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शर्मसार इंसानियत: पति की लाश के पास प्लेटफार्म पर घंटों बैठी रही महिला, कोरोना के डर से किसी ने नहीं की मदद

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Published : Apr 19, 2021, 10:11 PM IST

Updated : Apr 20, 2021, 2:41 PM IST

महासमुंद रेलवे स्टेशन में एक शख्स अचानक बेसुध होकर गिर गया. उसकी पत्नी ने उसे उठाने की कोशिश की, लेकिन उठा नहीं पाई. पति की मौत हो चुकी थी. पत्नी ने आसपास के लोगों से मदद की गुहार लगाई. कोरोना के डर से किसी ने मदद का हाथ नहीं बढ़ाया. बेबसी और मजबूरी में महिला 4 घंटे से ज्यादा अपने पति की लाश को लेकर वहीं स्टेशन पर बैठी रही.

Wife sitting for 3 hours near dead body of husband
पति की लाश के पास घंटों बैठी रही पत्नी

महासमुंद: कोरोना का खौफ ऐसा कि इंसान अपने मानवीय मूल्य को भी भूल चुका है. ये खबर कुछ ऐसी है, यहां एक बेबस, बेसहारा और लाचार महिला अपने पति की लाश के साथ 4 घंटे तक महासमुंद रेलवे स्टेशन के प्लेटफार्म पर बैठी रही, लेकिन किसी ने मदद का हाथ नहीं बढ़ाया. कोरोना के डर ने इंसानियत को इतना मार दिया कि 4 घंटे से पति की लाश लेकर बैठी महिला के किसी ने पानी तक नहीं दिया. तस्वीरें रूह तक कंपा देने वाली है. इस दौरान कई जिम्मेदार भी आये, लेकिन महिला से कुछ भी पूछने तक की जहमत नहीं उठा पाये. आरपीएफ से मदद की गुहार लगाई गई, लेकिन किसी को इससे कोई फर्क नहीं पड़ा.

हालांकि 4 घंटे बाद कोतवाली पुलिस मौके पर पहुंची और एक एंबुलेंस की व्यवस्था कर शव को वहां से अस्पताल ले जाया गया. जहां कोरोना जांच और पोस्टमार्टम के बाद शव को उनके परिजनों को सौंप दी गई. जिसके बाद शव का अंतिम संस्कार किया गया.

Wife sitting for 3 hours near dead body of husband
भलेसर मुक्तिधाम में किया गया अंतिम संस्कार

अपने राज्य में नहीं करने दिया एंट्री

ओडिशा के केसिंगा के रहने वाले चेयरमेन मांझी अपनी पत्नी दुलारी बाई के साथ छत्तीसगढ़ के महासमुंद जिले के खरोरो में एक पोल्ट्री फॉर्म में काम करते थे. लॉकडाउन के दौरान पोल्ट्री फॉर्म के संचालक ने अपनी कार से चेयरमेन मांझी और उसकी पत्नी को घर पहुंचाने की व्यवस्था की थी. शनिवार दोपहर 12 बजे फार्म संचालक के ड्राइवर तरुण यादव के साथ दोनों ओडिशा अपने गांव के लिए निकले थे. लेकिन ओडिशा के खरियार रोड की सीमा पर ओडिशा प्रशासन और पुलिस ने एंट्री देने से मना कर दिया.

अंतहीन दर्द: दुर्ग में कोरोना से मौत के बाद डेड बॉडी के लिए परिजन भटकने को मजबूर

रेलवे स्टेशन पर अचानक हो गई मौत

ओडिशा में घुसने देने से मना करने पर ड्राइवर दोनों को लेकर महासमुंद रेलवे स्टेशन पहुंचा. जहां ट्रेन के जरिए दोनों को उनके गांव के लिए रवाना किया जाना था. दोपहर 2:30 बजे सभी स्टेशन पहुंचे. यहां बैठकर पति-पत्नी ने खाना खाया. कुछ देर बाद चेयरमेन मांझी अचानक बेसुध होकर गिर गया. पत्नी दुलारी बाई ने उसे उठाने की काफी कोशिस की, लेकिन चेयरमेन मांझी नहीं उठा. चेयरमेन मांझी की मौत हो चुकी थी. दुलारी बाई ने आसपास के लोगों और आरपीएफ से मदद मांगी, लेकिन किसी ने कोई मदद नहीं की. इसके बाद पत्नी बेसुध होकर पति की लाश के पास ही बैठ गई और 4 घंटे तक वहीं बैठी रही.

