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पर्यावरण संरक्षण के लिए वन विभाग की पहल से बदली इन ग्रामीणों की तस्वीर

महासमुंद के गांवों में जहां ग्रामीण स्टॉप डैम बन जाने से खुश है. वहीं आला अधिकारी आने वाले समय में इसे और बेहतर कर लिए जाने की बात कह रहे हैं. जिले में संरक्षण का काम 2017 में शुरू हुआ तब से लेकर अब तक वन विभाग ने जिले में 10 स्थाई, 2 हजार बोल्डर चेक डैम का निर्माण कराया है.

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Published : Sep 16, 2019, 8:22 AM IST

Updated : Sep 16, 2019, 11:58 AM IST

डैम

महासमुंद: पर्यावरण संरक्षण को ध्यान में रखते हुए वन विभाग ने जल संरक्षण के तहत कई स्थाई स्टॉप डेम, रेट चेक डेम, बोल्डर चेक डेम और सेफ्टा का निर्माण कराया है. वन विभाग के इस निर्माण कार्य ने ग्रामीणों की तकदीर और तस्वीर दोनों बदल दी है. कभी निस्तारी और सिंचाई के पानी की समस्या से परेशान किसान आज इन योजनाओं का लाभ लेकर खुशहाल जीवन जी रहे हैं.

पर्यावरण संरक्षण के लिए वन विभाग की पहल

गांव में स्टॉप डैम बन जाने से लोग खुश है, वहीं आला अधिकारी आने वाले समय में इसे और बेहतर कर लिए जाने की बात कह रहे हैं. जिले में संरक्षण का काम 2017 में शुरू हुआ तब से लेकर अब तक वन विभाग ने जिले में 10 स्थाई, 2 हजार बोल्डर चेक डैम का निर्माण कराया है. वन विभाग की इस पहल के बाद लगभग 11 गांव के लोगों की समस्या और हजारों एकड़ में सिंचाई की समस्या समाप्त हो गई.

ग्रामीणों को मिली राहत

इन्हीं में से एक गांव के लोग सालों से निस्तारी और सिंचाई के पानी की समस्या से जूझ रहे थे. इसकी सूचना मिलते ही वन विभाग ने जिला खनिज संस्थान न्यास के 35 लाख की लागत से कवर डबरा पर स्टॉप डेम और एक छोटी सी नहर का निर्माण कराया. इससे बरसात के पानी को एक जगह एकत्रित कर के नहर के माध्यम से मोहकम गांव तक लाया गया. वन विभाग के इस काम से गांव के विस्तार और सिंचाई की समस्या तो दूर हुई ही है साथ ही भू-जल स्तर बढ़ गया है.

इसी तरह जंगलों में छोटे-छोटे रेत बैग डैम तैयार किया गया. इससे वहां पानी का ठहराव होने लगा और पानी के तेज बहाव पर रोक लग गया.

भू-जल संरक्षण की ओर पहल
ग्रामीणों का कहना है कि स्टॉप डेम बन जाने से हम लोगों की निस्तारी की समस्या तो दूर हुई ही है, साथ ही भू-जल स्तर भी सुधर गया है. अधिकारी का कहना है कि जिले में भू-जल संरक्षण को लेकर काफी अच्छा काम किया गया है. गौरतलब है कि नरवा के तहत नहरों का चयन कर प्रस्ताव बनाकर शासन को भेजा गया है शासन से स्वीकृति के पश्चात कार्य पूर्ण होने पर और भी जल स्तर में सुधार आएगा.

महासमुंद: पर्यावरण संरक्षण को ध्यान में रखते हुए वन विभाग ने जल संरक्षण के तहत कई स्थाई स्टॉप डेम, रेट चेक डेम, बोल्डर चेक डेम और सेफ्टा का निर्माण कराया है. वन विभाग के इस निर्माण कार्य ने ग्रामीणों की तकदीर और तस्वीर दोनों बदल दी है. कभी निस्तारी और सिंचाई के पानी की समस्या से परेशान किसान आज इन योजनाओं का लाभ लेकर खुशहाल जीवन जी रहे हैं.

पर्यावरण संरक्षण के लिए वन विभाग की पहल

गांव में स्टॉप डैम बन जाने से लोग खुश है, वहीं आला अधिकारी आने वाले समय में इसे और बेहतर कर लिए जाने की बात कह रहे हैं. जिले में संरक्षण का काम 2017 में शुरू हुआ तब से लेकर अब तक वन विभाग ने जिले में 10 स्थाई, 2 हजार बोल्डर चेक डैम का निर्माण कराया है. वन विभाग की इस पहल के बाद लगभग 11 गांव के लोगों की समस्या और हजारों एकड़ में सिंचाई की समस्या समाप्त हो गई.

