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सिरपुर में खुदाई के दौरान निकले बौद्ध विहार को जानने के लिए अध्ययन यात्रा - नागार्जुन फाउंडेशन के सचिव

महासमुंद के सिरपुर में नागार्जुन फाउंडेशन ने पुरातत्वविदों और बौद्ध विद्वानों के साथ अध्ययन यात्रा का आयोजन किया. प्रदेश के करीब 100 लोग इसमें शामिल हुए.

sirpur buddh vihar
सिरपुर में नागार्जुन फाउंडेशन की अध्ययन यात्रा
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Published : Oct 26, 2020, 7:55 AM IST

Updated : Oct 26, 2020, 8:06 AM IST

महासमुंद: पुरातत्विक नगरी सिरपुर में नागार्जुन फाउंडेशन ने पुरातत्वविदों और बौद्ध विद्वानों के साथ अध्ययन यात्रा का आयोजन किया. अध्ययन यात्रा में छत्तीसगढ़ प्रदेश के विभिन्न जिलों से लगभग 100 लोगों ने अध्ययन यात्रा में भाग लिया. अध्ययन यात्रा नागार्जुन मेडिटेशन सेंटर से शुरू हुआ, जो आनंद प्रभु कुटी, स्वास्तिक बुद्ध विहार, महल के पुरातत्व अवशेष, नदी बंदरगाह, लक्ष्मण देव मंदिर, अंतरराष्ट्रीय व्यापार केंद्र और देव विहार होते हुए नागार्जुन मेडिटेशन सेंटर जाकर खत्म हुआ.

सिरपुर में नागार्जुन फाउंडेशन की अध्ययन यात्रा

अध्ययन यात्रा के बारे में नागार्जुन फाउंडेशन के सचिव कृष्णा नंदेश्वर ने बताया कि शेरपुर पुरातत्विक नगरी 10 किलोमीटर लंबा है. यहां बुद्ध विहार सिरपुर शिक्षा का केंद्र रहा है. यहां 10 हजार विद्यार्थी शिक्षण करते थे. जयपुर दक्षिण कौशल की राजधानी थी. यहां 1 किलोमीटर में फैला व्यापार केंद्र मिला है, जो सर्व सुविधायुक्त है. यहां 11 बौद्ध विहार मिले हैं. सिरपुर में सम्राट अशोक के काल का स्तूप भी खुदाई में मिला है. नागार्जुन फाउंडेशन के सचिव ने बताया कि धर्म का प्रचार-प्रसार और सिरपुर में मिले पौधों के प्रमाणों को लोगों को बताने के लिए अध्ययन यात्रा का आयोजन किया गया है.

sirpur buddh vihar
सिरपुर पुरातत्विक नगरी

पढ़ें- महासमुंद में धूमधाम से मनाया गया दशहरा, सोशल डिस्टेंसिंग का भी रखा गया ख्याल

इस यात्रा में आए हुए लोगों का कहना है कि बौद्ध के संदर्भ में उन्होंने अभी तक किताबों में ही पढ़ा था पर अब देखकर अच्छा लगा और अच्छी जानकारी मिली. उन्हें यह जानकर खुशी हुई कि पुराने समय में भी लोग इतने आधुनिक थे. उस समय में भी बैंक हुआ करते थे. पैसे रखने के लिए तिजोरी बनाई जाती थी. साथ ही आयुर्वेद उस समय किस तरह दवाइयों का काम करता था, ये भी जानने को मिला. गौतम बुध जब सिरपुर की धरा पर पहुंचे थे, तो उन्होंने यहां पर क्या-क्या कार्य किया. खुदाई को दौरान वह देखने मिला. जानकारी हुई कि किस तरह उस समय शिक्षा, व्यापार और जीवन स्वास्थ्य के लिए कार्य किया जाता था. यह सब देखकर दर्शानार्थियों को बहुत अच्छा लगा.

sirpur buddh vihar
नागार्जुन फाउंडेशन की अध्ययन यात्रा

गौरवशाली इतिहास को दर्शाता है सिरपुर

छत्तीसगढ़ में भी कई बेहतरीन पर्यटक स्थल मौजूद हैं और इन्हीं में से एक है महासमुंद जिले में मौजूद सिरपुर. ये न केवल एक बेहतरीन पर्यटन स्थल है, बल्कि प्राचीन और पुरातात्विक धरोहर भी है. यहां हिंदू देवी-देवताओं के मंदिरों के साथ ही विशाल बौद्ध विहार और मठ मौजूद है, जो इस शहर के गौरवशाली इतिहास को दर्शाता है.

व्यापार का केंद्र रहा सिरपुर

सिरपुर को एक समय में व्यापार का केंद्र कहा जाता था. महानदी के तट पर बसा ये बाजार लगभग एक किलोमीटर लंबा है. इसके बीचोंबीच एक त्रिकोणीय चौराहा है. ये सब ईंट पत्थर से बने हुए हैं. अवशेषों के आधार पर ये कहा जा सकता है कि इन चौराहों से संभवत उज्जैन और ओडिशा के लिए रास्ता था. इस बाजार में अनाज के बड़े-बड़े भंडार गृह हैं. जिसमें 2 साल तक का अनाज भरकर रखा जा सकता है. यहां भूमिगत धातुओं को गलाने की भट्टी भी है. यहां देश-विदेश के व्यापारी नदी के रास्ते से व्यापार करने के लिए आते थे.

