ETV Bharat / state

new variety of wheat : मुंह में स्वाद घोलेगा महासमुंद का गेहूं, मुलायम रोटियां बढ़ाएंगी थाली की रौनक

महासमुंद कृषि विज्ञान केंद्र ने अब गेहूं की चार नई किस्मों का ट्रायल किया है. कम पानी में इसका ज्यादा उत्पादन किया जा सकता है. इस गेहूं के आटे से मुलायम रोटी बनेगी. अच्छी रोटी का गुणवत्ता सूचकांक 10 अंक सर्वाधिक होता है. गेहूं सीजी 1036 का सूचकांक 8.15 है.

Etv Bharat
महासमुंद में गेहूं की नई किस्म का उत्पादन
author img

By

Published : Mar 14, 2023, 5:47 PM IST

महासमुंद : कृषि महाविद्यालय अनुसंधान केंद्र बिलासपुर द्वारा अखिल भारतीय गेहूं अनुसंधान परियोजना के तहत गेहूं की नई किस्म विकसित की है. जिसका ट्रायल कृषि विज्ञान केंद्र महासमुंद में किया गया. इसमें सीजी 1036 (विद्या), सीजी 1029(कनिष्का), सीजी 1023 (हंसा), सीजी 1028 (अंबर) शामिल है. मिली जानकारी के अनुसार 1036 का प्रति हेक्टेयर 40 क्विंटल और 1029 का प्रति हेक्टेयर 50 क्विंटल उत्पादन होता है.

गेहूं की चार किस्मों का ट्रायल : प्रक्षेत्र प्रबंधक कमल लोधी ने बताया कि ''चार किस्मों का कृषि विज्ञान केंद्र महासमुंद के क्रॉप कैफेटेरिया में सफल ट्रायल किया गया. सामान्य गेहूं की फसल के लिए 24-25 डिग्री सेल्यिसस तापमान की आवश्यकता होती है. कई बार मार्च के महीने में ही तापमान 35 के पार हो जाने से गेहूं की फसल प्रभावित होती थी. सीजी 1036 तापमान बढ़ जाने पर गुणवत्ता बनाए रखता है.''

जिले के ज्यादातर किसान खरीफ सीजन में धान की ही फसल लेते हैं.जिसकी कटाई नवंबर या दिसंबर माह में की जाती है. इस कारण रबी सीजन में गेहूं की फसल लेने में देरी हो जाती है. अब नई किस्म के गेहूं की फसल पर तापमान बढ़ जाने पर भी कोई असर नहीं पड़ेगा. किसानों को इसका फायदा भी होगी. आमदनी भी अच्छी होगी.

रकबा बढ़ाने का हो रहा प्रयास : गेहूं की नई किस्म विकसित होने पर किसानों को फसल दिखाकर गेहूं की फसल लेने के लिए प्रेरित किया जा रहा है. क्षेत्र के ज्यादातर किसान रबी सीजन में भी धान की फसल लेते हैं.ऐसे में किसानों को धान का रकबा घटाकर गेहूं का रकबा बढ़ाने पर जोर दिया जा रहा है, जिससे कम पानी में अच्छी फसल हो सके. बताया जाता है कि गेहूं फसल लेने में किसानों का रुझान बढ़ रहा है.

रोग से लड़ने की क्षमता : सीजी 1036 में पौष्टिकता की मात्रा ज्यादा होती है. इसमें कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, विटामिल-ई, विटामिन-बी, खनिज लवण जिंक, मैग्निशियम, पोटेशियम, क्लोरिन पाए जाते हैं. कृषि विज्ञान केंद्र के वरिष्ठ वैज्ञानिक एसके वर्मा ने बताया कि ''पौष्टिक तत्वों से भरपूर है. इस गेहूं में रोग से लड़ने की क्षमता है. इस किस्म की खेती कर किसान भविष्य में अधिक मुनाफा कमा सकेंगे.''

ये भी पढ़ें - राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण ने लगाया मेगा कैंप


गेहूं हल्का होने के साथ ही पौष्टिक भी :कृषि विज्ञान केंद्र के वरिष्ठ वैज्ञानिक एसके वर्मा ने बताया कि ''सीजी 1036 गेहूं हल्का होने के साथ पौष्टिक भी है. इससे रोटियां अच्छी बनेंगी.गुणवत्ता मापने के लिए वैज्ञानिक मशीन का उपयोग करते हैं. रोटी की गुणवत्ता सूचकांक में भी इसे 8.5 अंक मिले हैं. इसके एक हजार दानों का वजन 47 ग्राम आता है. सामान्य गेहूं को सिंचाई के लिए 6 बार पानी की आवश्यकता होती है, लेकिन यह तीन पानी में भी अच्छी पैदावार देता है. नई किस्म की गेहूं की फसल लेने से उत्पादन भी अच्छा होगा.''

