महासमुंद: कोरोना संक्रमण के रोकथाम के लिए पूरे भारत में 24 मार्च से लॉकडाउन लगाया गया है. लॉकडाउन के बाद रेल और बस के पहिए भी थम गए हैं, जिसके कारण मजदूर तबके के लोग . बता दें कि अचानक हुए लॉकडाउन से बहुत से लोग अलग-अलग जगहों में फंस गए हैं. इस क्रम में महासमुंद और बलौदा बाजार जिले के 110 मजदूर ओडिशा राज्य के जिला केन्द्र पड़ा थाना डेरा बी ग्राम पंचायत काऊ पुड़ा के नीला कना गांव और काऊ पुड़ा गांव में फंसे हुए हैं.
छत्तीसगढ़ के इन प्रवासी मजदूरों को वहां रहने में अब बहुत ज्यादा परेशानी हो रही है. अब उनके पास रुपये भी खत्म हो गए हैं और जिस जगह में वह रहते हैं, वह बहुत ही खराब है. लगातार वहां मौसम बदल रहा है, जिसके कारण बरसात भी हो रही है. वहां चारों तरफ पानी भर चुका है, जिससे बीमारी फैलने का भी डर बना हुआ है. छोटे-छोटे बच्चे भी साथ में रहते हैं, वहीं गर्भवती महिला भी साथ में हैं, जिनके स्वास्थ्य को लेकर खतरा बना हुआ है. ये प्रवासी मजदूर मुख्यमंत्री से गुहार लगा रहे हैं कि छत्तीसगढ़ सरकार उन्हें अपने घर जल्द से जल्द पहुंचा दें. वहां फंसे हुए महिला, पुरुष और बच्चों ने हाथ जोड़कर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल से विनम्र निवेदन किया है कि वहां उनकी स्थिति बहुत खराब है.
रायपुर-बिलासपुर राजमार्ग से दूसरे राज्य जा रहे मजदूरों को कराया गया निशुल्क भोजन
फंसे प्रवासी मजदूरों की फरियाद सुनो सरकार
मजदूरों ने गुहार लगाई है कि, मुख्यमंत्री उन्हें छत्तीसगढ़ वापस बुला लें, नहीं तो उन्हें दूसरे लोगों की तरह पैदल ही यह सफर तय करना पड़ेगा. बता दें कि महासमुंद जिले से सबसे ज्यादा मजदूर पलायन करते हैं. यह मजदूर ईंट भट्टा में काम करने दिसंबर में ओडिशा गए हुए थे. वह अप्रैल के बाद अपने घर वापस आने वाले थे. लेकिन 22 मार्च को लॉकडाउन लगने के कारण यह वहां फंस गए. अब उनके पास पैसे भी खत्म हो गए हैं. सरकारों ने इन मजदूरों को वापस लाने के लिए हेल्पलाइन भी चालू की है. जिसका उन्हें कोई फायदा नहीं मिल पाया है. अब देखना यह है कि सरकार इनकी फरियाद कब सुनती है और इन्हें इनके राज्य और जिलों में वापस कब लाया जाएगा.