ETV Bharat / state

SPECIAL: नवरात्र में सूना है महासमुंद की मां चंडी का दरबार, कभी आरती के समय पहुंचते थे भालू

इस साल कोरोना महामारी की वजह से महासमुंद के बागबाहरा स्थित मां चंडी का दरबार सूना है. जहां कभी हजारों की संख्या में श्रद्धालुओं की भीड़ हुआ करती थी, अब वहां घंटियों की आवाज भी सुनाई नहीं देती. इस मंदिर में भालुओं का परिवार माता रानी की आरती के समय रोजाना मंदिर पहुंच जाया करता था.

mahasamund bagbahara chandi mandir
बागबाहरा माता चंडी देवी मंदिर
author img

By

Published : Oct 23, 2020, 4:55 PM IST

महासमुंद: शारदीय नवरात्र के शुरू होते ही मनवांछित फल की कामना लेकर श्रद्धालु देवी मंदिरों में मां के दर्शन के लिए उमड़ पड़ते हैं. ऐसा ही दृश्य महासमुंद जिले के बागबाहरा में मां चंडी देवी के मंदिर का भी है. स्वर्ण निर्मित प्रतिमा के कारण हजारों भक्त अपनी मनोकामना लेकर माता के दर्शन को पहुंचते थे, लेकिन इस साल कोरोना महामारी की वजह से मां का दरबार सूना पड़ा है. कोरोना गाइडलाइन के चलते मंदिर में आने वाले लोगों की संख्या निर्धारित कर दी गई है, जिसमें मंदिर समिति के लोग शामिल हैं. आम लोगों को देवी मंदिर में आने की अनुमति नहीं है.

नवरात्र में सूना है महासमुंद की मां चंडी का दरबार

इस मंदिर की यह विशेषता है कि यहां रोजाना माता रानी की आरती के लिए भालू भी अपने परिवार के साथ पहुंचते हैं. भालुओं को देखने के लिए ही लोग यहां दूर-दूर से आते हैं. मां चंडी देवी मंदिर से लोगों की गहरी आस्था जुड़ी हुई है. लेकिन कोरोना काल ने इस बार नवरात्र के सारे रंग फीके कर दिए, जिससे श्रद्धालु निराश हैं. हर साल जहां हजारों की संख्या में श्रद्धालु मंदिर में मां चंडी के दर्शन को आते थे, इस बार कोरोना ने उनकी भक्ति पर भी विराम लगा दिया.

chandi mandir mahasamund
मां चंडी देवी

20 फीट की है मां चंडी की प्रतिमा

बागबाहरा क्षेत्र के दक्षिण में चारों तरफ से पहाड़ियों और घने जंगलों से घिरे स्थान पर मां चंडी देवी का विशाल मंदिर है. यहां विराजमान मां चंडी देवी की प्रतिमा 20 फीट की है. ऐसा माना जाता है कि प्राकृतिक रूप में निर्मित इतनी भव्य मूर्ति पूरे भारत में और कहीं नहीं है. यहां देवी की प्रतिमा रूद्र मुखी और दक्षिण मुखी होने के कारण मनोकामना सिद्धी के लिए सर्वश्रेष्ठ मानी जाती है.

chandi mandir mahasamund
मंदिर परिसर में रहता है भालू का परिवार

मंदिर में पशु बलि की मनाही

श्रद्धालुओं को देवी का भव्य रुप ही उन्हें बार-बार दर्शन को बुलाता है. मां चंडी मंदिर में पशु की बलि चढ़ाने की मनाही है. देवी चंडी को फल-फूल, साड़ी, श्रृंगार सहित नारियल चढ़ाकर पूजा-अर्चना की जाती है. मान्यता है कि यहां जो भी अपनी मन्नतें लेकर आता है, माता रानी उसे पूरा करती हैं.

सभी की मनोकामना पूरी होने की मान्यता

नवरात्र में मां चंडी के दर्शन करने के लिए लोग दूर-दूर से आते हैं. श्रद्धालुओं का मानना है कि यहां आने से सभी की मनोकामना पूर्ण होती है और मन को शांति मिलती है. लेकिन कोरोना संकट काल को देखते हुए लोगों को बिना दर्शन के ही घर वापस लौटना पड़ रहा है. जिला प्रशासन के आदेश के मुताबिक मंदिर में सिर्फ 15 से 20 लोगों के अलावा किसी और को आने की अनुमति नहीं है.

