दी गई है. इस साल कोरोना के मद्देनजर प्रदेश में कहीं भी जगन्नाथ रथ यात्रा निकालने की अनुमति नहीं मिली, सिर्फ ओडिशा के पुरी में ही रथ यात्रा निकालने की परमिशन मिली. सुप्रीम कोर्ट ने तमाम गाइडलाइंस के साथ ही पुरी में रथ यात्रा निकालने की अनुमति दी थी.