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महासमुंद के बावनकेरा में सिंचाई के लिए नहीं मिली बिजली, किसानों ने मवेशियों के हवाले किया खेत

महासमुंद के बावन केरा में किसानों को बिजली कटौती (Power shortage for farmers of Mahasamund) के कारण फसल सिंचाई में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है.

Bawan Kera of Mahasamund
महासमुंद के बावन केरा के किसानों का दर्द
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Published : Apr 15, 2022, 5:41 PM IST

महासमुंद:महासमुंद मुख्यालय से 40 किलोमीटर की दूरी पर स्थित ग्राम बावन केरा में किसान रबी की फसल उपजा रहे (Power shortage for farmers of Mahasamund ) हैं. लेकिन अघोषित बिजली कटौती और पानी न मिलने से किसान अपने उपजे हुए धान की फसलों को मवेशियों को चराने को मजबूर हैं. क्योंकि बिजली न होने से पानी के पंप नहीं चल रहे हैं. मौजूदा समय में खेतों में दरारें पड़ गई है और फसलें पूरी तरह से सूख कर बर्बाद हो गई है.

महासमुंद के किसान परेशान

सूखे का सामना कर रहे किसान: महासमुंद जिले में लगातार गिर रहे जल स्तर और बिजली कटौती के कारण किसानों को अपनी फसल बचाये रखने के लिए ऐड़ी चोटी का जोड़ लगाना पड़ रहा है. बावन केरा के किसानों को खेती करने के लिए अच्छी खासी समस्याओं से जूझना पड़ रहा है. यहां अघोषित बिजली कटौती से किसान त्रस्त हो चुके हैं. बिजली विभाग के द्वारा अघोषित बिजली कटौती करने से यहां खेतों मे पानी पटाने के लिए लगाए गए पंप बंद पड़े हैं. जिससे रबी फसल बो रहे किसानों के खेत सूख चुके हैं. खेतों में दरारे साफ नजर आ रही है. किसानों का हाल तो अब यह हो चुका है कि अपने सूख चुके खेतों को आवारा मवेशियों को चराने को वह मजबूर हैं. जिससे किसानों के माथे पर चिंता की लकीरें साफ नजर आ रही है.

कई एकड़ में लगे फसल हुए बर्बाद: यहां रबी फसल लेने के लिए किसानों ने कर्ज लेकर खेती शुरू की थी. जिसमें अब इनके घर की माली हालत बद से बदतर हो गई है. यहां लगभग 70 से 80 एकड़ की खेती पानी नहीं मिलने से बर्बाद हो गए हैं. बता दें कि बावनकेरा गांव की आबादी दो हजार के आसपास है, जहां लगभग 150 किसान परिवार खेती कर अपना जीवकोपार्जन करते हैं.लेकिन इस वर्ष खरीफ फसल लिए हुए किसानों को अघोषित बिजली कटौती के कारण काफी मुसीबतों का सामना करना पड़ रहा है. यहां के किसानों का कहना है कि हम कर्ज तले दबे हुए हैं और एक महीने से यहां अघोषित बिजली कटौती की जा रही है, जिससे हम अब अपने खेतों को मवेशियों के हवाले कर रहे हैं. शासन हमें बराबर बिजली के साथ बर्बाद हुए फसलों की क्षतिपूर्ति दे.


इस मामले में पूर्व जनपद सदस्य और पूर्व सांसद प्रतिनिधि योगेश चंद्राकर का कहना है कि, 'अगर मौजूदा सरकार इसी तरह किसानों से छलावा करती रहेगी तो यही किसान इन्हें सत्ता से बेदखल कर सकते हैं. किसानों की इस समस्या पर महासमुंद कलेक्टर नीलेश कुमार क्षीरसागर का कहना है कि, पहले भी बिजली कटौती की शिकायतें मिली हैं. बिजली विभाग को व्यवस्था दुरुस्त करने के निर्देश दिए गए हैं'. निश्चित ही छत्तीसगढ़ सरकार छत्तीसगढ़ को बिजली देने की बात कहती है लेकिन धरातल पर यह कितना सही है. इसकी सच्चाई इस छोटे गांव की इस समस्या में दिख रही है.

