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Achanakmar Tiger Reserve: मुंगेली का एटीआर बनता जा रहा आकर्षण का केंद्र, जंगली जानवर देखने जुट रहे पर्यटक

बिलासपुर संभाग का सबसे बड़ा और पर्यटकों का पसंदीदा पर्यटन स्थल अचानकमार टाइगर रिजर्व है. यह बिलासपुर, मुंगेली और जीपीएम जिले के बीच स्थित है. यंहा मनमोहक दृश्य और नैसर्गिक सौंदर्य से पूरा अचानकमार टाइगर रिजर्व का जंगल समृद्ध है. एटीआर को 2007 में बायोस्फीयर रिजर्व भी घोषित किया गया था. यहा बाघों की संख्या भी अच्छी खासी है. पिछले दिनों जंगल की सुरक्षा में लगे पैदल गार्ड को टाइगर भी नजर आया था जिसकी तस्वीर भी खिंची गई है. देश के 39 टाइगर रिजर्व में एटीआर की गिनती होती है.

Achanakmar Tiger Reserve
एटीआर बनता जा रहा पर्यटन का केंद्र
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Published : Mar 12, 2023, 9:51 PM IST

Updated : Mar 13, 2023, 2:53 PM IST

एटीआर बनता जा रहा पर्यटन का केंद्र

मुंगेली/ बिलासपुर: गर्मी के मौसम की शुरुआत होते ही मुंगेली जिला के अचानकमार टाइगर रिजर्व में पर्यटकों की भीड़ जुटने लगी है. जंगल मे हिरणों, बारहसिंघा, बाइसन, और अन्य जंगली जानवर के झुंड अब नजर आने लगे हैं. बारिश शुरू होते ही जंगली जानवरों का झुंड सुदूर जंगल में चले जाते है, जहां वो मेटिंग कर बच्चो को जन्म देते हैं. ठंडी के मौसम भर बच्चों को अच्छा चारा चरा कर बड़ा करते हैं.

पर्यटकों के लिए बेहतर व्यवस्था कर रहा वन विभाग: गर्मी का मौसम शुरू होते ही जानवरों का झुंड सुदूर जंगलों से पानी की तलाश में निकलता है. सभी पानी पीने नदियों के किनारे पहुंचने लगते हैं. जानवरों के नजर आते झुंड में शावक और मेमने भी होते हैं, जो झुंड की संख्या बढ़ा रहे है. इस नजारे के लिए पर्यटकों के दल एटीआर पहुंच रहे हैं. जानवरों को पानी पीते और नदी पार करते देखना अद्भुत होता है. जिसे देखते हुए वन विभाग भी पर्यटकों के लिए बेहतर व्यवस्था कर रहा है.

कान्हा, पेंच और बांधवगढ़ के बाघ आते हैं एटीआर: अचानकमार टाइगर रिजर्व में जंगली जानवरों की भरमार है. यहां अलग अलग प्रजाति के साथ ही हिरणों की कई प्रजातियां रहती हैं. इनका प्राकृतिक रहवास अचानकमार टाइगर रिजर्व होने के साथ ही बाघों के लिए यह स्वर्ग साबित होता है. यहां हिरणों की बहुतायत संख्या है. इसी कारण कान्हा नेशनल पार्क और बांधवगढ़ नेशनल पार्क के साथ पेंच नेशनल पार्क के बाघ शिकार के लिए यहां पहुंचते हैं.

यह भी पढ़ें: world sparrow day 2023: आखिर क्यों मनाया जाता है विश्व गौरैया दिवस, क्या है इसका महत्व

जंगली जानवरों का है प्राकृतिक रहवास: यहां जंगली जानवरों में सबसे ज्यादा पाए जाने वाले जानवर उड़न गिलहरी, गौर, बाघ, बाइसन, तेंदुआ,जंगली सुअर, हिरण, लकड़बग्घा, भालू, पाए जाते हैं. इसके अलावा सियार, चौसिंग्घा, मृग, चिंकारा के अलावा 50 प्रकार के स्तनधारी जीव और दो सौ से भी ज्यादा विभिन्न प्रजीतियों के पक्षी का एटीआर प्राकृतिक रहवास है.

