महासमुंद: महिला बाल विकास विभाग के अधिकारी और कर्मचारियों की लापरवाही का खामियाजा मासूम बच्चों को उठाना पड़ रहा है. महासमुंद में ऐसा ही एक मामला सामने आया है. आंगनबाडी के बच्चों के सर्वांगीण विकास के लिए हर आंगनबाडी को एक सेट खिलौने का मुहैया कराना था. इसके लिए शासन ने 32 लाख रुपये आंवटित किए थे, लेकिन विभाग की लापरवाही के कारण यहां के मासूम दो साल से टूटे-फूटे खिलौने से या फिर बिना खिलौनों के खेलने को मजबूर हैं.
लगभग एक लाख बच्चे करते हैं शिक्षा ग्रहण
जिले में 1695 आंगनबांडी केंद्र संचालित हैं और इन आंगनबाडी केंद्रों में 0 से 6 साल के बीच के लगभग एक लाख बच्चे प्रारंभिक शिक्षा ग्रहण करने आते हैं. शासन के नियामानुसार हर आंगनबाडी को 18 सौ रुपये की दर से हर साल खेल कीट दिया जाता है.
दो साल से नहीं मिले किट
विभाग के अधिकारी और कर्मचारियों की लापरवाही से जिले के बच्चों को दो साल से खेल किट नहीं दिए गए हैं. हद तो तब हो गई जब शासन से साल 2018-19 के लिए 32 लाख रूपये मिलने के बाद भी 6 महिनों में महिला बाल विकास के अधिकारी टेंडर नहीं कर पाए और पैसे लैप्स हो गए.
नौनिहालों के भविष्य के साथ खिलवाड़
मामले में महिला बाल विकास विभाग के आला अधिकारी 32 लाख रुपये लैप्स होने की बात स्वीकार करते हुए विभाग की लापरवाही से इंकार कर रहे हैं. बता दें कि है कि शासन से आवंटित 32 लाख रुपयों का लैप्स हो जाना कहीं न कहीं नौनिहालों के भविष्य के साथ खिलवाड़ है.