कोरिया: छत्तीसगढ़ के हर क्षेत्र में पर्यटन की अपार संभावना है. प्राचीन स्मारक, धार्मिक स्थल, विश्व प्रसिद्ध मंदिरों की भरमार है, लेकिन कई जगहों पर संसाधन की कमी है. कोरिया के भरतपुर से लगभग 14 किलोमीटर दूर घघरा गांव में त्रेतायुग की मूर्तियां मौजूद हैं. पर्यटन विभाग की लापरवाही के कारण मूर्तियां खराब हो रही हैं.
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त्रेतायुग से मौजूद है घघरा मंदिर
तहसील मुख्यालय भरतपुर से लगभग 14 किलोमीटर दूर पर कोटाडोल मार्ग पर घघरा गांव है. घघरा गांव में त्रेतायुग की निशानियां आज भी मौजूद है. कहते हैं वनवास के दौरान भगवान राम ने कोरिया जिले से ही छत्तीसगढ़ में प्रवेश किया था. भरतपुर तहसील के जनकपुर में स्थित सीतामढ़ी-हरचौका को उनका पहला पड़ाव माना जाता है.
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20 फीट ऊपर 3 कक्ष वाली गुफा में शिवलिंग स्थापित
भगवान राम हरचौका से रापा नदी के तट पर स्थित सीतामढ़ी-घाघरा पहुंचे थे. यहां करीब 20 फीट ऊपर 3 कक्षों वाली गुफा है, जिसके बीच में शिवलिंग स्थापित है. वनवास के दौरान श्रीराम ने पत्नी सीता और भाई लक्ष्मण के साथ यहां कुछ दिन बिताये थे. इसीलिए घघरा में स्थित गुफा को माता सीता के नाम से जाना जाता है.
8 स्थलों का पर्यटन की दृष्टि से विकास के लिए चयन
प्रथम चरण में प्रदेश के 8 स्थलों का पर्यटन की दृष्टि से विकास के लिए चयन किया गया है. चिन्हित 8 स्थलों में कोरिया जिले के सीतामढ़ी-हरचैका को शामिल किया गया है. सरकार के प्रस्तावित नक्शे में इन्हीं दो स्थानों के बीच एक लंबा रिक्त स्थान निर्मित हो रहा है. जिसके बीच घघरा को शामिल नहीं किए जाने पर सवाल उठ रहे हैं.
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श्रद्धालुओं की आस्था का प्रतीक है घघरा मंदिर
सीतामढ़ी मंदिर तीनों ओर पहाड़ियों से घिरा हुआ है. पास से रांपा नदी बहती है. मान्यता है कि त्रेतायुग में भगवान राम वनवास काल में पत्नी सीता और भाई लक्ष्मण के साथ रुके थे. घने जंगल और ककरीली-पथरीली सड़क से गुजरे थे. रांपा नदी के किनारे स्थित प्रसिद्ध सीतामढ़ी स्थल तक पहुंचे थे. लोगों की मान्यता है कि यहां पर मांगी गई सभी मुरादें पूरी होती है. सुगम रास्ता न होने के बावजूद भी सालभर श्रद्धालुओं का आना-जाना लगा रहता है.
पर्यटन स्थल में शामिल करने की मांग
इस जगह में काफी दूर दराज के पर्यटक घूमने के लिए पहुंचते हैं. यहां सुविधाओं की बहुत कमी है. हरचौका के सीतामढ़ी को सरकार ने अब पर्यटन के रूप में विकसित करने का फैसला लिया है, लेकिन घघरा गांव में स्थित मंदिर घूमने आने वाले लोग पर्यटन में शामिल करने की मांग कर रहे हैं.
भगवान राम ने तीर की नोंक से किया था मन्दिर का निर्माण
गुफा के भीतर तीन कमरे बने हुए हैं. हर कमरे में शिवलिंग स्थापित है. कमरों के मुख्य द्वार के दोनों ओर की दीवार पर प्रतिमा की संरचना किया गया है. मान्यता अनुसार सीतामढ़ी का निर्माण भगवान राम अपनी तीर की नोक से किया था. अब ग्रामीण और श्रद्धालु घघरा को पर्यटन स्थल में शामिल करने की मांग कर रहे हैं.