महासमुंद: कोरोना का खौफ ऐसा कि इंसान अपने मानवीय मूल्य को भी भूल चुका है. ये खबर कुछ ऐसी है, यहां एक बेबस, बेसहारा और लाचार महिला अपने पति की लाश के साथ 4 घंटे तक महासमुंद रेलवे स्टेशन के प्लेटफार्म पर बैठी रही, लेकिन किसी ने मदद का हाथ नहीं बढ़ाया. कोरोना के डर ने इंसानियत को इतना मार दिया कि 4 घंटे से पति की लाश लेकर बैठी महिला के किसी ने पानी तक नहीं दिया. तस्वीरें रूह तक कंपा देने वाली है. इस दौरान कई जिम्मेदार भी आये, लेकिन महिला से कुछ भी पूछने तक की जहमत नहीं उठा पाये. आरपीएफ से मदद की गुहार लगाई गई, लेकिन किसी को इससे कोई फर्क नहीं पड़ा.
हालांकि 4 घंटे बाद कोतवाली पुलिस मौके पर पहुंची और एक एंबुलेंस की व्यवस्था कर शव को वहां से अस्पताल ले जाया गया. जहां कोरोना जांच और पोस्टमार्टम के बाद शव को उनके परिजनों को सौंप दी गई. जिसके बाद शव का अंतिम संस्कार किया गया.
अपने राज्य में नहीं करने दिया एंट्री
ओडिशा के केसिंगा के रहने वाले चेयरमेन मांझी अपनी पत्नी दुलारी बाई के साथ छत्तीसगढ़ के महासमुंद जिले के खरोरो में एक पोल्ट्री फॉर्म में काम करते थे. लॉकडाउन के दौरान पोल्ट्री फॉर्म के संचालक ने अपनी कार से चेयरमेन मांझी और उसकी पत्नी को घर पहुंचाने की व्यवस्था की थी. शनिवार दोपहर 12 बजे फार्म संचालक के ड्राइवर तरुण यादव के साथ दोनों ओडिशा अपने गांव के लिए निकले थे. लेकिन ओडिशा के खरियार रोड की सीमा पर ओडिशा प्रशासन और पुलिस ने एंट्री देने से मना कर दिया.
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रेलवे स्टेशन पर अचानक हो गई मौत
ओडिशा में घुसने देने से मना करने पर ड्राइवर दोनों को लेकर महासमुंद रेलवे स्टेशन पहुंचा. जहां ट्रेन के जरिए दोनों को उनके गांव के लिए रवाना किया जाना था. दोपहर 2:30 बजे सभी स्टेशन पहुंचे. यहां बैठकर पति-पत्नी ने खाना खाया. कुछ देर बाद चेयरमेन मांझी अचानक बेसुध होकर गिर गया. पत्नी दुलारी बाई ने उसे उठाने की काफी कोशिस की, लेकिन चेयरमेन मांझी नहीं उठा. चेयरमेन मांझी की मौत हो चुकी थी. दुलारी बाई ने आसपास के लोगों और आरपीएफ से मदद मांगी, लेकिन किसी ने कोई मदद नहीं की. इसके बाद पत्नी बेसुध होकर पति की लाश के पास ही बैठ गई और 4 घंटे तक वहीं बैठी रही.
भलेसर मुक्तिधाम में किया गया अंतिम संस्कार
आसपास के लोगों ने डॉयल 108 और 112 को फोन कर घटना की जानकारी दी. सूचना पर दोनों टीमें मौके पर पहुंची, लेकिन कुछ देर बाद बिना कोई मदद वापस चली गई. आखिरकार शाम 6:30 बजे कोतवाली की टीम एक एंबुलेंस बुलाई और शव को जिला अस्पताल लेकर गई. बाद में परिजन जिला अस्पताल पंहुचे. सुबह कोरोना टेस्ट और पोस्टमार्टम के बाद जिला अस्पताल की टीम शव को अंतिम संस्कार के लिए भलेसर रोड स्थित मुक्ति धाम लेकर गई. जहां उनके बेटे नितिन मांझी ने पिता को मुखाग्नि दी.