chandi mandir mahasamund
आम लोगों के लिए बंद है मां चंडी का दरबार

पढ़ें- रतनपुर महामाया मंदिर में कभी लगता था भक्तों का तांता, इस साल नवरात्र में बंद है मंदिर के द्वार

चंडी देवी मंदिर में हर साल हजारों की संख्या में ज्योति कलश प्रज्जवलित किए जाते हैं. इस साल कोरोना संकट के बाद भी मंदिर में 5 हजार 61 ज्योति कलश प्रज्जवलित किए गए हैं. बीते साल की बात करें तो माता के दर्शन के लिए प्रदेश के साथ ही दूसरे राज्यों से भी लोग अपनी मन्नत लेकर मां के दरबार में आते थे.

maa chandi mandir mahasamund
मां चंडी मंदिर घुचापाली

आर्थिक तंगी से जूझ रहे मंदिर के आसपास दुकान लगाने वाले व्यापारी

घुचापाली चंडी मंदिर पहाड़ों के बीच बसा हुआ है. इस मंदिर के रास्ते में लगभग 100 स्थाई दुकाने हैं. इसके अलावा कई अस्थाई ठेले और दुकानें यहां लगती थी. यहां का दृश्य मेले से भी ज्यादा होता था. कोरोना की मार इन छोटे व्यापारियों पर भी पड़ी है. दुकानदार आर्थिक तंगी से जूझ रहे हैं.

दुकानदारों का कहना है कि वे संक्रमण काल की वजह से खाली बैठे हैं. आमदनी नहीं होने की वजह से उनके सामने परिवार का भरण-पोषण करने की परेशानी आ खड़ी हुई है. उन्होंने बताया कि नवरात्र के समय सिर्फ पंचमी और अष्टमी के दिन ही वे करीब 10 हजार का बिजनेस कर लेते थे, लेकिन वर्तमान के हालात ऐसे हैं कि 100 रुपए भी मिलना मुश्किल है. दुकानदारों का कहना है कि शासन-प्रशासन को उनके लिए कोई पहल करनी चाहिए. मंदिर में बीते करीब 7 महीने से लोगों का आना-जाना बंद है, जिससे दुकानदारों की कमाई पूरी तरह से बंद है.

पढ़ें- कोरिया: नवरात्र में चांग देवी माता के दरबार में भक्तों का लगा तांता, मंदिर में लौटी रौनक

जिला प्रशासन ने मंदिर परिसर के पास बैरिकेड लगवाया है. जहां पुलिस बल मौजूद है. इस दौरान चंडी मंदिर पहुंचने वाले श्रद्धालु बैरिकेडिंग के बाहर ही एक कोने में माता के नाम से लाए पूजा के सामानों और फलों को रख कर दूर से ही प्रणाम कर वापस जा रहे हैं.

महासमुंद: शारदीय नवरात्र के शुरू होते ही मनवांछित फल की कामना लेकर श्रद्धालु देवी मंदिरों में मां के दर्शन के लिए उमड़ पड़ते हैं. ऐसा ही दृश्य महासमुंद जिले के बागबाहरा में मां चंडी देवी के मंदिर का भी है. स्वर्ण निर्मित प्रतिमा के कारण हजारों भक्त अपनी मनोकामना लेकर माता के दर्शन को पहुंचते थे, लेकिन इस साल कोरोना महामारी की वजह से मां का दरबार सूना पड़ा है. कोरोना गाइडलाइन के चलते मंदिर में आने वाले लोगों की संख्या निर्धारित कर दी गई है, जिसमें मंदिर समिति के लोग शामिल हैं. आम लोगों को देवी मंदिर में आने की अनुमति नहीं है.

नवरात्र में सूना है महासमुंद की मां चंडी का दरबार

इस मंदिर की यह विशेषता है कि यहां रोजाना माता रानी की आरती के लिए भालू भी अपने परिवार के साथ पहुंचते हैं. भालुओं को देखने के लिए ही लोग यहां दूर-दूर से आते हैं. मां चंडी देवी मंदिर से लोगों की गहरी आस्था जुड़ी हुई है. लेकिन कोरोना काल ने इस बार नवरात्र के सारे रंग फीके कर दिए, जिससे श्रद्धालु निराश हैं. हर साल जहां हजारों की संख्या में श्रद्धालु मंदिर में मां चंडी के दर्शन को आते थे, इस बार कोरोना ने उनकी भक्ति पर भी विराम लगा दिया.

