महासमुंद: जिले से महज 10 किलोमीटर की दूरी पर बिरकोनी गांव में बसी हैं मां चंडी देवी. कहा जाता है कि यहां बसी माता रानी को किसी ने स्थापित नहीं किया, बल्कि देवी चंडी ने खुद अपना वास वहां बना लिया. इस मंदिर को सिद्ध शक्ति पीठ के नाम से भी जाना जाता है.
नवरात्रि आते ही इस मंदिर की रौनक बढ़ जाती है. नवरात्रि के पूरे नौ दिन मां चंडी देवी के द्वार भक्तों के लिए 24 घंटे खुले होते हैं और हजारों की संख्या में यहां श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता है. इस साल मंदिर में 2 हजार से 2200 मनोकामना ज्योति कलश जलाए गए हैं. हर साल नवरात्रि में यहां मेले जैसा माहौल होता है.
मंदिर की है अनोखी मान्यता
- चंडी माता मंदिर से जुड़ी हुई मान्यताएं हैं. बुजुर्ग बताते हैं कि, यहां चारों तरफ पठारी मैदान और महुआ का जंगल हुआ करता था.
- इस स्थान पर माता ने प्रस्थान किया और यहां पर मंदिर बनाया गया. वहीं गांव के लोगों की मान्यता है कि गांव में मलेरिया और हैजा जैसी बीमारी फैल रही थी.
- बीमारी से छुटकारा पाने के लिए लोगों ने मां चंडी से मन्नतें मांगी और मां चंडी देवी गांव से दूर जंगलों में जा बसीं, जिससे बीमारियों का फैलना रुक गया.
- तब से ही इस मंदिर में दूर-दराज से लोग अपनी बीमारियों को ठीक करने के लिए मां से मन्नत मांगने आते हैं.
- यहां आने वाले लोग अपनी अलग-अलग मुरादें लेकर पहुंचते हैं. माना जाता है कि माता के दरबार में सभी मन्नतें पूरी होती हैं.
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दूर-दराज से पहुंचते हैं श्रद्धालु
कोलकाता से आई श्रद्धालु का कहना है कि, 'वह इस मंदिर में हर साल आती हैं. मां चंडी के दरबार में आने से मन को सुकून मिलता है. यहां आने से मेरी सारी मनोकामनाएं पूरी हुई हैं. जब भी मेरे घर पर रिश्तेदार या दोस्त आते हैं, तो उन्हें भी मैं यहां लेकर आती हूं.'
बिरकोनी के चंडी देवी मंदिर पर पूरे प्रदेश की गहरी आस्था जुड़ी है. सालभर यहां भक्तों का आना-जाना लगा रहता है.