मनेन्द्रगढ़ चिरमिरी भरतपुर: भरतपुर सोनहत से कांग्रेस विधायक गुलाब कमरो की परेशानी कम होने का नाम नहीं ले रही. विधायक की पत्नी लीलावती का गरीबी रेखा में राशन कार्ड का मामला सामने आने के बाद पत्नी को सरकारी मानदेय देने का मामला सामने आया है. इतना ही नहीं विधायक की बहन उषा सिंह करियाम के मानदेय का खुलासा हुआ है. उन पर सरकार से मानदेय लेने का आरोप लगा है. एक जिला पंचायत सदस्य का मानदेय तो दूसरा स्वास्थ्य विभाग में विकासखंड समन्वयक का मानदेय. इधर, विधायक की पत्नी सरकार से मितानिन का मानदेय ले रही थी.
रेणुका सिंह ने साधा निशाना: इस पूरे मामले की जानकारी के बाद केन्द्रीय मंत्री रेणुका सिंह ने विधायक पर निशाना साधा है.भरतपुर सोनहत से भाजपा प्रत्याशी रेणुका सिंह ने कहा कि, "कांग्रेस विधायक गुलाब कमरो ने 5 सालों में भरतपुर सोनहत विधानसभा क्षेत्र का नहीं खुद का और अपने परिवार का विकास किया है. 5 साल में विधायक की संपत्ति कई गुना बढ़ी है. उनकी पत्नी जो खुद व्यवसायी भी हैं और मितानिन का मानदेय ले रही है. बहन जो जिला पंचायत सदस्य हैं, वो जिला पंचायत सदस्य के साथ ही विकासखंड समन्वयक का भी पैसा सरकार से ले रही है. पैन कार्ड धारी होने के बाद भी विधायक की पत्नी के नाम पर गरीबी रेखा का राशनकार्ड बना होना, यह बताता है कि किस तरह विधायक और उनका परिवार गरीबों का राशन डकार रहे हैं. 17 नवम्बर को भरतपुर सोनहत विधानसभा क्षेत्र की जनता विधायक को सबक सिखाने के लिए मतदान करेगी."
विधायक ने दी सफाई: वहीं, इस पूरे मामले में विधायक गुलाब कमरो ने कहा है कि, " ऐसी कोई बात नहीं है. मेरी पत्नी मितानिन थी लेकिन रिजाइन दे दी. बहन की शादी के बाद हमारे परिवार में उसका आना जाना नहीं है." उन्होंने दो-दो जगह मानदेय लेने के सवाल पर कहा कि "मितानिन वाला समाजसेवी संस्था है. सरकारी नौकरी नहीं है."
जानिए पूरा मामला: दरअसल, विधायक गुलाब कमरो ने जो शपथ पत्र निवार्चन आयोग को दिया है, उसमें पत्नी के मितानिन होने की जानकारी छिपाई गई है. शपथ पत्र के मुताबिक विधायक ने अपनी पत्नी को व्यवसायी बताया है. विधायक गुलाब कमरो की पत्नी मेसर्स पूजा एग्री एंड एलाइड की मालकिन बताई गई है. इसके मुताबिक वो आईटीआर भी भर रही है. ऐसे में सवाल यह उठता है कि एक फर्म की मालकिन होने के बाद भी विधायक की पत्नी सरकार से मितानिन का मानदेय कैसे ले रही है? वहीं, विधायक की बहन जो जिला पंचायत सदस्य हैं. उषा सिंह करियाम भी सरकार से डबल मानदेय ले रही हैं. एक मानदेय जिला पंचायत सदस्य का तो दूसरा मानदेय मितानिन कार्यक्रम में विकासखंड समन्वयक होने का. ऐसे में साफ पता चलता है कि विधायक की पत्नी और बहन सरकारी पैसे ऐंठ रही हैं.
5 सालों में 21 गुना बढ़ी संपत्ति: गुलाब कमरो के साल 2018 के शपथ पत्र के मुताबिक उनकी पत्नी 2018 में गृहणी थी. न तो उनके नाम का कोई पैन कार्ड था और ना ही उनके नाम पर कोई फर्म था. विधायक की पत्नी के पास साल 2018 में 2 लाख 91 हजार 704 रुपए थे. अब साल 2023 में विधायक की पत्नी के पास 42 लाख 16 हजार 536 रुपये हैं. मतलब विधायक की पत्नी की संपत्ति इन 5 सालों में 21 गुना बढ़ गई. फिर भी वह गरीबी रेखा राशनकार्ड से राशन ले रही हैं.