महासमुंद: पुरातत्विक नगरी सिरपुर में नागार्जुन फाउंडेशन ने पुरातत्वविदों और बौद्ध विद्वानों के साथ अध्ययन यात्रा का आयोजन किया. अध्ययन यात्रा में छत्तीसगढ़ प्रदेश के विभिन्न जिलों से लगभग 100 लोगों ने अध्ययन यात्रा में भाग लिया. अध्ययन यात्रा नागार्जुन मेडिटेशन सेंटर से शुरू हुआ, जो आनंद प्रभु कुटी, स्वास्तिक बुद्ध विहार, महल के पुरातत्व अवशेष, नदी बंदरगाह, लक्ष्मण देव मंदिर, अंतरराष्ट्रीय व्यापार केंद्र और देव विहार होते हुए नागार्जुन मेडिटेशन सेंटर जाकर खत्म हुआ.

सिरपुर में नागार्जुन फाउंडेशन की अध्ययन यात्रा

अध्ययन यात्रा के बारे में नागार्जुन फाउंडेशन के सचिव कृष्णा नंदेश्वर ने बताया कि शेरपुर पुरातत्विक नगरी 10 किलोमीटर लंबा है. यहां बुद्ध विहार सिरपुर शिक्षा का केंद्र रहा है. यहां 10 हजार विद्यार्थी शिक्षण करते थे. जयपुर दक्षिण कौशल की राजधानी थी. यहां 1 किलोमीटर में फैला व्यापार केंद्र मिला है, जो सर्व सुविधायुक्त है. यहां 11 बौद्ध विहार मिले हैं. सिरपुर में सम्राट अशोक के काल का स्तूप भी खुदाई में मिला है. नागार्जुन फाउंडेशन के सचिव ने बताया कि धर्म का प्रचार-प्रसार और सिरपुर में मिले पौधों के प्रमाणों को लोगों को बताने के लिए अध्ययन यात्रा का आयोजन किया गया है.

sirpur buddh vihar
सिरपुर पुरातत्विक नगरी

पढ़ें- महासमुंद में धूमधाम से मनाया गया दशहरा, सोशल डिस्टेंसिंग का भी रखा गया ख्याल

इस यात्रा में आए हुए लोगों का कहना है कि बौद्ध के संदर्भ में उन्होंने अभी तक किताबों में ही पढ़ा था पर अब देखकर अच्छा लगा और अच्छी जानकारी मिली. उन्हें यह जानकर खुशी हुई कि पुराने समय में भी लोग इतने आधुनिक थे. उस समय में भी बैंक हुआ करते थे. पैसे रखने के लिए तिजोरी बनाई जाती थी. साथ ही आयुर्वेद उस समय किस तरह दवाइयों का काम करता था, ये भी जानने को मिला. गौतम बुध जब सिरपुर की धरा पर पहुंचे थे, तो उन्होंने यहां पर क्या-क्या कार्य किया. खुदाई को दौरान वह देखने मिला. जानकारी हुई कि किस तरह उस समय शिक्षा, व्यापार और जीवन स्वास्थ्य के लिए कार्य किया जाता था. यह सब देखकर दर्शानार्थियों को बहुत अच्छा लगा.

sirpur buddh vihar
नागार्जुन फाउंडेशन की अध्ययन यात्रा

गौरवशाली इतिहास को दर्शाता है सिरपुर

छत्तीसगढ़ में भी कई बेहतरीन पर्यटक स्थल मौजूद हैं और इन्हीं में से एक है महासमुंद जिले में मौजूद सिरपुर. ये न केवल एक बेहतरीन पर्यटन स्थल है, बल्कि प्राचीन और पुरातात्विक धरोहर भी है. यहां हिंदू देवी-देवताओं के मंदिरों के साथ ही विशाल बौद्ध विहार और मठ मौजूद है, जो इस शहर के गौरवशाली इतिहास को दर्शाता है.

व्यापार का केंद्र रहा सिरपुर

सिरपुर को एक समय में व्यापार का केंद्र कहा जाता था. महानदी के तट पर बसा ये बाजार लगभग एक किलोमीटर लंबा है. इसके बीचोंबीच एक त्रिकोणीय चौराहा है. ये सब ईंट पत्थर से बने हुए हैं. अवशेषों के आधार पर ये कहा जा सकता है कि इन चौराहों से संभवत उज्जैन और ओडिशा के लिए रास्ता था. इस बाजार में अनाज के बड़े-बड़े भंडार गृह हैं. जिसमें 2 साल तक का अनाज भरकर रखा जा सकता है. यहां भूमिगत धातुओं को गलाने की भट्टी भी है. यहां देश-विदेश के व्यापारी नदी के रास्ते से व्यापार करने के लिए आते थे.

Last Updated : Oct 26, 2020, 8:06 AM IST
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