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एक साल भी नहीं चला 160 करोड़ की लागत से राजीव गांधी जलाशय पर बना नहर - सिंचाई विभाग

लोरमी इलाके में स्थित राजीव गांधी जलाशय का निर्माण 2012 में सिंचाई विभाग ने 160 करोड़ रुपये की लागत से शुरू कराया था. जिसमें D-1,D-2 और  D-3 एरिया में नहर लाइनिंग का काम भी कराया गया था. इसमें अभी भी कुछ काम बाकी है. करोड़ों की लागत से बनी इस नहर लाइनिंग के काम में जमकर भ्रष्टाचार का आरोप लग रहा है. स्थानीय लोगों का कहना है कि पूरे मामले की जांच सही से होने पर नीचे से लेकर ऊपर तक कई अधिकारी लपेटे में आ सकते हैं.

राजीव गांधी जलाशय पर बना नहर
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Published : Sep 26, 2019, 8:53 PM IST

मुंगेली: जिले का सबसे बड़ा राजीव गांधी (खुड़िया) जलाशय के गेट के पास नहर का एक बड़ा हिस्सा क्षतिग्रस्त हो गया है. साल भर पहले ही करोड़ों रुपये रुपये की लागत से बने डैम का एक हिस्सा गिरने से कई सवाल उठने लगे हैं. फिलहाल सुरक्षा कारणों से डैम का गेट बंद कर दिया गया है, लेकिन जानकार बताते हैं कि डैम निर्माण में भारी भ्रष्टाचार हुआ है.

एक साल भी नहीं चला 160 करोड़ की जलाशय

डैम के मुख्य गेट के नहर के पास दीवार और फ्लोर का एक बड़ा हिस्सा ढह गया है. गेट के मुंहाने के पास हुए इस डैमेज से डैम के गेट को आनन-फानन में बंद कर दिया गया है. मुख्य नहर के गेट के पास नहर क्षतिग्रस्त होने से डैम पर खतरा मंडराने लगा है. वहीं इलाके में लगातार हो रही भारी बारिश से डैम में काफी जलभराव हो गया है. डैम के एक्स्ट्रा पानी को इसी गेट से नहरों के जरिये बाहर निकालने का काम किया जाता है, लेकिन गेट का मुंहाना क्षतिग्रस्त होने से अब पानी निकासी नहीं किया जा सकेगा. जिससे इलाके में बाढ़ का खतरा भी मंडराने लगा है.

3 करोड़ में बना था क्षतिग्रस्त हिस्सा
डैम का जो हिस्सा क्षतिग्रस्त हुआ उसे सालभर पहले ही करीब 3 करोड़ रुपये की लागत से बनाया गया है. एक साल के भीतर डैम के क्षतिग्रस्त होने से कई सवाल भी उठने लगे हैं. अधिकारियों और ठेकेदारों पर निर्माण कार्य में जमकर भ्रष्टाचार का आरोप भी लग रहा है.

करोड़ों का घोटाला
लोरमी इलाके में स्थित राजीव गांधी जलाशय का निर्माण 2012 में सिंचाई विभाग ने 160 करोड़ रुपये की लागत से शुरू कराया था. जिसमें D-1,D-2 और D-3 एरिया में नहर लाइनिंग का काम भी कराया गया था. इसमें अभी भी कुछ काम बाकी है. करोड़ों की लागत से बनी इस नहर लाइनिंग के काम में जमकर भ्रष्टाचार का आरोप लग रहा है. स्थानीय लोगों का कहना है कि पूरे मामले की जांच सही से होने पर नीचे से लेकर ऊपर तक कई अधिकारी लपेटे में आ सकते हैं.

कलेक्टर के नहीं है मामले की जानकारी
इधर, डैम बंद होने और नहर क्षतिग्रस्त होनी की खबर जिले के कलेक्टर को भी नहीं है. कलेक्टर से जब ETV भारत ने बात की तो उन्होंने बताया कि उन्हें फिलहाल मामले की जानकारी नहीं है. वे संबंधित विभाग के अधिकारियों से बात कर रहे हैं. इसके बाद ही वे मामले में कुछ बोल पाएंगे.

मुंगेली: जिले का सबसे बड़ा राजीव गांधी (खुड़िया) जलाशय के गेट के पास नहर का एक बड़ा हिस्सा क्षतिग्रस्त हो गया है. साल भर पहले ही करोड़ों रुपये रुपये की लागत से बने डैम का एक हिस्सा गिरने से कई सवाल उठने लगे हैं. फिलहाल सुरक्षा कारणों से डैम का गेट बंद कर दिया गया है, लेकिन जानकार बताते हैं कि डैम निर्माण में भारी भ्रष्टाचार हुआ है.

एक साल भी नहीं चला 160 करोड़ की जलाशय

डैम के मुख्य गेट के नहर के पास दीवार और फ्लोर का एक बड़ा हिस्सा ढह गया है. गेट के मुंहाने के पास हुए इस डैमेज से डैम के गेट को आनन-फानन में बंद कर दिया गया है. मुख्य नहर के गेट के पास नहर क्षतिग्रस्त होने से डैम पर खतरा मंडराने लगा है. वहीं इलाके में लगातार हो रही भारी बारिश से डैम में काफी जलभराव हो गया है. डैम के एक्स्ट्रा पानी को इसी गेट से नहरों के जरिये बाहर निकालने का काम किया जाता है, लेकिन गेट का मुंहाना क्षतिग्रस्त होने से अब पानी निकासी नहीं किया जा सकेगा. जिससे इलाके में बाढ़ का खतरा भी मंडराने लगा है.

