कोरिया : सरकार भले ही विकास के लाख दावे करती हो, लेकिन इसकी जमीनी हकीकत कुछ और ही है. राज्य सरकार ग्रामीण इलाकों के विकास के लिए कई योजनाएं संचालित कर रही है. सरकार योजनाएं तो बना रही है, लेकिन इन योजनाओं का लाभ ग्रामीण इलाके के लोगों को नहीं मिल पा रहा है. बता दें कि भरतपुर विकासखंड के ककलेडी गांव में 6 महीने से हैंडपंप खराब है, जिसे अभी तक ठीक नहीं करवाया गया है. यही कारण है की आदिवासी ग्रामीण 6 महीने से पानी के तरस रहे हैं.
बता दें कि कोरोना काल के बीच भरतपुर विकासखंड की कुमारपुर ग्राम पंचायत के आश्रित गांव ककलेडी में 6 महीने से हैंडपंप खराब है. जहां PHE और ग्राम पंचायत की लापरवाही के कारण आदिवासी पानी के लिए तरस रहे हैं.
आदिवासी कई बार कर चुके हैं शिकायत
जानकारी के मुताबिक आश्रित ककलेडी गांव में 7 हैंडपंपों में से सिर्फ 2 ही हैंडपंप चल रहे हैं. ग्रामीणों ने हैंडपंप चालू नहीं होने की शिकायत सरपंच से लेकर PHE विभाग तक दर्ज कराई है, लेकिन 6 महीने में एक भी हैंडपंप को ठीक नहीं किया गया है. वहीं सरपंच का कहना है कि हैंडपंप खराब होने की सूचना PHE विभाग को हर महीने भेजी जा रही है, लेकिन विभाग टालमटोल कह रहे हैं.
हैंडपंप के पास सुबह से लग जाती है ग्रामीणों की भीड़
पूरे कस्बे में 7 सरकारी हैंडपंपों में से सिर्फ 2 ही चालू हैं, जिन पर सुबह से ही ग्रामीणों की भीड़ लग जाती है. गांव में हैंडपंप खराब होने की वजह से कस्बे के 75 से ज्यादा आदिवासी परिवारों को जलसंकट का सामना करना पड़ रहा है. ग्रामीणों ने बताया कि उन्होंने हैंडपंप को ठीक करने को लेकर सरपंच लेकर PHE विभाग सूचना दे चुके हैं, लेकिन अभी तक परेशानियों का कोई समाधान नहीं हुआ है.
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आदिवासी ग्रामीणों का कहना है कि हैंडपंप खराब होने की सूचना देने के बाद भी 6 महीने से विभाग ने सुध नहीं ली है. कस्बे में हैंडपंप खराब होने से गहराते पानी के संकट के निदान के लिए सरपंच को भी अवगत कराया है. इसके साथ ही PHE विभाग के हैंडपंप मकैनिकों को मौखिक रूप से बताया जा चुका है, लेकिन अभी तक कोई भी कर्मचारी और विभाग का अमला हैंडपंप सुधारने के लिए नहीं आया है. गांव के ज्यादातर हैंडपंप खराब पड़े हुए हैं, जिस वजह से यहां के ग्रामीणों को पानी के लिए भटकना पड़ रहा है.
नहीं हो रही है कोई कार्रवाई
भरतपुर क्षेत्र के कई गांवों में भी हैंडपंप खराब हो चुके हैं,जिसकी वजह से लोगों को पानी भरने के लिए दूर दराज के इलाकों में जाकर और खेतों से पानी भरना पड़ रहा है. ग्रामीणों का कहना है कि कई बार शिकायत करने के बाद भी विभाग ने समस्या के समाधान के लिए अब तक कुछ नहीं किया है. बता दें कि आदिवासी ग्रामीणों के पानी का एक मात्र सहारा हैंडपंप ही है, लेकिन इसे सुधरवाने के लिए कोई ध्यान नहीं दे रहा है.