ग्रामीणों को मिली राहत

इन्हीं में से एक गांव के लोग सालों से निस्तारी और सिंचाई के पानी की समस्या से जूझ रहे थे. इसकी सूचना मिलते ही वन विभाग ने जिला खनिज संस्थान न्यास के 35 लाख की लागत से कवर डबरा पर स्टॉप डेम और एक छोटी सी नहर का निर्माण कराया. इससे बरसात के पानी को एक जगह एकत्रित कर के नहर के माध्यम से मोहकम गांव तक लाया गया. वन विभाग के इस काम से गांव के विस्तार और सिंचाई की समस्या तो दूर हुई ही है साथ ही भू-जल स्तर बढ़ गया है.

इसी तरह जंगलों में छोटे-छोटे रेत बैग डैम तैयार किया गया. इससे वहां पानी का ठहराव होने लगा और पानी के तेज बहाव पर रोक लग गया.

भू-जल संरक्षण की ओर पहल
ग्रामीणों का कहना है कि स्टॉप डेम बन जाने से हम लोगों की निस्तारी की समस्या तो दूर हुई ही है, साथ ही भू-जल स्तर भी सुधर गया है. अधिकारी का कहना है कि जिले में भू-जल संरक्षण को लेकर काफी अच्छा काम किया गया है. गौरतलब है कि नरवा के तहत नहरों का चयन कर प्रस्ताव बनाकर शासन को भेजा गया है शासन से स्वीकृति के पश्चात कार्य पूर्ण होने पर और भी जल स्तर में सुधार आएगा.

Intro:एंकर - पर्यावरण संरक्षण के अंतर्गत महासमुंद जिले में वन विभाग के द्वारा जन संरक्षण के तहत निर्माण कराया गए कई स्थाई स्टॉप डेम, रेट चेक डेम, बोल्डर चेक डेम एवं सेफ्टा ग्रामीण इलाकों के किसानों व ग्रामीणों की तकदीर व तस्वीर दोनों बदल दी है कभी निस्तारीएवं सिंचाई के पानी के लिए दर-दर भटकने वाले किसान आज इन योजनाओं का लाभ लेकर खुशहाल जीवन व्यतीत कर रहे हैं।


Body:वीओ 1 - जहां ग्रामीण स्टॉप डेम बन जाने से काफी खुश हैं वहीं आला अधिकारी भी आने वाले समय में और बेहतर कर लिए जाने की बात कह रहे हैं महासमुंद जिले में संरक्षण का काम 2017 में शुरू हुआ तब से लेकर आज तक के वन विभाग के द्वारा 10 स्थाई, 2हजार बोल्डर चेक डैम, सेफटा का निर्माण कराया गया जिससे 11 ग्राम के ग्रामीणों की समस्या एवं हजारों एकड़ में सिंचाई की समस्या समाप्त हो गई इन्हीं में से एक गांव जहां वर्षों से ग्रामीण निस्तारी एवं सिंचाई के पानी की समस्या से जूझ रहे थे इसके बाद वन विभाग के द्वारा जिला खनिज संस्थान न्यास के 35 लाख की लागत से कवर डबरा पर स्टॉप डेम व एक छोटी सी नहर का निर्माण कराया जिससे बरसात के पानी को एक जगह एकत्रित कर के नहर के माध्यम से ग्राम मोहकम तक लाया गया जिससे गांव की विस्तार एवं सिंचाई की समस्या तो दूर ही साथ में भूजल स्तर बढ़ गया इसी प्रकार जंगलों में छोटे-छोटे रेत बैग डैम तैयार किया गया जिससे वहां पानी का ठहराव होने लगा और जिससे पानी के तेज बहाव पर में लोगों की समस्या दूर हो गई इसी प्रकार जंगलों में बरसात के मौसम में बारिश से हो रहे कटाव को रोकने के लिए जिले में 3हजार सेप्टाका निर्माण कराया गया।


Conclusion:वीओ 2 - जिससे पानी के तेज बहाव पर रोक लगी और जंगल में पानी से होने वाले कटाव पर रोक लग गई ग्रामीणों का कहना है कि स्टॉप डेम बन जाने से हम लोगों की निस्तारी की समस्या तो दूर हुआ ही है साथ ही भूजल स्तर भी सुधर गया है अधिकारी का कहना है कि जिले में भूजल संरक्षण को लेकर काफी अच्छा काम किया गया है गौरतलब है कि नरवा के तहत नहरो का चयन कर प्रस्ताव बनाकर शासन को भेजा गया है शासन से स्वीकृति के पश्चात कार्य पूर्ण होने पर और भी जल स्तर में सुधार आएगा।

बाइट 1 - दाऊवा राम ध्रुव, ग्रामीण पहचान स्काय नीला कलर का स्कार्फ गले में लटकाया है।

बाइट 2 - भागीरथी कोसरे ग्रामीण पहचान डार्क नीला कलर का स्कार्फ गले में लटकाया है।

बाइट 3 - एस एस नाविक उपवन मंडल अधिकारी महासमुंद पहचान चश्मा लगाया हुआ और पीके कलर का नीला शर्ट पहना है।

हकीमुद्दीन नासिर रिपोर्टर ईटीवी भारत महासमुंद छत्तीसगढ़ मो. 9826555052
Last Updated : Sep 16, 2019, 11:58 AM IST
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