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महासमुंद: बिरकोनी में बसी हैं मां चंडी देवी, जानिए क्या है इस मंदिर की खास बात - chandi devi birkoni temple navratri

महासमुंद के बिरकोनी गांव में मां चंडी देवी का मंदिर है. हर साल नवरात्रि में यहां हजारों की संख्या में श्रद्धालु मन्नत मांगने पहुंचते हैं. आप भी जानिए इस मंदिर में क्या खास है.

बिरकोनी में बसी हैं मां चंडी देवी
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Published : Oct 2, 2019, 10:31 PM IST

Updated : Oct 2, 2019, 11:56 PM IST

महासमुंद: जिले से महज 10 किलोमीटर की दूरी पर बिरकोनी गांव में बसी हैं मां चंडी देवी. कहा जाता है कि यहां बसी माता रानी को किसी ने स्थापित नहीं किया, बल्कि देवी चंडी ने खुद अपना वास वहां बना लिया. इस मंदिर को सिद्ध शक्ति पीठ के नाम से भी जाना जाता है.

मां चंडी देवी मंदिर बिरकोनी महासमुंद

नवरात्रि आते ही इस मंदिर की रौनक बढ़ जाती है. नवरात्रि के पूरे नौ दिन मां चंडी देवी के द्वार भक्तों के लिए 24 घंटे खुले होते हैं और हजारों की संख्या में यहां श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता है. इस साल मंदिर में 2 हजार से 2200 मनोकामना ज्योति कलश जलाए गए हैं. हर साल नवरात्रि में यहां मेले जैसा माहौल होता है.

मंदिर की है अनोखी मान्यता

  • चंडी माता मंदिर से जुड़ी हुई मान्यताएं हैं. बुजुर्ग बताते हैं कि, यहां चारों तरफ पठारी मैदान और महुआ का जंगल हुआ करता था.
  • इस स्थान पर माता ने प्रस्थान किया और यहां पर मंदिर बनाया गया. वहीं गांव के लोगों की मान्यता है कि गांव में मलेरिया और हैजा जैसी बीमारी फैल रही थी.
  • बीमारी से छुटकारा पाने के लिए लोगों ने मां चंडी से मन्नतें मांगी और मां चंडी देवी गांव से दूर जंगलों में जा बसीं, जिससे बीमारियों का फैलना रुक गया.
  • तब से ही इस मंदिर में दूर-दराज से लोग अपनी बीमारियों को ठीक करने के लिए मां से मन्नत मांगने आते हैं.
  • यहां आने वाले लोग अपनी अलग-अलग मुरादें लेकर पहुंचते हैं. माना जाता है कि माता के दरबार में सभी मन्नतें पूरी होती हैं.

पढ़ें- गांधी @ 150: जब बापू ने बिलासपुर में रखे थे कदम, जानिए क्यों महिलाओं ने न्योछावर कर दिए थे जेवर

दूर-दराज से पहुंचते हैं श्रद्धालु
कोलकाता से आई श्रद्धालु का कहना है कि, 'वह इस मंदिर में हर साल आती हैं. मां चंडी के दरबार में आने से मन को सुकून मिलता है. यहां आने से मेरी सारी मनोकामनाएं पूरी हुई हैं. जब भी मेरे घर पर रिश्तेदार या दोस्त आते हैं, तो उन्हें भी मैं यहां लेकर आती हूं.'

बिरकोनी के चंडी देवी मंदिर पर पूरे प्रदेश की गहरी आस्था जुड़ी है. सालभर यहां भक्तों का आना-जाना लगा रहता है.

महासमुंद: जिले से महज 10 किलोमीटर की दूरी पर बिरकोनी गांव में बसी हैं मां चंडी देवी. कहा जाता है कि यहां बसी माता रानी को किसी ने स्थापित नहीं किया, बल्कि देवी चंडी ने खुद अपना वास वहां बना लिया. इस मंदिर को सिद्ध शक्ति पीठ के नाम से भी जाना जाता है.

मां चंडी देवी मंदिर बिरकोनी महासमुंद

नवरात्रि आते ही इस मंदिर की रौनक बढ़ जाती है. नवरात्रि के पूरे नौ दिन मां चंडी देवी के द्वार भक्तों के लिए 24 घंटे खुले होते हैं और हजारों की संख्या में यहां श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता है. इस साल मंदिर में 2 हजार से 2200 मनोकामना ज्योति कलश जलाए गए हैं. हर साल नवरात्रि में यहां मेले जैसा माहौल होता है.

