महासमुंद: प्रदेश की भूपेश बघेल सरकार के द्वारा पेण्ड्रा, गौरेला, और मरवाही को नया जिला बनाने की घोषणा के बाद महासमुंद जिले के सरायपाली को जिला बनाने की मांग फिर से तेज हो गई है. पूर्वी छत्तीसगढ़ का प्रमुख व्यापारिक केंद्र सरायपाली वर्तमान में महासमुंद जिले में शामिल है.
पंडित रविशंकर शुक्ल का निर्वाचन क्षेत्र था सरायपाली
अविभाजित मध्यप्रदेश के प्रथम मुख्यमंत्री रहे पंडित रविशंकर शुक्ल को विधायक चुनकर भेजने वाले इस सरायपाली क्षेत्र के लोग जिला निर्माण की दिशा में आज भी खुद को उपेक्षित महसूस कर रहे हैं. बता दें कि छत्तीसगढ़ राज्य बनने से पहले सरायपाली का यह अंचल अविभाजित रायपुर जिले में आता था. लेकिन, महासमुंद को जिला बनाए जाने के बाद सरायपाली इसी जिले में शामिल हो गया.
पर्याप्त संसाधन न होने से लोगों को हो रही दिक्कत
गौरतलब है कि महासमुंद जिला मुख्यालय की दूरी सरायपाली अंचल से 120 किलोमीटर है. जहां आवागमन के लिए पर्याप्त संसाधन भी नहीं है. ऐसी स्थिति में सरायपाली अंचल के लोगों को जिला मुख्यालय तक पहुंचने में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है. इससे लोगों को समय और पैसों का नुकसान भी होता है.
जिले की मांग को लेकर हुए कई धरना-आंदोलन
सरायपाली क्षेत्र की जनता समय-समय पर जिले की मांग को लेकर धरना प्रदर्शन और आंदोलन करती रही है. लेकिन हर बार क्षेत्र की जनता की बहुप्रतीक्षित मांग को राजनीतिक तौर पर कुचल दिया गया. इसके लिए कुछ लोग पूर्व की भाजपा सरकार को भी कोसते नजर आ रहे हैं. भूपेश सरकार द्वारा नये जिले का गठन करने के बाद लोगों में एक बार फिर आस जाग गई है और लोग सरायपाली को जिला बनाने की मांग फिर से करने लगे हैं.