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महासमुंद: दुधीपाली में सब स्टेशन होने के बावजूद ग्रामीण 24 घंटे बिजली के मोहताज

महासमुंद जिले के दुधीपाली में बिजली उपकेंद्र होने के बावजूद ग्रामीणों को बिजली की समस्या से जूझना पड़ रहा है. साथ ही छत्तीसगढ़ स्टेट पॉवर ट्रांसमिशन कंपनी लिमिटेड की मंजूर शर्तों का लाभ भी नहीं मिल रहा है.

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Published : Oct 10, 2020, 11:20 AM IST

Dudhipali Substation Mahasamund
दुधीपाली उपकेंद्र

महासमुंद: ब्लॉक मुख्यालय से महज 3 किलोमीटर की दूरी पर स्थित ग्राम पंचायत दुधीपाली के ग्रामीणों को बिजली की समस्या से जूझना पड़ रहा है. 132/33 केवी के उप केन्द्र होने के बावजूद ग्रामीण 24 घंटे बिजली के लिए मोहताज हैं. ग्रामीणों का कहना है कि हल्की बारिश और मौसम खराब होने की स्थिति में सब-स्टेशन से ग्राम दुधीपाली की बिजली काट दी जाती है. कभी-कभी एक से दो दिन तक बिजली गुल रहती है. दुधीपाली के ग्रामीणों में जमकार आक्रोश है. इसकी एक वजह विद्युत विभाग का उप केन्द्र बनने के बाद भी गांव को ही विद्युत सप्लाई कर पाना है.

पढ़ें: SPECIAL: पुरातत्व विभाग की लापरवाही, लाल ईंटों से बने लक्ष्मण मंदिर में उगे पौधे

गांव के प्रफुल्ल साहू ने बताया कि सब-स्टेशन से जुड़े हुए सभी राइस मिलों को 24 घंटे बिजली की आपूर्ति दी जाती है. बसना शहर, गढ़फुलझर, सलखंड समेत अनेक गांव में विद्युत सप्लाई की जा रही है. गांव के लोगों ने बताया कि दुधीपाली सब-स्टेशन के सभी कर्मचारी बाहर से हैं. एक भी कर्मचारी स्थानीय नहीं है, जबकि ग्राम सभा के प्रस्ताव में शर्तों के अनुसार स्थानीय बेरोजगार, मजदूरों को योग्यता अनुसार प्राथमिकता देने की बात कही गई थी.

14 एकड़ जमीन पर कब्जा

युवाओं का कहना है कि जिस मार्ग पर आवागमन हुआ. उस मार्ग को छत्तीसगढ़ स्टेट पॉवर ट्रांसमिशन कंपनी लिमिटेड द्वारा बनाया जाना था, लेकिन अब तक नहीं बना. इसके अलावा गामीणों ने यह भी आरोप लगाया है कि प्रस्ताव में 10 एकड़ जमीन दी गई थी, जबकि छत्तीसगढ़ स्टेट पॉवर ट्रांसमिशन कंपनी लिमिटेड ने 14 एकड़ जमीन पर कब्जा कर लिया, जिससे गांव में अतिरिक्त घास भूमि न होने के कारण गौठान, चारागाह की समस्याओं से जूझना पड़ रहा है.

ग्राम सभा में रखे गए प्रस्ताव में एक भी पूरा नहीं

छत्तीसगढ़ स्टेट पॉवर ट्रांसमिशन कंपनी लिमिटेड को 17 मार्च (2016) के ग्राम सभा में पांच शर्तों पर मंजूरी दी गई, जिसमें दुधीपाली ग्राम में 24 घंटे विद्युत आपूर्ति, स्थानीय ग्रामवासी को योग्यता अनुसार रोजगार, किसानों के खेतों से होकर गुजरने वाली विद्युत सप्लाई करने पर पहले से सूचना देना शामिल है. साथ ही उनकी सुविधा अनुसार बिजली का पोल लगाने और आवागमन को ध्यान में रखते हुए लोगों की जन-धन हानि की पर्याप्त क्षतिपूर्ति के साथ उस जमीन का अतिक्रमण हटाए जाने के सबंधं में प्रस्ताव रखा गया था, लेकिन एक भी पूरा नहीं किया गया.