भलेसर मुक्तिधाम में किया गया अंतिम संस्कार

आसपास के लोगों ने डॉयल 108 और 112 को फोन कर घटना की जानकारी दी. सूचना पर दोनों टीमें मौके पर पहुंची, लेकिन कुछ देर बाद बिना कोई मदद वापस चली गई. आखिरकार शाम 6:30 बजे कोतवाली की टीम एक एंबुलेंस बुलाई और शव को जिला अस्पताल लेकर गई. बाद में परिजन जिला अस्पताल पंहुचे. सुबह कोरोना टेस्ट और पोस्टमार्टम के बाद जिला अस्पताल की टीम शव को अंतिम संस्कार के लिए भलेसर रोड स्थित मुक्ति धाम लेकर गई. जहां उनके बेटे नितिन मांझी ने पिता को मुखाग्नि दी.

महासमुंद: कोरोना का खौफ ऐसा कि इंसान अपने मानवीय मूल्य को भी भूल चुका है. ये खबर कुछ ऐसी है, यहां एक बेबस, बेसहारा और लाचार महिला अपने पति की लाश के साथ 4 घंटे तक महासमुंद रेलवे स्टेशन के प्लेटफार्म पर बैठी रही, लेकिन किसी ने मदद का हाथ नहीं बढ़ाया. कोरोना के डर ने इंसानियत को इतना मार दिया कि 4 घंटे से पति की लाश लेकर बैठी महिला के किसी ने पानी तक नहीं दिया. तस्वीरें रूह तक कंपा देने वाली है. इस दौरान कई जिम्मेदार भी आये, लेकिन महिला से कुछ भी पूछने तक की जहमत नहीं उठा पाये. आरपीएफ से मदद की गुहार लगाई गई, लेकिन किसी को इससे कोई फर्क नहीं पड़ा.

हालांकि 4 घंटे बाद कोतवाली पुलिस मौके पर पहुंची और एक एंबुलेंस की व्यवस्था कर शव को वहां से अस्पताल ले जाया गया. जहां कोरोना जांच और पोस्टमार्टम के बाद शव को उनके परिजनों को सौंप दी गई. जिसके बाद शव का अंतिम संस्कार किया गया.

Wife sitting for 3 hours near dead body of husband
भलेसर मुक्तिधाम में किया गया अंतिम संस्कार

अपने राज्य में नहीं करने दिया एंट्री

ओडिशा के केसिंगा के रहने वाले चेयरमेन मांझी अपनी पत्नी दुलारी बाई के साथ छत्तीसगढ़ के महासमुंद जिले के खरोरो में एक पोल्ट्री फॉर्म में काम करते थे. लॉकडाउन के दौरान पोल्ट्री फॉर्म के संचालक ने अपनी कार से चेयरमेन मांझी और उसकी पत्नी को घर पहुंचाने की व्यवस्था की थी. शनिवार दोपहर 12 बजे फार्म संचालक के ड्राइवर तरुण यादव के साथ दोनों ओडिशा अपने गांव के लिए निकले थे. लेकिन ओडिशा के खरियार रोड की सीमा पर ओडिशा प्रशासन और पुलिस ने एंट्री देने से मना कर दिया.

अंतहीन दर्द: दुर्ग में कोरोना से मौत के बाद डेड बॉडी के लिए परिजन भटकने को मजबूर

रेलवे स्टेशन पर अचानक हो गई मौत

ओडिशा में घुसने देने से मना करने पर ड्राइवर दोनों को लेकर महासमुंद रेलवे स्टेशन पहुंचा. जहां ट्रेन के जरिए दोनों को उनके गांव के लिए रवाना किया जाना था. दोपहर 2:30 बजे सभी स्टेशन पहुंचे. यहां बैठकर पति-पत्नी ने खाना खाया. कुछ देर बाद चेयरमेन मांझी अचानक बेसुध होकर गिर गया. पत्नी दुलारी बाई ने उसे उठाने की काफी कोशिस की, लेकिन चेयरमेन मांझी नहीं उठा. चेयरमेन मांझी की मौत हो चुकी थी. दुलारी बाई ने आसपास के लोगों और आरपीएफ से मदद मांगी, लेकिन किसी ने कोई मदद नहीं की. इसके बाद पत्नी बेसुध होकर पति की लाश के पास ही बैठ गई और 4 घंटे तक वहीं बैठी रही.

भलेसर मुक्तिधाम में किया गया अंतिम संस्कार

आसपास के लोगों ने डॉयल 108 और 112 को फोन कर घटना की जानकारी दी. सूचना पर दोनों टीमें मौके पर पहुंची, लेकिन कुछ देर बाद बिना कोई मदद वापस चली गई. आखिरकार शाम 6:30 बजे कोतवाली की टीम एक एंबुलेंस बुलाई और शव को जिला अस्पताल लेकर गई. बाद में परिजन जिला अस्पताल पंहुचे. सुबह कोरोना टेस्ट और पोस्टमार्टम के बाद जिला अस्पताल की टीम शव को अंतिम संस्कार के लिए भलेसर रोड स्थित मुक्ति धाम लेकर गई. जहां उनके बेटे नितिन मांझी ने पिता को मुखाग्नि दी.

Last Updated : Apr 20, 2021, 2:41 PM IST
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