महासमुंद: गोधन न्याय योजना के तहत संगठनों के माध्यम से गोबर खरीदी शुरू की गई, लेकिन महासमुंद जिले में प्रशासनिक लापरवाही के कारण यह योजना कई जगह चालू नहीं हुई है. वहीं अधिकांश जगह खरीदी काफी धीमी है. जिसके बाद कृषि विभाग के संचालक ने कृषि विस्तार अधिकारियों को नोटिस जारी कर जवाब मांगा हैं.
गोबर खरीदी पर भारी पड़ रही प्रशासनिक लापरवाही
नरवा, गरवा, घुरवा, बारी के बाद गांवों को विकसित करने छ्त्तीसगढ़ सरकार ने हरेली पर्व के दिन गोधन न्याय योजना की शुरुआत की. इस दिन तकरीबन प्रदेश के सभी जिलों में गोधन न्याय योजना के तहत संगठनों के माध्यम से गोबर खरीदी शुरू कर दी गई. लेकिन महासमुंद जिले के कई इलाकों में प्रशासनिक लापरवाही के कारण अब तक ये योजना चालू नहीं हो पाई है. वहीं जिन गोठानों में योजना शुरू भी हुई है तो वहां भी इसकी रफ्तार काफी धीमी चल रही है.
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ग्रामीणों को गोबर खरीदी की नहीं है जानकारी
जिले में टोटल 225 गौठान चिन्हांकित किए गए है, जहां गोबर खरीदी की जानी है. इनमें से 204 गौठानों में कार्य प्रगति पर है. इस समय जिले में 125 गौठानों के माध्यम से शासन गोबर खरीदी कर रही है. गोबर की खरीदी हर रोज की जानी है लेकिन ग्रामीण क्षेत्रों में इस बात की जानकारी ही नहीं है. जिससे ग्रामीण शासन की इस महत्वपूर्ण योजना से वंचित रह जा रहे हैं. पिथौरा और बागबाहरा ब्लॉक में गोबर खरीदी की हालत सबसे खराब है.यहां सिर्फ हरेली के दिन ही गोबर की खरीदी की गई है.
शासन की महत्वकांक्षी योजना में लापरवाही
सरकार की महत्वकांक्षी योजना में जिस तरह से शुरुआती दौर में लापरवाही दिख रही है, उससे ये बात सामने आ रही है कि प्रशासनिक अमला सरकार की कई बड़ी योजनाओं पर इसी तरह लापरवाही कर रहा है. बता दें कि जिले के कई विकासखंडों में हरेली के दिन ही गोबर की खरीदी की गई, उसके बाद दोबारा अब तक गोबर की खरीदी नहीं हो रही है. ग्रामीणों इलाकों में गोबर खरीदी का व्यापक प्रचार-प्रसार भी नहीं हुआ है, जिससे लोगों का हर शासन की तरफ से होने वाली गोबर खरीदी के बारे में जानकारी ही नहीं हैं.
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'कुछ जगहों पर गोबर खरीदी धीमी'
जिले के कृषि अधिकारी का कहना हैं कि महासमुंद जिला गोबर खरीदी के मामले में पीछे नहीं है. व्यापक स्तर पर कई गौठानों में गोबर खरीदी की जा रही है हालांकि उनका कहना है कि कुछ जगहों पर गोबर खरीदी धीमी है जिसे जल्द ही बढ़ा लिया जाएगा. कृषि विभाग के उपसंचालक निरंजन सरकार का कहना है कि ऐसे गौठानों को चिन्हांकित कर उनसे जवाब मांगा गया है. इसके अलावा लोगों को भी जागरूक किया जा रहा है.
प्रदेश के सबसे ज्यादा दुग्ध उत्पादक जिल में गोबर नहीं !
गौरतलब है कि पूरे छत्तीसगढ़ में सबसे ज्यादा दूध महासमुंद जिले से होता है. यानि सबसे ज्यादा गोबर की खरीदी भी इसी जिले से होनी चाहिए लेकिन गोबर खरीदी में जिला फिसड्डी साबित हो रहा है. सरकार की महत्वकांक्षी योजना का व्यापक प्रचार-प्रसार ही गांवों में नहीं हो पाया है जिसके कारण लोग गोबर बेचने गौठानों तक नहीं आ रहे हैं. अब देखना होगा कि दूध बेचने के मामले में नंबर वन रहा महासमुंद जिला गोबर खरीदी में कब नंबर वन होता है.