ETV Bharat / state

नौनिहाल के चेहरे पर मुस्कान बिखेरने मिले थे 32 लाख रुपए, प्रशासन की लापरवाही से हो गए लैप्स - खिलौने

महिला बाल विकास विभाग के अधिकारी और कर्मचारियों की लापरवाही का खामियाजा मासूम बच्चों को उठाना पड़ रहा है. महासमुंद में ऐसा ही एक मामला सामने आया है.

प्रशासन की लापरवाही की मार झेल रहे नौनिहाल
author img

By

Published : Apr 24, 2019, 11:15 PM IST

महासमुंद: महिला बाल विकास विभाग के अधिकारी और कर्मचारियों की लापरवाही का खामियाजा मासूम बच्चों को उठाना पड़ रहा है. महासमुंद में ऐसा ही एक मामला सामने आया है. आंगनबाडी के बच्चों के सर्वांगीण विकास के लिए हर आंगनबाडी को एक सेट खिलौने का मुहैया कराना था. इसके लिए शासन ने 32 लाख रुपये आंवटित किए थे, लेकिन विभाग की लापरवाही के कारण यहां के मासूम दो साल से टूटे-फूटे खिलौने से या फिर बिना खिलौनों के खेलने को मजबूर हैं.

प्रशासन की लापरवाही की मार झेल रहे नौनिहाल

लगभग एक लाख बच्चे करते हैं शिक्षा ग्रहण
जिले में 1695 आंगनबांडी केंद्र संचालित हैं और इन आंगनबाडी केंद्रों में 0 से 6 साल के बीच के लगभग एक लाख बच्चे प्रारंभिक शिक्षा ग्रहण करने आते हैं. शासन के नियामानुसार हर आंगनबाडी को 18 सौ रुपये की दर से हर साल खेल कीट दिया जाता है.

दो साल से नहीं मिले किट
विभाग के अधिकारी और कर्मचारियों की लापरवाही से जिले के बच्चों को दो साल से खेल किट नहीं दिए गए हैं. हद तो तब हो गई जब शासन से साल 2018-19 के लिए 32 लाख रूपये मिलने के बाद भी 6 महिनों में महिला बाल विकास के अधिकारी टेंडर नहीं कर पाए और पैसे लैप्स हो गए.

नौनिहालों के भविष्य के साथ खिलवाड़
मामले में महिला बाल विकास विभाग के आला अधिकारी 32 लाख रुपये लैप्स होने की बात स्वीकार करते हुए विभाग की लापरवाही से इंकार कर रहे हैं. बता दें कि है कि शासन से आवंटित 32 लाख रुपयों का लैप्स हो जाना कहीं न कहीं नौनिहालों के भविष्य के साथ खिलवाड़ है.

महासमुंद: महिला बाल विकास विभाग के अधिकारी और कर्मचारियों की लापरवाही का खामियाजा मासूम बच्चों को उठाना पड़ रहा है. महासमुंद में ऐसा ही एक मामला सामने आया है. आंगनबाडी के बच्चों के सर्वांगीण विकास के लिए हर आंगनबाडी को एक सेट खिलौने का मुहैया कराना था. इसके लिए शासन ने 32 लाख रुपये आंवटित किए थे, लेकिन विभाग की लापरवाही के कारण यहां के मासूम दो साल से टूटे-फूटे खिलौने से या फिर बिना खिलौनों के खेलने को मजबूर हैं.

प्रशासन की लापरवाही की मार झेल रहे नौनिहाल

लगभग एक लाख बच्चे करते हैं शिक्षा ग्रहण
जिले में 1695 आंगनबांडी केंद्र संचालित हैं और इन आंगनबाडी केंद्रों में 0 से 6 साल के बीच के लगभग एक लाख बच्चे प्रारंभिक शिक्षा ग्रहण करने आते हैं. शासन के नियामानुसार हर आंगनबाडी को 18 सौ रुपये की दर से हर साल खेल कीट दिया जाता है.

दो साल से नहीं मिले किट
विभाग के अधिकारी और कर्मचारियों की लापरवाही से जिले के बच्चों को दो साल से खेल किट नहीं दिए गए हैं. हद तो तब हो गई जब शासन से साल 2018-19 के लिए 32 लाख रूपये मिलने के बाद भी 6 महिनों में महिला बाल विकास के अधिकारी टेंडर नहीं कर पाए और पैसे लैप्स हो गए.

नौनिहालों के भविष्य के साथ खिलवाड़
मामले में महिला बाल विकास विभाग के आला अधिकारी 32 लाख रुपये लैप्स होने की बात स्वीकार करते हुए विभाग की लापरवाही से इंकार कर रहे हैं. बता दें कि है कि शासन से आवंटित 32 लाख रुपयों का लैप्स हो जाना कहीं न कहीं नौनिहालों के भविष्य के साथ खिलवाड़ है.

Intro:
एंकर- महिला बाल विकास विभाग के अधिकारी व कर्मचारियो के लापरवाही का खामियाजा मासूम बच्चों को उठानी पड रही है । जी हॉ ,ऐसा ही मामला महासमुंद जिले में सामने आया है । आंगनबाडी के बच्चों के सर्वागीण विकास के लिए प्रत्येक आंगनबाडी को एक सेट खिलौने का सेट मुहैया कराना था । जिसके लिए शासन ने 32 लाख रूपये आंवटित किये थे ,पर विभाग की लापरवाही के कारण वो पैसे लेपस हो गये और बच्चे दो साल से टूटे-फूटे खिलौने से या फिर बिना खिलौने के खेलने को मजबूर है । देखिए एक रिपोर्ट ---

व्हीओ 01- महासमुंद जिले में 1695 आंगनबांडी केन्द्र संचालित है और इन आंगनबाडियों में 0 से 6 वर्ष के लगभग एक लाख बच्चे प्रारंभिक शिक्षा ग्रहण करने आते है । शासन के नियामानुसार प्रत्येक आंगनबाडी को 1800 सौ रूपये के दर से प्रत्येक वर्ष खेल कीट दिया जाता है ,पर महिला बाल विकास विभाग के अधिकारी व कर्मचारियों की लापरवाही के कारण जिले के बच्चों को दो सालों से खेल कीट नही दिये गये है । हद तो तब हो गई जब शासन से वर्ष 2018-19 के लिये 32 लाख रूपये मिलने के बाद भी 6 महिनों में महिला बाल विकास के अधिकारी टेंडर नही कर पाये और पैसा लेपस हो गया । आंगनबाडी केन्द्र के कार्यकर्ता का कहना है कि दो वर्षो से खेल कीट नही मिला है ।


बाईट 01- सूलेखा शर्मा - आंगनबाडी कार्यकर्ता

व्हीओ 02- इस पूरे मामले में महिला बाल विकास विभाग के आला अधिकारी 32 लाख रूपये लेपस होने की बात स्वीकार करते हुवे विभाग की लापरवाही से इंकार कर रहे है ।

बाईट 02- सुधाकर बोंदले - जिला कार्यक्रम अधिकारी - महिला बाल विकास विभाग -महासमुंद

व्हीओ 03- गौरतलब है कि शासन से आवंटित 32 लाख रूपयों का लेपस हो जाना कहीं न कहीं नौनिहालों के भविष्य के साथ खिलवाड है ।

हकिमुदद्ीन नासिर ईटीवी भारत महासमुन्द छत्तीसगढ़Body:MAHILA BAAL VIKAS KI LAPARWAHI NAVNIHAL KO NHI MIL RAHA KHILAWNE Conclusion:
ETV Bharat Logo

Copyright © 2025 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.