मनेन्द्रगढ़ चिरमिरी भरतपुर : 28 जनवरी से आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं और सहायिकाओं के अनिश्चितकालीन हड़ताल पर चले जाने से जिले के सभी आंगनबाड़ी केंद्र बंद हैं. आंगनबाड़ी कार्यकर्ता सहायिका संयुक्त मंच के बैनर तले चल रहे आंदोलन ने अब गति पकड़ना शुरू कर दी है. संघ की जिलाध्यक्ष रीना यादव ने बताया कि '' यदि शीघ्र ही उनकी समस्याओं का निराकरण नहीं किया जाता. तो महिलाएं दिल्ली कूच कर सकती हैं. एक ओर शासन शासकीय कर्मचारियों का 7 वां वेतनमान और प्रत्येक छः माह में बढ़ती मंहगाई के अनुरूप मंहगाई भत्ता के साथ ही साथ अन्य सुविधाएं दे रहा है. लेकिन आंगनबाड़ी कार्यकर्ता और सहायिकाओं को इतना भी वेतन नहीं मिल रहा है जिससे वह अपने परिवार का गुजर-बसर कर सकें.
न्यूनतम वेतन तय करने की मांग : संघ की जिला कोषाध्यक्ष ज्योति पाठक ने कहा कि हमारी मांग है कि ''आंगनबाड़ी कार्यकर्ता सहायिकाओं को शासकीय कर्मचारी घोषित करते हुए.उन्हें शासकीय कर्मचारी घोषित किया जाये. साथ ही जीवन जीने लायक न्यूनतम वेतन 21000 रुपए स्वीकृत किया जाए जिससे वे भी अपने परिवार का भरण पोषण कर सकें.इसके अलावा कार्यकर्ता के रिक्त शत प्रतिशत पदों पर सहायिकाओं से भरे जाने का प्रावधान कराया जाए.''
मोबाइल और नेट रिचार्ज की मांग : जिला सचिव ममता सिंह ने कहा कि ''केन्द्र का हर कार्य अब मोबाइल से करने हेतु निर्देशित किया जा रहा है लेकिन विभाग से अभी तक ना तो मोबाइल दिया गया है और ना ही नेट चार्ज, ऐसे में मोबाइल से कार्य किया जाना संभव नहीं हो पा रहा है. छत्तीसगढ़ में अधिकांश जिला वनांचल में है. जहां हमेशा नेट की समस्या रहती है.इसलिये जब तक मोबाइल नेट चार्ज और नेट की व्यवस्था नहीं हो जाती तब तक इस पर दबाव ना दिया जाए.''
सुपोषण अभियान में रुकावट: जिला मुख्यालय मनेन्द्रगढ़ की बात करें तो मनेन्द्रगढ़ विकास खंड में 335 आंगनबाड़ी केंद्र हैं. इसमें कुछ शहरी और कुछ ग्रामीण क्षेत्रों में हैं. कार्यकर्ताओं सहायिकाओं के अनिश्चितकालीन हड़ताल पर चले जाने से एनीमिक महिलाओं को जहां गर्म भोजन नहीं मिल पा रहा. वहीं कुपोषित बच्चों को भी अंडा और पोषण आहार नहीं मिल पा रहा है. इसके साथ ही साथ आंगनबाड़ी केंद्रों में प्रतिदिन आने वाले 3 से 6 वर्ष के बच्चों को भी गर्म भोजन नहीं मिल पा रहा है. आंगनबाड़ी केंद्र में प्रतिदिन दी जाने वाली शिक्षा की बंद है.
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ऐसी स्थिति में महिलाओं और बच्चों को होने वाली परेशानी का अनुमान लगाया जा सकता है. बहरहाल जिस तरह से आंगनबाड़ी कार्यकर्ता और सहायिकाएं आंदोलन कर रहे हैं.उससे ऐसा लगता है कि यदि शीघ्र ही इनकी मांगों पर ध्यान नहीं दिया गया तो आंगनबाड़ी केंद्रों में आने वाले बच्चों और गर्भवती महिलाओं की परेशानी और भी ज्यादा बढ़ जाएगी.