इलाकों की जानकारी देता है झुंड का लीडर: इसके अलावा वाइल्ड लाइफ एक्सपर्ट शिरीष डामरे कहते है कि "गर्मी में जंगली जानवर सुदूर जंगल से बाहर आते हैं. नए चारागाह के साथ पुराने चारागाह की पहचान कराने झुंड का नेता मेमनों के साथ पूरे झुंड को लेकर निकलता है. बारिश और ठंड में जंगली जानवर एक ही क्षेत्र में सिमट कर रह जाते हैं. लेकिन गर्मी में ये दोबारा अपने इलाको में विचरण कर पहले तो नए पैदा हुए बच्चों को अपने इलाकों की जानकारी देते हैं. दूसरा अपने इलाके में पेशाब कर अपनी पहचान लगाते हैं, ताकि कोई दूसरा जानवरों का झुंड उनके इलाके में रहवास न बना सके.

एटीआर बनता जा रहा पर्यटन का केंद्र

मुंगेली/ बिलासपुर: गर्मी के मौसम की शुरुआत होते ही मुंगेली जिला के अचानकमार टाइगर रिजर्व में पर्यटकों की भीड़ जुटने लगी है. जंगल मे हिरणों, बारहसिंघा, बाइसन, और अन्य जंगली जानवर के झुंड अब नजर आने लगे हैं. बारिश शुरू होते ही जंगली जानवरों का झुंड सुदूर जंगल में चले जाते है, जहां वो मेटिंग कर बच्चो को जन्म देते हैं. ठंडी के मौसम भर बच्चों को अच्छा चारा चरा कर बड़ा करते हैं.

पर्यटकों के लिए बेहतर व्यवस्था कर रहा वन विभाग: गर्मी का मौसम शुरू होते ही जानवरों का झुंड सुदूर जंगलों से पानी की तलाश में निकलता है. सभी पानी पीने नदियों के किनारे पहुंचने लगते हैं. जानवरों के नजर आते झुंड में शावक और मेमने भी होते हैं, जो झुंड की संख्या बढ़ा रहे है. इस नजारे के लिए पर्यटकों के दल एटीआर पहुंच रहे हैं. जानवरों को पानी पीते और नदी पार करते देखना अद्भुत होता है. जिसे देखते हुए वन विभाग भी पर्यटकों के लिए बेहतर व्यवस्था कर रहा है.

कान्हा, पेंच और बांधवगढ़ के बाघ आते हैं एटीआर: अचानकमार टाइगर रिजर्व में जंगली जानवरों की भरमार है. यहां अलग अलग प्रजाति के साथ ही हिरणों की कई प्रजातियां रहती हैं. इनका प्राकृतिक रहवास अचानकमार टाइगर रिजर्व होने के साथ ही बाघों के लिए यह स्वर्ग साबित होता है. यहां हिरणों की बहुतायत संख्या है. इसी कारण कान्हा नेशनल पार्क और बांधवगढ़ नेशनल पार्क के साथ पेंच नेशनल पार्क के बाघ शिकार के लिए यहां पहुंचते हैं.

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जंगली जानवरों का है प्राकृतिक रहवास: यहां जंगली जानवरों में सबसे ज्यादा पाए जाने वाले जानवर उड़न गिलहरी, गौर, बाघ, बाइसन, तेंदुआ,जंगली सुअर, हिरण, लकड़बग्घा, भालू, पाए जाते हैं. इसके अलावा सियार, चौसिंग्घा, मृग, चिंकारा के अलावा 50 प्रकार के स्तनधारी जीव और दो सौ से भी ज्यादा विभिन्न प्रजीतियों के पक्षी का एटीआर प्राकृतिक रहवास है.

इलाकों की जानकारी देता है झुंड का लीडर: इसके अलावा वाइल्ड लाइफ एक्सपर्ट शिरीष डामरे कहते है कि "गर्मी में जंगली जानवर सुदूर जंगल से बाहर आते हैं. नए चारागाह के साथ पुराने चारागाह की पहचान कराने झुंड का नेता मेमनों के साथ पूरे झुंड को लेकर निकलता है. बारिश और ठंड में जंगली जानवर एक ही क्षेत्र में सिमट कर रह जाते हैं. लेकिन गर्मी में ये दोबारा अपने इलाको में विचरण कर पहले तो नए पैदा हुए बच्चों को अपने इलाकों की जानकारी देते हैं. दूसरा अपने इलाके में पेशाब कर अपनी पहचान लगाते हैं, ताकि कोई दूसरा जानवरों का झुंड उनके इलाके में रहवास न बना सके.

Last Updated : Mar 13, 2023, 2:53 PM IST
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