महासमुंद:महासमुंद मुख्यालय से 40 किलोमीटर की दूरी पर स्थित ग्राम बावन केरा में किसान रबी की फसल उपजा रहे (Power shortage for farmers of Mahasamund ) हैं. लेकिन अघोषित बिजली कटौती और पानी न मिलने से किसान अपने उपजे हुए धान की फसलों को मवेशियों को चराने को मजबूर हैं. क्योंकि बिजली न होने से पानी के पंप नहीं चल रहे हैं. मौजूदा समय में खेतों में दरारें पड़ गई है और फसलें पूरी तरह से सूख कर बर्बाद हो गई है.

महासमुंद के किसान परेशान

सूखे का सामना कर रहे किसान: महासमुंद जिले में लगातार गिर रहे जल स्तर और बिजली कटौती के कारण किसानों को अपनी फसल बचाये रखने के लिए ऐड़ी चोटी का जोड़ लगाना पड़ रहा है. बावन केरा के किसानों को खेती करने के लिए अच्छी खासी समस्याओं से जूझना पड़ रहा है. यहां अघोषित बिजली कटौती से किसान त्रस्त हो चुके हैं. बिजली विभाग के द्वारा अघोषित बिजली कटौती करने से यहां खेतों मे पानी पटाने के लिए लगाए गए पंप बंद पड़े हैं. जिससे रबी फसल बो रहे किसानों के खेत सूख चुके हैं. खेतों में दरारे साफ नजर आ रही है. किसानों का हाल तो अब यह हो चुका है कि अपने सूख चुके खेतों को आवारा मवेशियों को चराने को वह मजबूर हैं. जिससे किसानों के माथे पर चिंता की लकीरें साफ नजर आ रही है.

कई एकड़ में लगे फसल हुए बर्बाद: यहां रबी फसल लेने के लिए किसानों ने कर्ज लेकर खेती शुरू की थी. जिसमें अब इनके घर की माली हालत बद से बदतर हो गई है. यहां लगभग 70 से 80 एकड़ की खेती पानी नहीं मिलने से बर्बाद हो गए हैं. बता दें कि बावनकेरा गांव की आबादी दो हजार के आसपास है, जहां लगभग 150 किसान परिवार खेती कर अपना जीवकोपार्जन करते हैं.लेकिन इस वर्ष खरीफ फसल लिए हुए किसानों को अघोषित बिजली कटौती के कारण काफी मुसीबतों का सामना करना पड़ रहा है. यहां के किसानों का कहना है कि हम कर्ज तले दबे हुए हैं और एक महीने से यहां अघोषित बिजली कटौती की जा रही है, जिससे हम अब अपने खेतों को मवेशियों के हवाले कर रहे हैं. शासन हमें बराबर बिजली के साथ बर्बाद हुए फसलों की क्षतिपूर्ति दे.


इस मामले में पूर्व जनपद सदस्य और पूर्व सांसद प्रतिनिधि योगेश चंद्राकर का कहना है कि, 'अगर मौजूदा सरकार इसी तरह किसानों से छलावा करती रहेगी तो यही किसान इन्हें सत्ता से बेदखल कर सकते हैं. किसानों की इस समस्या पर महासमुंद कलेक्टर नीलेश कुमार क्षीरसागर का कहना है कि, पहले भी बिजली कटौती की शिकायतें मिली हैं. बिजली विभाग को व्यवस्था दुरुस्त करने के निर्देश दिए गए हैं'. निश्चित ही छत्तीसगढ़ सरकार छत्तीसगढ़ को बिजली देने की बात कहती है लेकिन धरातल पर यह कितना सही है. इसकी सच्चाई इस छोटे गांव की इस समस्या में दिख रही है.

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