महासमुंद: जिले के लाफिनखुर्द गांव के लोग पेंशन के लिए दर-दर की ठोकर खा रहे हैं. बैंक कर्मचारियों की मनमानी के कारण तकरीबन 36 से ज्यादा वृद्ध पिछले 6 माह से वृद्धा पेंशन के लिए बैंक की चौखट तक जाकर निराश होकर लौट रहे हैं. बैंक कर्मचारियों की दलील है बुर्जुगों का खाते से आधार लिंक नहीं है, जिसके कारण उनको पैसा नहीं मिल पा रहा है.
दरअसल, महासमुंद जिला मुख्यालय से महज दस किलोमीटर की दूरी पर लाफिनखुर्द पंचायत बसा है. जहां की आबादी लगभग 3500 की है. इस गांव के लोगों का मुख्य व्यवसाय खेती -किसानी है. गांव में 157 वृद्ध हैं, जिनको वृद्धा पेंशन, निराश्रित पेंशन और विधवा पेंशन का लाभ मिलता है. सभी का खाता बैंक आफ इंडिया में है. बैंक ऑफ इंडिया का बैंक मित्र गांव-गांव में जाकर लोगों को पेंशन भुगतान करता है, लेकिन विडंबना है कि बैंक के कर्मचारियों ने हितग्राहियों के बैंक खाते को आधार से लिंक नहीं किया, जिसका खामियाजा अब यहां के बृर्जुगों को उठाना पड़ रहा है.
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बिना पेंशन के परेशानियों में जी रहे बुजुर्ग
जानकारी के मुताबिक 157 में से 55 ऐसे वृद्ध हैं, जिनके खातें में पेंशन तो आता है, लेकिन आधार लिंक नहीं होने के कारण बैंक मित्र पैसा नहीं देते हैं, जिससे हितग्राही गांव से दस किलोमीटर दूर शहर में आकर भटकते रहते हैं. हितग्राही वृद्ध होने के कारण अकेले कहीं आने-जाने में भी असर्मथ हैं. ऐसे में अब पेंशन नहीं मिलने पर वह लोगों से उधार पैसे लेने को मजबूर हैं.
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6 माह से नहीं मिला पेंशन
बुजर्गों का कहना है खाते में पेंशन का पैसा तो आ रहा है, लेकिन 6 महीने से उस पैसे को निकाल नहीं पा रहे हैं. गांव से लेकर बैंक तक के चक्कर लगाने को वह मजबूर हैं. पेंशनधारियों ने बताया बैंक कर्मचारी उनको बैंक तक बुला रहे हैं, लेकिन वह चलने की स्थिति में नहीं हैं. हर वक्त खाट पर ही पड़े रहते हैं. ऐसे हालत में वह कैसे बैंक के दरवाजे तक अपनी समस्या लेकर पहुंचे.
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बैंकों का चक्कर काट रहे बुजर्ग
एक वृद्ध ने मीडिया से अपना दुखड़ा सुनाते हुए कहा कि पिछले कई दिनों से बैंक का चक्कर काट चुका हूं, लेकिन न पेंशन मिला और न ही खाते से आधार लिंक हो पाया है. हालात ऐसे हैं कि इस उम्र में न वह मजदूरी कर सकते हैं, न ही किसी से उधार मांग सकते हैं. वह पेंशन के सहारे ही जीवन यापन कर रहे हैं. ऐसे में उन्हें पिछले 6 महीने से पेंशन नहीं मिला है, जिसे वृद्धजन परेशान हैं.
लाचारी की जिंदगी जी रहे बुजर्ग
पेंशनधारियों के मसले में जब ग्राम सचिव से बातचीत की गई, तो वह अपनी सफाई देते नजर आए. वहीं कलेक्टर एक हफ्तें में समस्या का निराकरण कर लेने की बात कह रहे हैं. गौरतलब है कि 6 माह तक वृद्धों को पेंशन न मिलना और प्रशासन को भनक भी नहीं लगना. यह एक बड़ी लापरवाही है, जो वृद्धजनों को लाचारी की जिंदगी जीने पर मजबूर कर रही है.