महासमुंद: ब्लॉक मुख्यालय से महज 3 किलोमीटर की दूरी पर स्थित ग्राम पंचायत दुधीपाली के ग्रामीणों को बिजली की समस्या से जूझना पड़ रहा है. 132/33 केवी के उप केन्द्र होने के बावजूद ग्रामीण 24 घंटे बिजली के लिए मोहताज हैं. ग्रामीणों का कहना है कि हल्की बारिश और मौसम खराब होने की स्थिति में सब-स्टेशन से ग्राम दुधीपाली की बिजली काट दी जाती है. कभी-कभी एक से दो दिन तक बिजली गुल रहती है. दुधीपाली के ग्रामीणों में जमकार आक्रोश है. इसकी एक वजह विद्युत विभाग का उप केन्द्र बनने के बाद भी गांव को ही विद्युत सप्लाई कर पाना है.

पढ़ें: SPECIAL: पुरातत्व विभाग की लापरवाही, लाल ईंटों से बने लक्ष्मण मंदिर में उगे पौधे

गांव के प्रफुल्ल साहू ने बताया कि सब-स्टेशन से जुड़े हुए सभी राइस मिलों को 24 घंटे बिजली की आपूर्ति दी जाती है. बसना शहर, गढ़फुलझर, सलखंड समेत अनेक गांव में विद्युत सप्लाई की जा रही है. गांव के लोगों ने बताया कि दुधीपाली सब-स्टेशन के सभी कर्मचारी बाहर से हैं. एक भी कर्मचारी स्थानीय नहीं है, जबकि ग्राम सभा के प्रस्ताव में शर्तों के अनुसार स्थानीय बेरोजगार, मजदूरों को योग्यता अनुसार प्राथमिकता देने की बात कही गई थी.

14 एकड़ जमीन पर कब्जा

युवाओं का कहना है कि जिस मार्ग पर आवागमन हुआ. उस मार्ग को छत्तीसगढ़ स्टेट पॉवर ट्रांसमिशन कंपनी लिमिटेड द्वारा बनाया जाना था, लेकिन अब तक नहीं बना. इसके अलावा गामीणों ने यह भी आरोप लगाया है कि प्रस्ताव में 10 एकड़ जमीन दी गई थी, जबकि छत्तीसगढ़ स्टेट पॉवर ट्रांसमिशन कंपनी लिमिटेड ने 14 एकड़ जमीन पर कब्जा कर लिया, जिससे गांव में अतिरिक्त घास भूमि न होने के कारण गौठान, चारागाह की समस्याओं से जूझना पड़ रहा है.

ग्राम सभा में रखे गए प्रस्ताव में एक भी पूरा नहीं

छत्तीसगढ़ स्टेट पॉवर ट्रांसमिशन कंपनी लिमिटेड को 17 मार्च (2016) के ग्राम सभा में पांच शर्तों पर मंजूरी दी गई, जिसमें दुधीपाली ग्राम में 24 घंटे विद्युत आपूर्ति, स्थानीय ग्रामवासी को योग्यता अनुसार रोजगार, किसानों के खेतों से होकर गुजरने वाली विद्युत सप्लाई करने पर पहले से सूचना देना शामिल है. साथ ही उनकी सुविधा अनुसार बिजली का पोल लगाने और आवागमन को ध्यान में रखते हुए लोगों की जन-धन हानि की पर्याप्त क्षतिपूर्ति के साथ उस जमीन का अतिक्रमण हटाए जाने के सबंधं में प्रस्ताव रखा गया था, लेकिन एक भी पूरा नहीं किया गया.

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