3 करोड़ में बना था क्षतिग्रस्त हिस्सा
डैम का जो हिस्सा क्षतिग्रस्त हुआ उसे सालभर पहले ही करीब 3 करोड़ रुपये की लागत से बनाया गया है. एक साल के भीतर डैम के क्षतिग्रस्त होने से कई सवाल भी उठने लगे हैं. अधिकारियों और ठेकेदारों पर निर्माण कार्य में जमकर भ्रष्टाचार का आरोप भी लग रहा है.

करोड़ों का घोटाला
लोरमी इलाके में स्थित राजीव गांधी जलाशय का निर्माण 2012 में सिंचाई विभाग ने 160 करोड़ रुपये की लागत से शुरू कराया था. जिसमें D-1,D-2 और D-3 एरिया में नहर लाइनिंग का काम भी कराया गया था. इसमें अभी भी कुछ काम बाकी है. करोड़ों की लागत से बनी इस नहर लाइनिंग के काम में जमकर भ्रष्टाचार का आरोप लग रहा है. स्थानीय लोगों का कहना है कि पूरे मामले की जांच सही से होने पर नीचे से लेकर ऊपर तक कई अधिकारी लपेटे में आ सकते हैं.

कलेक्टर के नहीं है मामले की जानकारी
इधर, डैम बंद होने और नहर क्षतिग्रस्त होनी की खबर जिले के कलेक्टर को भी नहीं है. कलेक्टर से जब ETV भारत ने बात की तो उन्होंने बताया कि उन्हें फिलहाल मामले की जानकारी नहीं है. वे संबंधित विभाग के अधिकारियों से बात कर रहे हैं. इसके बाद ही वे मामले में कुछ बोल पाएंगे.

Intro:एक्सक्लूसिव
मुंगेली- जिले के सबसे बड़े बांध राजीव गांधी (खुड़िया) जलाशय के गेट के पास नहर का एक बड़ा हिस्सा क्षतिग्रस्त हो गया है।साल भर पहले करोड़ो रुपयों की लागत से बने डेम के इस हिस्से के ढहने से बड़े भ्रष्टाचार का खुलासा हो गया।वहीं सुरक्षा कारणों से डेम के गेट बंद कर दिए गए हैं।Body:लोरमी के राजीवगांधी जलाशय से एक बड़ी खबर निकल कर आ रही है। इस डेम के मुख्य गेट के नहर के पास दीवार और फ्लोर का एक बड़ा हिस्सा ढ़ह गया है। गेट के मुंहानें के पास हुए इस डेमेज से डेम के गेट को आनन-फानन में बंद कर दिया गया है। मुख्य नहर के गेट के पास हुए इस दुर्घटना से डेम पर खतरा मंडरानें लगा है। इलाकें में लगातार हो रही भारी बारिश से डेम में काफी जलभराव हो गया है। ऐसे में डेम के एक्स्ट्रा पानी को इसी गेट से नहरों के जरिये बाहर निकालनें का काम किया जाता है। लेकिन गेट का मुंहाना का हिस्सा क्षतिग्रस्त होनें से अब पानी निकासी नही किया जा सकेगा। हम आपकों बता दें कि जिस जगह पर डेम का हिस्सा क्षतिग्रस्त हुआ है। इसे सालभर पहले ही लगभग 3 करोड़ रुपये खर्च कर बनाया गया है। अधिकारियों औऱ ठेकेदारों की मिलीभगत से निर्माण काम में जमकर भ्रष्टाचार किया गया है। जिसका नतीजा ये रहा है कि पहली ही बरसात में निर्माण कार्यों की पोल खुल गई। वहीं गेट के बंद होनें से आनें वाले दिनों में किसानों कोे नहरों के जरिये पानी मिलनें की संभावना कम है।Conclusion:करोड़ो का घोटाला
जिले के लोरमी इलाके में स्थित राजीवगांधी जलाशय (खुड़िया बांध) में वर्ष 2012 में सिंचाई विभाग के द्वारा लगभग 160 करोड़ के करीब नहर लाइनिंग के कामों को स्वीकृति मिली।जिसमे D-1,D-2 व D-3 एरिया में नहर लाइनिंग के काम कराये गए।जिसका कुछ काम अभी भी जारी है।करोड़ो के इस नहर लाइनिंग के काम मे जमकर भ्रष्टाचार किया गया।कई किलोमीटर हुए लाइनिंग के काम में ऐसी कोई जगह नही है जहां लाइनिंग का काम क्षतिग्रस्त नही होगा। सही तरीके से पूरे मामले की जांच होने पर प्रदेश का एक बड़ा घोटाला उजागर हो सकता है।जिसमे नीचे से लेकर ऊपर तक कई अधिकारी लपेटे में आ सकते हैं।देखना होगा कि इस खुलासे के बाद सरकार कब तक इस पर गौर फरमाती है।

क्या कहते हैं जिले के कलेक्टर
पुरे मामले पर जब जिले के कलेक्टर से बात की गई तो वो इस तरह की जानकारी नही होनें और संबंधित विभाग के अधिकारियों से बात करनें के बाद भी कुछ कह पानें की बात कह रहे हैं। बाइट-1-डॉ सर्वेश्वर नरेंद्र भूरे (कलेक्टर,मुंगेली)

रिपोर्ट-शशांक दुबे,ईटीवी भारत मुंगेली
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