मंदिर की है अनोखी मान्यता

  • चंडी माता मंदिर से जुड़ी हुई मान्यताएं हैं. बुजुर्ग बताते हैं कि, यहां चारों तरफ पठारी मैदान और महुआ का जंगल हुआ करता था.
  • इस स्थान पर माता ने प्रस्थान किया और यहां पर मंदिर बनाया गया. वहीं गांव के लोगों की मान्यता है कि गांव में मलेरिया और हैजा जैसी बीमारी फैल रही थी.
  • बीमारी से छुटकारा पाने के लिए लोगों ने मां चंडी से मन्नतें मांगी और मां चंडी देवी गांव से दूर जंगलों में जा बसीं, जिससे बीमारियों का फैलना रुक गया.
  • तब से ही इस मंदिर में दूर-दराज से लोग अपनी बीमारियों को ठीक करने के लिए मां से मन्नत मांगने आते हैं.
  • यहां आने वाले लोग अपनी अलग-अलग मुरादें लेकर पहुंचते हैं. माना जाता है कि माता के दरबार में सभी मन्नतें पूरी होती हैं.

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दूर-दराज से पहुंचते हैं श्रद्धालु
कोलकाता से आई श्रद्धालु का कहना है कि, 'वह इस मंदिर में हर साल आती हैं. मां चंडी के दरबार में आने से मन को सुकून मिलता है. यहां आने से मेरी सारी मनोकामनाएं पूरी हुई हैं. जब भी मेरे घर पर रिश्तेदार या दोस्त आते हैं, तो उन्हें भी मैं यहां लेकर आती हूं.'

बिरकोनी के चंडी देवी मंदिर पर पूरे प्रदेश की गहरी आस्था जुड़ी है. सालभर यहां भक्तों का आना-जाना लगा रहता है.

Intro:एंकर - चंडी माता मंदिर बिरकोनी महासमुंद जिले से महज हूं 10 किलोमीटर की दूरी पर बिरकोनी नामक ग्राम पर चंडी माता का मंदिर स्थित है जिसे सिद्ध शक्ति पीठ के नाम से जाना जाता है यहां जाने के लिए उत्तम सड़क मार्ग निर्मित है लोग यहां आते हैं यहां पर चैत्र पक्ष और कवार पक्ष की नवरात्रि पर भक्तों द्वारा मनोकामना ज्योति जलाई जाती है पूरा 9 दिन मिले के समान होता है चारों तरफ पठारी मैदान व महुआ का जंगल हुआ करता था इस स्थान पर माता ने प्रस्थान किया और यहां पर मंदिर बनाया गया वही गांव वाले लोगों की मान्यता है कि गांव में है जा मलेरिया हैजा खेल रहा था जिस से मुक्ति पाने के लिए गांव के लोग माता के पास गए और माता ने कहा मुझे गांव से कुछ दूर जंगल में जाना पड़ेगा तभी इन बीमारियों से लोगों को छुटकारा मिलेगा।





Body:वीओ 1 - उसके बाद माता नो सिंगार में वहां जाकर पाषाण रूप में परिवर्तित हो गई तब से आज तक यहां अनेक बीमारियों को लेकर भी मन्नते चलती हैं वहीं कोलकाता से आई हुई बहु का कहना है कि मैं यहां आती हूं हमेशा और नवरात्रि के 9 दिन भी आती हूं यहां पर बड़ा ही सुकून है जब भी मन शांत होता है तो मैं यहां जरूर आती हूं और यहां से मेरी हर मन्नत पूरी हुई है वहीं कोलकाता से मेरे परिवार रिश्तेदार दोस्त जब आते हैं तो मैं उन्हें यहां जरूर लाती हूं उनका भी कहना है कि यहां बड़ा सुकून मिलता है।



Conclusion:बाइट 1 - भूषण लाल त्रिपाठी, पुजारी बिरकोनी चंडीमंदिर पहचान भगवा कलर का हाफ वाला कुर्ता।

बाइट 2 - राम खिलावन महोबिया श्रद्धालु पहचान लाल कलर का हाफ टीशर्ट।

बाइट 3 - श्रीमती मोनाली बनर्जी श्रद्धालु पहचान नीले कलर का सूट।

हकीमुद्दीन नासिर रिपोर्टर ईटीवी भारत महासमुंद छत्तीसगढ़ मो. 9826555052
Last Updated : Oct 2, 2019, 11:56 PM IST
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