महासमुंद: बागबाहरा ब्लॉक के नर्रा सेवा सहकारी समिति में 17 गांव के 2200 किसान धान बेचने के लिए पंजीकृत हैं. किसान हर साल की तरह इस साल भी सेवा सहकारी समिति में धान बेचने पहुंचे थे, लेकिन किसानों के साथ नर्रा सेवा सहकारी समिति में धोखाधड़ी की गई. किसानों का आरोप है कि समिति ने 98 क्विंटल धान को अपने रसीद में 51 क्विंटल दर्शाया है, जिसकी वजह से उन्हें पूरी रकम नहीं मिली और इसकी वजह से वो अब दर-दर की ठोकर खा रहे हैं.
किसान गणेश राम पटेल का आरोप है कि, उसने नर्रा सेवा सहकारी समिति में 98 क्विंटल धान बेचा था, जिसका उसके पास तौल पत्रक है. रसीद में 98 क्विंटल धान बेचना लिखा गया है, लेकिन समिति के दस्तावेज में 51 क्विंटल 60 किलो ही धान बेचने की इंट्री की गई है.
सोयायटी के चक्कर लगा रहे किसान
इसी तरह नर्रा सोसायटी के किसान केशर सिंह के साथ भी हुआ है. किसान केशर सिंह का आरोप है उन्होंने समिति में धान बेचा. तौल पत्रक भी उनके पास है, लेकिन इनको अभी तक धान का एक भी रुपया नहीं मिला है. किसान 2019 से धान खरीदी केंद्र का चक्कर काट रहे हैं, लेकिन सोयायटी प्रबंधक इन्हें बहला फुसलाकर वापस भेज देते हैं.
समिति प्रबंधक पर गड़बड़ी करने का आरोप
बता दें कि, शासन के नियमानुसार सोसायटी में किसानों का धान तौलकर रसीद दी जाती है, फिर तौल पत्रक के अनुसार कम्प्यूटर में डाटा फीड कर किसानों के बैंक खाते में रकम डाल दी जाती है, लेकिन सोसायटी प्रबंधक नरेश श्रीवास को मामले की जानकारी ही नहीं है. किसान समिति प्रबंधक पर गड़बड़ी करने का आरोप लगा रहे हैं.
लापरवाहों पर कार्रवाई की मांग
सोसायटी के सदस्य अपनी गलती स्वीकार कर रहे हैं, लेकिन सोसायटी के तौल पत्रक भ्रष्टाचार की ओर इशारा कर रहे हैं. समिति प्रबंधन के खिलाफ कार्रवाई के साथ किसान अपने मेहनत की कमाई की मांग कर रहे हैं.