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SPECIAL: 6 साल बाद भी नहीं बनी पुलिया, जान हथेली पर रखकर नाला पार कर रहे ग्रामीण

पिथौरा ब्लॉक से 40 किलोमीटर दूर साईं सरायपाली गांव में लोग जान जोखिम में डालकर नाला पार कर रहे हैं. गांव के दोनों तरफ रोड तो बन गई लेकिन पुलिया नहीं बन पाया. बारिश की वजह से नाले में लबालब पानी भरा है. ग्रामीणों को रस्सी के सहारे नाला पार करना पड़ रहा है.

Sai Saraipali village of mahasamund
जान हथेली पर रखकर नाला पार कर रहे ग्रामीण
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Published : Aug 30, 2020, 7:49 AM IST

Updated : Aug 30, 2020, 10:39 AM IST

महासमुंद: जिला मुख्यालय के पिथौरा ब्लॉक से 40 किलोमीटर दूर साईं सरायपाली गांव की स्थिति आजादी के 73 साल बाद भी नहीं सुधरी. इस गांव में लोगों को मूलभूत सुविधा के लिए तरसना पड़ रहा है. सरकार की करोड़ों की योजनाएं इस गांव में अब तक पहुंची ही नहीं. हर साल दावा किया जाता है कि इस बार नाले पर पुलिया का निर्माण हो जाएगा. गांव के दोनों तरफ रोड तो बन गई लेकिन पुलिया नहीं बन पाया. बारिश की वजह से नाले में लबालब पानी भरा है. ग्रामीण रस्सी और लोगों के सहारे रोज अपनी जान जोखिम में डालकर नाला पार कर रहे हैं. ग्रामीणों का कहना है कि पुलिया उनके लिए ज्यादा जरूरी था, रोड कच्ची भी होती तो भी उससे वे सफर कर लेते.

सराईपाली गांव की हालत दयनीय

जान हथेली पर रखकर नाला पार कर रहे ग्रामीण

गांव की पगडंडियों को शहर की सड़कों और नेशनल हाईवे से जोड़ने का सरकार दावा कर रही है. लेकिन वह सिर्फ कागजों में दिख रहा है. पिथौरा ब्लॉक के साईं सराईपाली गांव की स्थिति बहुत ही खराब है. यहां पर जनप्रतिनिधि वोट मांगने तो आ जाते हैं, लेकिन गांव की सुध लेने कोई नहीं आता. कई मिन्नतों के बाद गांव के दोनों ओर सड़क बन पाई. लेकिन नाले पर पुलिया आज तक नहीं बन पाया. इन्हें पीडीएस का सामान लेने भी दूसरे गांव जाना पड़ता है. इस नाले से वे अपनी जान जोखिम में डालकर दूसरे गांव जाते हैं.

पढ़ें-SPECIAL: सड़क जैसी मूलभूत सुविधा से महरूम ऊर्जाधानी, गड्ढों से गुजरना बन गई लोगों की नियति

जान जोखिम में डाल नाला पार करे रहे ग्रामीण

गांव में समस्याओं का अंबार है. ग्रामीण जान जोखिम में डाल राशन लेकर नाले को पार करते हैं. राशन भी दूसरे गांव में मिलता हे, क्योंकि पुलिया ना होने के कारण, ना यहां पर बस आती है और ना ही पीडीएस का राशन आ पाता है. शासन प्रशासन की अनदेखी के कारण कई लोग अपनी जान गंवा चुके हैं. कोई बीमार हो जाए तो एंबुलेंस की सुविधा भी नहीं मिलती. किसी की तबीयत खराब हो तो उसे खटिया में रख कर नाला पार कराना पड़ता है. उसके बाद एंबुलेंस की सुविधा मिल पाती है.

मुख्यमंत्री सड़क योजना के तहत 2014 में इस रोड का निर्माण हुआ है. पुल के लिए बजट नहीं होने के कारण यह पुल नहीं बन पाया. ETV भारत ने इस विषय पर अधिकारियों से बात की. उनका कहना है कि बहुत जल्द पुलिया के लिए बजट आने वाला है. इसी तरह महासमुंद जिले में पांच और नाले हैं जहां लोग जान जोखिम में डालकर नाला पार करने को मजबूर है.

यहां भी नहीं बन पाया पुलिया-

  • ब्लॉक बागबाहरा- कोसरा से सरायपाली
  • दौराभाठा से कुरु भाटा
  • ब्लॉक सरायपाली- केंदुआ से परसा पाली
  • ब्लॉक पिथौरा- चनाट से सरायपाली
  • ब्लॉक महासमुंद- करे मुड़ा से पथरी

इन सभी जगहों पर रोड बनी लेकिन पुलिया नहीं बन पाया. इन सभी जगह पर जल्द ही पुलिया बनने की बात अधिकारी कर रहे हैं. महासमुंद लोकसभा सांसद चुन्नीलाल साहू का कहना है कि वे जल्द ही राज्य सरकार से बात कर पुलिया का निर्माण करवाएंगे.