महासमुंद : कृषि महाविद्यालय अनुसंधान केंद्र बिलासपुर द्वारा अखिल भारतीय गेहूं अनुसंधान परियोजना के तहत गेहूं की नई किस्म विकसित की है. जिसका ट्रायल कृषि विज्ञान केंद्र महासमुंद में किया गया. इसमें सीजी 1036 (विद्या), सीजी 1029(कनिष्का), सीजी 1023 (हंसा), सीजी 1028 (अंबर) शामिल है. मिली जानकारी के अनुसार 1036 का प्रति हेक्टेयर 40 क्विंटल और 1029 का प्रति हेक्टेयर 50 क्विंटल उत्पादन होता है.

गेहूं की चार किस्मों का ट्रायल : प्रक्षेत्र प्रबंधक कमल लोधी ने बताया कि ''चार किस्मों का कृषि विज्ञान केंद्र महासमुंद के क्रॉप कैफेटेरिया में सफल ट्रायल किया गया. सामान्य गेहूं की फसल के लिए 24-25 डिग्री सेल्यिसस तापमान की आवश्यकता होती है. कई बार मार्च के महीने में ही तापमान 35 के पार हो जाने से गेहूं की फसल प्रभावित होती थी. सीजी 1036 तापमान बढ़ जाने पर गुणवत्ता बनाए रखता है.''

जिले के ज्यादातर किसान खरीफ सीजन में धान की ही फसल लेते हैं.जिसकी कटाई नवंबर या दिसंबर माह में की जाती है. इस कारण रबी सीजन में गेहूं की फसल लेने में देरी हो जाती है. अब नई किस्म के गेहूं की फसल पर तापमान बढ़ जाने पर भी कोई असर नहीं पड़ेगा. किसानों को इसका फायदा भी होगी. आमदनी भी अच्छी होगी.

रकबा बढ़ाने का हो रहा प्रयास : गेहूं की नई किस्म विकसित होने पर किसानों को फसल दिखाकर गेहूं की फसल लेने के लिए प्रेरित किया जा रहा है. क्षेत्र के ज्यादातर किसान रबी सीजन में भी धान की फसल लेते हैं.ऐसे में किसानों को धान का रकबा घटाकर गेहूं का रकबा बढ़ाने पर जोर दिया जा रहा है, जिससे कम पानी में अच्छी फसल हो सके. बताया जाता है कि गेहूं फसल लेने में किसानों का रुझान बढ़ रहा है.

रोग से लड़ने की क्षमता : सीजी 1036 में पौष्टिकता की मात्रा ज्यादा होती है. इसमें कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, विटामिल-ई, विटामिन-बी, खनिज लवण जिंक, मैग्निशियम, पोटेशियम, क्लोरिन पाए जाते हैं. कृषि विज्ञान केंद्र के वरिष्ठ वैज्ञानिक एसके वर्मा ने बताया कि ''पौष्टिक तत्वों से भरपूर है. इस गेहूं में रोग से लड़ने की क्षमता है. इस किस्म की खेती कर किसान भविष्य में अधिक मुनाफा कमा सकेंगे.''

ये भी पढ़ें - राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण ने लगाया मेगा कैंप


गेहूं हल्का होने के साथ ही पौष्टिक भी :कृषि विज्ञान केंद्र के वरिष्ठ वैज्ञानिक एसके वर्मा ने बताया कि ''सीजी 1036 गेहूं हल्का होने के साथ पौष्टिक भी है. इससे रोटियां अच्छी बनेंगी.गुणवत्ता मापने के लिए वैज्ञानिक मशीन का उपयोग करते हैं. रोटी की गुणवत्ता सूचकांक में भी इसे 8.5 अंक मिले हैं. इसके एक हजार दानों का वजन 47 ग्राम आता है. सामान्य गेहूं को सिंचाई के लिए 6 बार पानी की आवश्यकता होती है, लेकिन यह तीन पानी में भी अच्छी पैदावार देता है. नई किस्म की गेहूं की फसल लेने से उत्पादन भी अच्छा होगा.''

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.