महासमुंद: जिले के बावनकेरा में मनाया जाने वाला सालाना उर्स एकता और आपसी भाईचारे की मिसाल पेश करता है. गांव और शहर से सभी धर्मों के लोग यहां पूरे उत्साह के साथ उर्स मनाते हैं. 2 दिनों तक चलने वाले इस उर्स की शुरुआत संदल चादर चढ़ाने के साथ शुरू होती है. 2 दिनों में यहां लगभग 40 संदल चादरें चढ़ती हैं. वहीं एक लाख से ज्यादा श्रद्धालु यहां आते हैं. जहां दुआओं में विश्व शांति के लिए नमाज अदा की जाती है.
बता दें कि महासमुंद से 35 किलोमीटर दूर बावन केरा गांव में स्थित हजरत सैयद जाकिर शाह कादरी रहमतुल्ला का 62वां उर्स बड़े ही धूमधाम से मनाया गया है. मुस्लिम समुदाय के साथ-साथ उसमें हिंदू ,सिख, इसाई सभी धर्मों के लोग दूर-दूर से सालाना उर्स में जलसे में शामिल होने के लिए आए. उर्स की एकता कौमी एकता की एक अनूठी मिसाल पेश करती हैं. जहां बावन केरा में हिंदुओं और मुस्लिमों की आबादी करीब बराबर है. वहीं हजारों की संख्या वाले इस गांव में हिंदू समुदाय के लोग मुस्लिमों के त्योहारों में बढ़-चढ़कर हिस्सा लेते हैं.
हर मुराद होती है पूरी
महासमुंद के दरगाह की विशेष मान्यता है दूर-दूर से लोग माथा टेकने अपनी मन्नत पूरी करने की दुआ मांगने आते हैं. केरा दरगाह में यह भी मान्यता है कि लोग अपने जगह से पैदल पदयात्रा करते हुए इस दरगाह तक पहुंचते हैं. जैसे रायपुर, आरंग, भिलाई, दुर्ग, महासमुंद, खरियार रोड बागबाहरा, पिथौरा, झलप अन्य शहरों से भी लोग पैदल आते हैं. दरगाह की विशेष मान्यता है कि यहां दंपत्ति अपने संतान की मुराद लेकर पहुंचते हैं.