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प्री मैट्रिक छात्रावास में नहीं हैं दरवाजे, सुविधाओं के अभाव में रहने को मजबूर छात्राएं

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Published : Mar 4, 2020, 7:02 PM IST

Updated : Mar 4, 2020, 7:17 PM IST

देवरी प्री मैट्रिक अनुसूचित जाति कन्या छात्रावास में छात्राएं बिना दरवाजे के छात्रावास में रहने को मजबूर हैं.

बिना दरवाजे कन्या छात्रावास में रहने को मजबूर
बिना दरवाजे कन्या छात्रावास में रहने को मजबूर

महासमुंद : शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए सरकारें तमाम योजनाएं तो बना देती हैं, लेकिन प्रशासनिक लापरवाही के कारण इसका फायदा छात्र-छात्राओं को नहीं मिल रहा है. ग्राम देवरी के प्री मैट्रिक अनुसूचित जाति कन्या छात्रावास में दरवाजे नहीं हैं और यहां रहकर पढ़ाई करने वाली छात्राएं, ऐसी स्थिति में रहने को मजबूर हैं. मीडिया के पहल के बाद आदिम जाति कल्याण विभाग के सहायक आयुक्त जल्द ठीक कराने की बात कर रहे हैं.

बिना दरवाजे कन्या छात्रावास में रहने को मजबूर

महासमुंद जिले के ब्लॉक बागबाहरा के ग्राम देवरी में प्री मैट्रीक अनुसूचित जाति कन्या छात्रावास है, जो अभी 5 साल पहले ही बनाया गया था. 50 सीट वाले इस छात्रावास में 45 छात्राएं रहती हैं. इस कन्या छात्रावास में दरवाजे 1 साल से टूटे हुए हैं, छात्राएं 1 साल से बिना दरवाजे के परदे लगाकर कन्या छात्रावास में रहने को मजबूर हैं. अबतक किसी भी प्रशासनिक अधिकारी का ध्यान इस तरफ नहीं गया.

पानी के लिये जो टंकिया हैं, वह भी टूट गयी है. हॉस्टल में पानी स्टोरेज की समस्या भी है. इन तमाम समस्याओं को लेकर शाला विकास समिति की अध्यक्ष और जनप्रतिनिधि ने इसकी शिकायत की है लेकिन अबतक कोई कार्रवाई नहीं गई है. इस पूरे मामले में जिले के आदिम जाति विभाग के सहायक आयुक्त इस समस्या के निपटारे की बात कर रहे हैं.

महासमुंद : शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए सरकारें तमाम योजनाएं तो बना देती हैं, लेकिन प्रशासनिक लापरवाही के कारण इसका फायदा छात्र-छात्राओं को नहीं मिल रहा है. ग्राम देवरी के प्री मैट्रिक अनुसूचित जाति कन्या छात्रावास में दरवाजे नहीं हैं और यहां रहकर पढ़ाई करने वाली छात्राएं, ऐसी स्थिति में रहने को मजबूर हैं. मीडिया के पहल के बाद आदिम जाति कल्याण विभाग के सहायक आयुक्त जल्द ठीक कराने की बात कर रहे हैं.

बिना दरवाजे कन्या छात्रावास में रहने को मजबूर

महासमुंद जिले के ब्लॉक बागबाहरा के ग्राम देवरी में प्री मैट्रीक अनुसूचित जाति कन्या छात्रावास है, जो अभी 5 साल पहले ही बनाया गया था. 50 सीट वाले इस छात्रावास में 45 छात्राएं रहती हैं. इस कन्या छात्रावास में दरवाजे 1 साल से टूटे हुए हैं, छात्राएं 1 साल से बिना दरवाजे के परदे लगाकर कन्या छात्रावास में रहने को मजबूर हैं. अबतक किसी भी प्रशासनिक अधिकारी का ध्यान इस तरफ नहीं गया.

पानी के लिये जो टंकिया हैं, वह भी टूट गयी है. हॉस्टल में पानी स्टोरेज की समस्या भी है. इन तमाम समस्याओं को लेकर शाला विकास समिति की अध्यक्ष और जनप्रतिनिधि ने इसकी शिकायत की है लेकिन अबतक कोई कार्रवाई नहीं गई है. इस पूरे मामले में जिले के आदिम जाति विभाग के सहायक आयुक्त इस समस्या के निपटारे की बात कर रहे हैं.

Last Updated : Mar 4, 2020, 7:17 PM IST
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