chandi mandir mahasamund
मां चंडी देवी

20 फीट की है मां चंडी की प्रतिमा

बागबाहरा क्षेत्र के दक्षिण में चारों तरफ से पहाड़ियों और घने जंगलों से घिरे स्थान पर मां चंडी देवी का विशाल मंदिर है. यहां विराजमान मां चंडी देवी की प्रतिमा 20 फीट की है. ऐसा माना जाता है कि प्राकृतिक रूप में निर्मित इतनी भव्य मूर्ति पूरे भारत में और कहीं नहीं है. यहां देवी की प्रतिमा रूद्र मुखी और दक्षिण मुखी होने के कारण मनोकामना सिद्धी के लिए सर्वश्रेष्ठ मानी जाती है.

chandi mandir mahasamund
मंदिर परिसर में रहता है भालू का परिवार

मंदिर में पशु बलि की मनाही

श्रद्धालुओं को देवी का भव्य रुप ही उन्हें बार-बार दर्शन को बुलाता है. मां चंडी मंदिर में पशु की बलि चढ़ाने की मनाही है. देवी चंडी को फल-फूल, साड़ी, श्रृंगार सहित नारियल चढ़ाकर पूजा-अर्चना की जाती है. मान्यता है कि यहां जो भी अपनी मन्नतें लेकर आता है, माता रानी उसे पूरा करती हैं.

सभी की मनोकामना पूरी होने की मान्यता

नवरात्र में मां चंडी के दर्शन करने के लिए लोग दूर-दूर से आते हैं. श्रद्धालुओं का मानना है कि यहां आने से सभी की मनोकामना पूर्ण होती है और मन को शांति मिलती है. लेकिन कोरोना संकट काल को देखते हुए लोगों को बिना दर्शन के ही घर वापस लौटना पड़ रहा है. जिला प्रशासन के आदेश के मुताबिक मंदिर में सिर्फ 15 से 20 लोगों के अलावा किसी और को आने की अनुमति नहीं है.

chandi mandir mahasamund
आम लोगों के लिए बंद है मां चंडी का दरबार

पढ़ें- रतनपुर महामाया मंदिर में कभी लगता था भक्तों का तांता, इस साल नवरात्र में बंद है मंदिर के द्वार

चंडी देवी मंदिर में हर साल हजारों की संख्या में ज्योति कलश प्रज्जवलित किए जाते हैं. इस साल कोरोना संकट के बाद भी मंदिर में 5 हजार 61 ज्योति कलश प्रज्जवलित किए गए हैं. बीते साल की बात करें तो माता के दर्शन के लिए प्रदेश के साथ ही दूसरे राज्यों से भी लोग अपनी मन्नत लेकर मां के दरबार में आते थे.

maa chandi mandir mahasamund
मां चंडी मंदिर घुचापाली

आर्थिक तंगी से जूझ रहे मंदिर के आसपास दुकान लगाने वाले व्यापारी

घुचापाली चंडी मंदिर पहाड़ों के बीच बसा हुआ है. इस मंदिर के रास्ते में लगभग 100 स्थाई दुकाने हैं. इसके अलावा कई अस्थाई ठेले और दुकानें यहां लगती थी. यहां का दृश्य मेले से भी ज्यादा होता था. कोरोना की मार इन छोटे व्यापारियों पर भी पड़ी है. दुकानदार आर्थिक तंगी से जूझ रहे हैं.

दुकानदारों का कहना है कि वे संक्रमण काल की वजह से खाली बैठे हैं. आमदनी नहीं होने की वजह से उनके सामने परिवार का भरण-पोषण करने की परेशानी आ खड़ी हुई है. उन्होंने बताया कि नवरात्र के समय सिर्फ पंचमी और अष्टमी के दिन ही वे करीब 10 हजार का बिजनेस कर लेते थे, लेकिन वर्तमान के हालात ऐसे हैं कि 100 रुपए भी मिलना मुश्किल है. दुकानदारों का कहना है कि शासन-प्रशासन को उनके लिए कोई पहल करनी चाहिए. मंदिर में बीते करीब 7 महीने से लोगों का आना-जाना बंद है, जिससे दुकानदारों की कमाई पूरी तरह से बंद है.

पढ़ें- कोरिया: नवरात्र में चांग देवी माता के दरबार में भक्तों का लगा तांता, मंदिर में लौटी रौनक

जिला प्रशासन ने मंदिर परिसर के पास बैरिकेड लगवाया है. जहां पुलिस बल मौजूद है. इस दौरान चंडी मंदिर पहुंचने वाले श्रद्धालु बैरिकेडिंग के बाहर ही एक कोने में माता के नाम से लाए पूजा के सामानों और फलों को रख कर दूर से ही प्रणाम कर वापस जा रहे हैं.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.