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महासमुंद : कर्माचारियों का अनिश्चितकालीन हड़ताल, ठेका खत्म करने की मांग

भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण रायपुर मंडल के सिरपुर में काम करने वाले कर्माचारी अनिश्चितकालीन हड़ताल पर हैं. उन्होंने शासन प्रशासन से ठेका खत्म कर काम पर रखने की गुजारिश की है. प्रदर्शन कर रहे कर्मचारियों ने ठेका खत्म करने की मांग की है.

मजदूर
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Published : Oct 19, 2020, 8:22 PM IST

महासमुंद : भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण रायपुर मंडल के सिरपुर में कर्मचारियों ने हड़ताल किया. कर्मचारियों ने अपनी एक सूत्रीय मांग को लेकर भारतीय मजदूर संघ के बैनर तले अनिश्चितकालीन हड़ताल पर बैठे रहे. ये हड़ताल 16 अक्टूबर से जारी है.

अनिश्चितकालीन हड़ताल

मजदूरों के हड़ताल का चौथा दिन है. मजदूरो की मांग है कि ठेका पद्धति समाप्त की जाए. मजदूरों को कहना है कि भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण रायपुर मंडल के अंर्तगत सिरपुर में पिछले 15 -20 सालों से वे काम कर रहे हैं. लेकिन अब उन्हें ठेका पद्धति से भुगतान किया जा रहा है.

पढ़ें : मरवाही का महासमर: जोगी के हाथ में क्या, उपचुनाव का किंग कौन ?

उग्र आंदोलन के बाध्य होंगे

उन्होंने बताया कि फरवरी 2020 से उन्हें ठेका पद्धति में काम कराया जा रहा है. ठेकेदार उन्हें एक महीने काम कराने के बाद निकाल देते हैं. इस कोराना संकट में वैसे ही बेरोजगारी से लोग जूझ रहे हैं, वे कहां जाए. उन्होंने शासन-प्रशासन से मांग करते हुए कहा कि उन्हें पहले जैसे काम पर रखा जाए और भुगतान किया जाए. मजदूरों ने इसकी शिकायत भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण रायपुर के कार्यालय से लेकर कलेक्टर तक कर चुके हैं, पर अब तक कोई सुनवाई नहीं हुई. मजदूरों ने चेतावनी दी है कि मांगों पर गौर नहीं किया गया तो वे लोग उग्र आंदोलन करने को बाध्य होंगे.

महासमुंद : भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण रायपुर मंडल के सिरपुर में कर्मचारियों ने हड़ताल किया. कर्मचारियों ने अपनी एक सूत्रीय मांग को लेकर भारतीय मजदूर संघ के बैनर तले अनिश्चितकालीन हड़ताल पर बैठे रहे. ये हड़ताल 16 अक्टूबर से जारी है.

अनिश्चितकालीन हड़ताल

मजदूरों के हड़ताल का चौथा दिन है. मजदूरो की मांग है कि ठेका पद्धति समाप्त की जाए. मजदूरों को कहना है कि भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण रायपुर मंडल के अंर्तगत सिरपुर में पिछले 15 -20 सालों से वे काम कर रहे हैं. लेकिन अब उन्हें ठेका पद्धति से भुगतान किया जा रहा है.

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उग्र आंदोलन के बाध्य होंगे

उन्होंने बताया कि फरवरी 2020 से उन्हें ठेका पद्धति में काम कराया जा रहा है. ठेकेदार उन्हें एक महीने काम कराने के बाद निकाल देते हैं. इस कोराना संकट में वैसे ही बेरोजगारी से लोग जूझ रहे हैं, वे कहां जाए. उन्होंने शासन-प्रशासन से मांग करते हुए कहा कि उन्हें पहले जैसे काम पर रखा जाए और भुगतान किया जाए. मजदूरों ने इसकी शिकायत भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण रायपुर के कार्यालय से लेकर कलेक्टर तक कर चुके हैं, पर अब तक कोई सुनवाई नहीं हुई. मजदूरों ने चेतावनी दी है कि मांगों पर गौर नहीं किया गया तो वे लोग उग्र आंदोलन करने को बाध्य होंगे.

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