महासमुंद : अवैध शराब की बिक्री को रोकने के लिए सरकार प्लेसमेंट एजेंसियों के जरिए छत्तीसगढ़ में शराब बेच रही है. शराब के निजीकरण और ठेका प्रथा को खत्म करने के लिए सरकार ने शराब दुकानों के संचालन की जिम्मेदारी पूरे प्रदेश में अलग-अलग प्लेसमेंट कंपनियों को दे रखी है, लेकिन यही कंपनी अब सरकार को करोड़ों रुपए का चपत लगा रही है. महासमुंद जिले में इगल हंटर कंपनी ने सरकार को 14 करोड़ रुपए का चपत लगाया है.
आरोप है कि देशी और विदेशी सरकारी शराब दुकानों का संचालन करने वाली इगल हंटर प्लेसमेंट कंपनी ने सरकार को बीते सत्र में शराब के नाम पर बड़ा चपत लगाया है. कंपनी के सुपरवाइजर, सेल्समैन और अन्य कर्मचारियों ने मिलकर जिले के अलग-अलग दुकानों से शराब की रिकवरी में बड़ा गोलमाल किया है. कही शराब चोरी के नाम पर तो कही बैंक में जमा होने वाले कैश में हेराफेरी कर तो कहीं स्टाक रजिस्टर में गड़बड़ी कर कंपनी के कर्मचारियों ने अलग-अलग मामलों में सरकार को 14 करोड़ रुपए का चपत लगाया है.
आबकारी अधिकारी को किया था निलंबित
एक बड़े मामले में 10 करोड़ रुपए की गड़बड़ी का मामला सामने आया था,जिसकी जांच उच्च स्तर पर कमेटी गठित कर की जा रही है. इस मामले में महासमुंद के पूर्व आबकारी अधिकारी पर इसका ठिकरा फोड़ा गया था और आबकारी अधिकारी प्रवीण वर्मा को विलंबित कर दिया गया था. बावजूद इसके लागातार कंपनी की लापरवाही जारी रही कंपनी ने अप्रैल 2018 से जून 2019 तक डब्लूएसडी स्लीप में गड़बड़ी कर पहले 10 करोड़ से भी ज्यादा की राशि का गबन किया. जिसके बाद जुलाई से सितम्बर के ऑडिट में कंपनी से करीब डेढ़ करोड़ की रिकवरी विभाग ने निकाली थी.
अछोला में ढ़ाई करोड़ का गबन
कंपनी के ऑडिट में सरकारी शराब दुकान अछोला में हाल ही में भौतिक सत्यापन के दौरान ढ़ाई करोड़ रूपये के गबन का मामला सामने आया है. विभाग ने जिले के शराब दुकानों में हुई गड़बड़ी के मामले को लेकर एक कॉमन एफआईआर कोतवाली थाने में तो दूसरा अछोला दुकान में गड़बड़ी को लेकर थाना तुमगांव में दर्ज कराया है. साथ ही कंपनी से वसूली के लिए विभाग के अधिकारी उच्च स्तर पर अवगत कराने की बात कर रहे है, लेकिन कंपनी से वसूली हुई या नहीं हुई इसकी कोई जानकारी विभाग को नहीं है. कंपनी का टेंडर सितम्बर में समाप्त हो गया और अक्टूबर से अलर्ट कमांडो कंपनी ने जिले के 33 दुकानों के संचालन का जिम्मा संभाल लिया है.