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खतरे के साये में नौनिहाल : आंगनबाड़ी की छत टूटकर गिर रही, कभी भी हो सकता है बड़ा हादसा

भरतपुर की ग्राम पंचायत देवगढ़ के स्कूल पारा के जर्जर आंगनबाड़ी भवन में बच्चों को पढ़ाया जा रहा है. उसी कमरे में आंगनबाड़ी के सामान भी रखे हैं. इस कारण बच्चों को काफी परेशानी होती है.

Anganwadi's roof is falling apart
आंगनबाड़ी की छत टूटकर गिर रही
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Published : Aug 25, 2021, 10:05 PM IST

कोरिया : कोरिया जिले के दूरस्थ आदिवासी बाहुल्य विकासखंड भरतपुर की ग्राम पंचायत देवगढ़ के स्कूल पारा का आंगनबाड़ी केंद्र नौनिहालों के लिए जानलेवा बना हुआ है. यहां कब कौन सा बच्चा दुर्घटना का शिकार हो जाए, कहा नहीं जा सकता. आंगनबाड़ी केंद्र के भवन की जर्जर स्थिति बच्चों के बैठने लायक नहीं है. आंगनबाड़ी की छत से थोड़ी सी बारिश में भी पानी टपकने लगता है. जबकि जब-तब छत का प्लास्टर टूट-टूटकर गिरता रहता है. फिलहाल यहां बच्चों को एक छोटे कमरे में बिठाया जा रहा है. इसी कमरे में आंगनबाड़ी का सारा सामान भी रखा है. इस कारण बच्चों को काफी परेशानी झेलनी पड़ती है.

कभी भी हो सकता है बड़ा हादसा

एक ही कमरे में रहते हैं बच्चे और सामान

एक ही कमरे में बच्चों को बिठाने और इसी कमरे में आंगनबाड़ी का सारा सामान भी रखे होने के कारण बच्चे भाग भाग कर उसी जर्जर बड़े कमरे में चले जाते हैं. यह हालात हर पल खतरे को न्योता देने जैसा है, लेकिन इसकी सुध बच्चों को कहां से होगी. जबकि जिम्मेदार आंखें मूंदे अप्रिय घटना की राह तक रहे हैं. इस केंद्र में 27 बच्चों के नाम दर्ज हैं. गत वर्ष भी छत के प्लास्टर के गिरने से कमरे में रखा प्रिंटर और अन्य सामान क्षतिग्रस्त हो चुका है. जबकि सहायिका भी बाल-बाल बची थी.

आदिवासियों पर विशेष ध्यान देने का सरकार का दावा खोखला

आंगनबाड़ी कर्मचारी व ग्राम सरपंच के अनुसार कई बार इसके बारे में संबंधित विभाग को सूचना दी गई है, लेकिन साल बीत गए पर इस तरफ किसी जिम्मेदार ने झांकने तक की जहमत नहीं उठाई. जबकि सरकारों का दावा है कि वो आदिवासियों पर विशेष रूप से ध्यान दे रही है. इस अनदेखी से आंगनबाड़ी का यह भवन इतना जर्जर हो चुका है कि कभी भी यहां कोई बड़ी अनहोनी हो सकती है.

ग्रामीणों ने की जल्द मरम्मत या नए भवन दिये जाने की मांग

ग्रामवासियों सहित सरपंच का कहना है कि शीघ्र ही इसकी मरम्मत कराई जाए, या नए आंगनबाड़ी भवन स्वीकृत किये जाएं. जिससे इलाके के नौनिहालों का भविष्य और जान दोनों सुरक्षित रहे. देखने की बात यह होगी कि क्या अब भी जिम्मेदार विभाग और अधिकारी ऊंघते हुए बच्चों के साथ किसी अनहोनी के इंतजार में रहते हैं या ग्रामीण आदिवासी बच्चों की जान और भविष्य की चिंता करते हुए आंगनबाड़ी भवन की मरम्मती या नए भवन की स्वीकृति देते हैं.

कोरिया : कोरिया जिले के दूरस्थ आदिवासी बाहुल्य विकासखंड भरतपुर की ग्राम पंचायत देवगढ़ के स्कूल पारा का आंगनबाड़ी केंद्र नौनिहालों के लिए जानलेवा बना हुआ है. यहां कब कौन सा बच्चा दुर्घटना का शिकार हो जाए, कहा नहीं जा सकता. आंगनबाड़ी केंद्र के भवन की जर्जर स्थिति बच्चों के बैठने लायक नहीं है. आंगनबाड़ी की छत से थोड़ी सी बारिश में भी पानी टपकने लगता है. जबकि जब-तब छत का प्लास्टर टूट-टूटकर गिरता रहता है. फिलहाल यहां बच्चों को एक छोटे कमरे में बिठाया जा रहा है. इसी कमरे में आंगनबाड़ी का सारा सामान भी रखा है. इस कारण बच्चों को काफी परेशानी झेलनी पड़ती है.

कभी भी हो सकता है बड़ा हादसा

एक ही कमरे में रहते हैं बच्चे और सामान

एक ही कमरे में बच्चों को बिठाने और इसी कमरे में आंगनबाड़ी का सारा सामान भी रखे होने के कारण बच्चे भाग भाग कर उसी जर्जर बड़े कमरे में चले जाते हैं. यह हालात हर पल खतरे को न्योता देने जैसा है, लेकिन इसकी सुध बच्चों को कहां से होगी. जबकि जिम्मेदार आंखें मूंदे अप्रिय घटना की राह तक रहे हैं. इस केंद्र में 27 बच्चों के नाम दर्ज हैं. गत वर्ष भी छत के प्लास्टर के गिरने से कमरे में रखा प्रिंटर और अन्य सामान क्षतिग्रस्त हो चुका है. जबकि सहायिका भी बाल-बाल बची थी.

आदिवासियों पर विशेष ध्यान देने का सरकार का दावा खोखला

आंगनबाड़ी कर्मचारी व ग्राम सरपंच के अनुसार कई बार इसके बारे में संबंधित विभाग को सूचना दी गई है, लेकिन साल बीत गए पर इस तरफ किसी जिम्मेदार ने झांकने तक की जहमत नहीं उठाई. जबकि सरकारों का दावा है कि वो आदिवासियों पर विशेष रूप से ध्यान दे रही है. इस अनदेखी से आंगनबाड़ी का यह भवन इतना जर्जर हो चुका है कि कभी भी यहां कोई बड़ी अनहोनी हो सकती है.

ग्रामीणों ने की जल्द मरम्मत या नए भवन दिये जाने की मांग

ग्रामवासियों सहित सरपंच का कहना है कि शीघ्र ही इसकी मरम्मत कराई जाए, या नए आंगनबाड़ी भवन स्वीकृत किये जाएं. जिससे इलाके के नौनिहालों का भविष्य और जान दोनों सुरक्षित रहे. देखने की बात यह होगी कि क्या अब भी जिम्मेदार विभाग और अधिकारी ऊंघते हुए बच्चों के साथ किसी अनहोनी के इंतजार में रहते हैं या ग्रामीण आदिवासी बच्चों की जान और भविष्य की चिंता करते हुए आंगनबाड़ी भवन की मरम्मती या नए भवन की स्वीकृति देते हैं.

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