कोरियाः भरतपुर विकासखंड के ग्राम पंचायत चूल में काफी सघन जंगल है. जिसके चलते वहां बिजली नहीं पहुंच पाती है. सरकार ने सौर सुजला योजना के तहत इस गांव में स्ट्रीट लाइट, सोलर पैनल लगाने में लाखों रुपये खर्च कर दिए. लेकिन चंद महीने बाद ही गांव की गलियों के विद्युत पोल पर लगी स्ट्रीट लाइट और तिराहा, चौराहों की सोलर लाइट खराब हो गई. भ्रष्टाचार के चलते योजना फलीभूत नहीं हो सकी
शाम होते ही छा जाता है अंधेरा
जिले में सरकार की योजना फेल साबित होते नजर आ रही है. सरकार ने सौर सुजला योजना के तहत ग्राम पंचायत चूल में स्ट्रीट लाइट लगवाई थी. लेकिन वो लाइट गांव को रौशन नहीं कर पाई. शाम होते ही गांव की गलियों में अंधेरा छा जाता है. योजना की शुरुआत सरकार ने 2012-13 में की थी. इसके तहत ग्राम पंचायत को राज्य वित्त योजना में धन स्वीकृत हुआ. गांव की गलियों के साथ ही मुख्य मार्ग के तिराहे, चौराहे पर व्यापक पैमाने पर स्ट्रीट लाइटें लगवाई गई. दर्जनों गांव में लाइट रखरखाव और मरम्मत के अभाव में शोपीस बनकर रह गई हैं.
सरकार ने लाइट लगाने पर दिया था जोर
वित्तीय वर्ष 2016-17 में बिजली की खपत कम करने के लिए सरकार ने सोलर लाइट लगाने पर खासा जोर दिया था. गांव को सौर ऊर्जा से रोशन करने की कवायद हुई. प्रत्येक सोलर पैनल चुनिंदा ग्राम पंचायतों में लगाया गया. लेकिन उनके देखभाल की मुकम्मल व्यवस्था नहीं की गई. गुणवत्ता को दरकिनार कर घटिया किस्म के सोलर पैनल लगाए गए. जो चंद महीने में ही खराब हो गए.
-इस गांव बच्चे अब भी कर रहे शिक्षक का इंतजार
2018-2019 में लगवाई गई थी लाइट
ग्राम पंचायत ने ये सोलर लाइट वर्ष 2018-2019 में लगवाई थी. ग्राम पंचायत चूल में 3 सोलर लाइट लगवाई गई थी. जिसमें तीनों लाइट आज की स्थिति में खराब पड़ी हुई है. ग्राम पंचायत चूल के ग्रामीणों ने बताया कि यह सोलर लाइट कुछ महीने जलने के बाद बिगड़ गई. ग्रामीणों ने कहा कि ये क्षेत्र गुरु घासीदास राष्ट्रीय उद्यान के अंतर्गत आता है. जिससे लोगों में जानवरों का डर भी बना रहता है. ग्राम पंचायत चूल में लगभग 1 लाख रुपए खर्च करके सोलर लाइट लगवाई गई थी. आज 2 साल बीत जाने के बाद भी यह सोलर लाइट नहीं बन पाई है. ऐसे में जिला प्रशासन पर सवालिया निशान खड़े हो रहे हैं.