महासमुंद: जिला मुख्यालय के पिथौरा ब्लॉक से 40 किलोमीटर दूर साईं सरायपाली गांव की स्थिति आजादी के 73 साल बाद भी नहीं सुधरी. इस गांव में लोगों को मूलभूत सुविधा के लिए तरसना पड़ रहा है. सरकार की करोड़ों की योजनाएं इस गांव में अब तक पहुंची ही नहीं. हर साल दावा किया जाता है कि इस बार नाले पर पुलिया का निर्माण हो जाएगा. गांव के दोनों तरफ रोड तो बन गई लेकिन पुलिया नहीं बन पाया. बारिश की वजह से नाले में लबालब पानी भरा है. ग्रामीण रस्सी और लोगों के सहारे रोज अपनी जान जोखिम में डालकर नाला पार कर रहे हैं. ग्रामीणों का कहना है कि पुलिया उनके लिए ज्यादा जरूरी था, रोड कच्ची भी होती तो भी उससे वे सफर कर लेते.

सराईपाली गांव की हालत दयनीय

जान हथेली पर रखकर नाला पार कर रहे ग्रामीण

गांव की पगडंडियों को शहर की सड़कों और नेशनल हाईवे से जोड़ने का सरकार दावा कर रही है. लेकिन वह सिर्फ कागजों में दिख रहा है. पिथौरा ब्लॉक के साईं सराईपाली गांव की स्थिति बहुत ही खराब है. यहां पर जनप्रतिनिधि वोट मांगने तो आ जाते हैं, लेकिन गांव की सुध लेने कोई नहीं आता. कई मिन्नतों के बाद गांव के दोनों ओर सड़क बन पाई. लेकिन नाले पर पुलिया आज तक नहीं बन पाया. इन्हें पीडीएस का सामान लेने भी दूसरे गांव जाना पड़ता है. इस नाले से वे अपनी जान जोखिम में डालकर दूसरे गांव जाते हैं.

पढ़ें-SPECIAL: सड़क जैसी मूलभूत सुविधा से महरूम ऊर्जाधानी, गड्ढों से गुजरना बन गई लोगों की नियति

जान जोखिम में डाल नाला पार करे रहे ग्रामीण

गांव में समस्याओं का अंबार है. ग्रामीण जान जोखिम में डाल राशन लेकर नाले को पार करते हैं. राशन भी दूसरे गांव में मिलता हे, क्योंकि पुलिया ना होने के कारण, ना यहां पर बस आती है और ना ही पीडीएस का राशन आ पाता है. शासन प्रशासन की अनदेखी के कारण कई लोग अपनी जान गंवा चुके हैं. कोई बीमार हो जाए तो एंबुलेंस की सुविधा भी नहीं मिलती. किसी की तबीयत खराब हो तो उसे खटिया में रख कर नाला पार कराना पड़ता है. उसके बाद एंबुलेंस की सुविधा मिल पाती है.

मुख्यमंत्री सड़क योजना के तहत 2014 में इस रोड का निर्माण हुआ है. पुल के लिए बजट नहीं होने के कारण यह पुल नहीं बन पाया. ETV भारत ने इस विषय पर अधिकारियों से बात की. उनका कहना है कि बहुत जल्द पुलिया के लिए बजट आने वाला है. इसी तरह महासमुंद जिले में पांच और नाले हैं जहां लोग जान जोखिम में डालकर नाला पार करने को मजबूर है.

यहां भी नहीं बन पाया पुलिया-

  • ब्लॉक बागबाहरा- कोसरा से सरायपाली
  • दौराभाठा से कुरु भाटा
  • ब्लॉक सरायपाली- केंदुआ से परसा पाली
  • ब्लॉक पिथौरा- चनाट से सरायपाली
  • ब्लॉक महासमुंद- करे मुड़ा से पथरी

इन सभी जगहों पर रोड बनी लेकिन पुलिया नहीं बन पाया. इन सभी जगह पर जल्द ही पुलिया बनने की बात अधिकारी कर रहे हैं. महासमुंद लोकसभा सांसद चुन्नीलाल साहू का कहना है कि वे जल्द ही राज्य सरकार से बात कर पुलिया का निर्माण करवाएंगे.

Last Updated : Aug 30, 2020, 10:39 AM IST
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