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हवाई पट्टी सर्वे का ग्रामीणों ने किया जमकर विरोध, नहीं देना चाहते जमीन - छत्तीसगढ़ की खबर

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने वित्त बजट 2020 पर कोरिया को हवाई पट्टी में एक करोड़ राशि में घोषणा की थी. जिले लेकर ग्रामीणों ने विरोध किया है. ग्रामीणों का कहना है कि, सरकर के जबरजस्ती करने पर भी जमीन नहीं देना चाहते हैं.

Villagers strongly opposed the runway survey
हवाई पट्टी सर्वे का ग्रामीणों ने किया जमकर विरोध
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Published : Mar 5, 2020, 3:58 PM IST

कोरिया: मुख्यमंत्री भुपेश बघेल ने बहुप्रतीक्षित मांग पर बैकुंठपुर में हवाई पट्टी की बजट में एक करोड़ राशि में घोषणा की थी. जिस पर ग्रहण लगते दिखाई दे रहा है. कोरिया को सौगात मिलते ही दो दिन बाद हवाई पट्टी सर्वे करने टीम जिला पहुंची. जिसका ग्रमीणों ने खुलकर विरोध किया है. जानकारी मिलते ही चयनित स्थल के भू स्वामी और ग्रमीण उग्र हो गए. जगह पर पहुंच कर हंगामा शुरू कर दिया.

हवाई पट्टी सर्वे का ग्रामीणों ने किया जमकर विरोध

ग्रमीणों का कहना है कि, यह बाप-दादा की जमीन है. इसे छोड़कर कही नहीं जाएंगे. थोड़ी बहुत जमीन है, जिसे सरकार लूटना चाहती है. हम ऐसा नहीं होने देंगे. यह तभी संभव है, जब हमारे उपर हैवी बेलन मशीन चढ़ाकर जाएगी. सरकर के जबरजस्ती करने पर भी जमीन नहीं देना चाहते. वहीं यह भी कहना है कि, 'हमें चाहे मौत की नींद सोना पड़े, सरकार चाहे तो गोली मार दे'. साथ मे ग्रामीणों का यह भी कहना है कि इसके बदले में दूसरी भूमि भी स्वीकार नहीं है. कुछ लोग तो पट्टाधारी हैं, कुछ के पास पट्टा भी नहीं है, फिर भी कई सालों से कब्जे की भूमि नहीं देना चाहते.

जानकारी के मुताबिक रायपुर से आई हवाई सर्वे टीम को भी हवाई पट्टी के लिए यह जमीन विशेष पसंद नहीं आई. अब देखना होगा जिला प्रशासन और ग्रमीणों के बीच कैसे तालमेल बन पाता है.

कोरिया: मुख्यमंत्री भुपेश बघेल ने बहुप्रतीक्षित मांग पर बैकुंठपुर में हवाई पट्टी की बजट में एक करोड़ राशि में घोषणा की थी. जिस पर ग्रहण लगते दिखाई दे रहा है. कोरिया को सौगात मिलते ही दो दिन बाद हवाई पट्टी सर्वे करने टीम जिला पहुंची. जिसका ग्रमीणों ने खुलकर विरोध किया है. जानकारी मिलते ही चयनित स्थल के भू स्वामी और ग्रमीण उग्र हो गए. जगह पर पहुंच कर हंगामा शुरू कर दिया.

हवाई पट्टी सर्वे का ग्रामीणों ने किया जमकर विरोध

ग्रमीणों का कहना है कि, यह बाप-दादा की जमीन है. इसे छोड़कर कही नहीं जाएंगे. थोड़ी बहुत जमीन है, जिसे सरकार लूटना चाहती है. हम ऐसा नहीं होने देंगे. यह तभी संभव है, जब हमारे उपर हैवी बेलन मशीन चढ़ाकर जाएगी. सरकर के जबरजस्ती करने पर भी जमीन नहीं देना चाहते. वहीं यह भी कहना है कि, 'हमें चाहे मौत की नींद सोना पड़े, सरकार चाहे तो गोली मार दे'. साथ मे ग्रामीणों का यह भी कहना है कि इसके बदले में दूसरी भूमि भी स्वीकार नहीं है. कुछ लोग तो पट्टाधारी हैं, कुछ के पास पट्टा भी नहीं है, फिर भी कई सालों से कब्जे की भूमि नहीं देना चाहते.

जानकारी के मुताबिक रायपुर से आई हवाई सर्वे टीम को भी हवाई पट्टी के लिए यह जमीन विशेष पसंद नहीं आई. अब देखना होगा जिला प्रशासन और ग्रमीणों के बीच कैसे तालमेल बन पाता है.

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