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जानें आंवला नवमी मनाये जाने के पीछे की मान्यता - आंवला पेड़ की पूजा

औषधीय गुणों से भरपूर होने के साथ-साथ आंवला पूज्यनीय भी है. कार्तिक मास की नवमी को आंवला नवमी के रूप में मनाया जाता है. इस साल कोरोना महामारी को देखते हुए घर पर ही आंवला पेड़ की पूजा की जा रही है.

amla navami
आंवला नवमी
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Published : Nov 23, 2020, 5:22 PM IST

कोरिया: आयुर्वेद में जहां आंवला को औषधि के रूप में इस्तेमाल किया जाता है, वहीं हिंदू धर्म में आंवला को पूजनीय भी माना जाता है. यही कारण है कि आंवला को पूजने के लिए एक खास तिथि, कार्तिक मास की नवमी को आंवला नवमीं के रूप में मनाये जाने की परंपरा चली आ रही है. सोमवार को आंवला नवमीं मनाई जा रही है, इस दिन आंवले के पेड़ की पूजा-अर्चना की जाती है.

जनकपुर में पिछले कुछ सालों से तेजी से विकास के काम हुए है. सड़क के लिए कई रास्तों के किनारे से पेड़ों को काट दिया गया, इसमें आंवला के पेड़ भी शामिल थे. अब जगलों में ही आंवले के पेड़ नजर आते हैं. कॉलोनी में महिलाओं को अब पूजा करने के लिए आंवला पेड़ ढूंढने के लिए मशक्कत करनी पड़ती है.

पढ़ें-कोरिया: खड़गवां रेंज में 45 हाथियों का पहुंचा दल, दहशत में ग्रामीण

इस साल कोरोना महामारी को देखते हुए घर पर ही आंवला पूजा करन के निर्देश दिए गए हैं. मान्यता है कि आंवला पेड़ में भगवान विष्णु और शंकर का वास होता है. दोनों देवों की एक साथ पूजा-अर्चना करने से पापों का नाश होता है और पुण्य बढ़ता है. इसी मान्यता के चलते परिवार समेत महिलाएं आंवला पेड़ के नीचे बैठकर पूजा-अर्चना करती है. पेड़ के नीचे बैठकर भोजन भी ग्रहण किया जाता है.

आंवला नवमी को लेकर ये है मान्यता

आंवला नवमी पर आंवला पेड़ को पूजे जाने की शुरुआत माता लक्ष्मी ने की थी. शास्त्रों में वर्णित है कि एक बार माता लक्ष्मी धरती लोक का भ्रमण करने निकली. उन्हें भगवान विष्णु और शिव की पूजा एक साथ करने की इच्छा जागृत हुई. मां लक्ष्मी ने तुलसी और बेल का गुण एक साथ पाए जाने वाले आंवले के फल को ही भगवान विष्णु और शंकर मानकर पूजा की. पूजा से प्रसन्न होकर भगवान विष्णु और शिव प्रकट हुए, तब मां लक्ष्मी ने भगवान शिव और विष्णु को आंवला वृक्ष के नीचे बैठकर भोजन कराया. तभी से आंवला पेड़ को पूजने की परंपरा चली आ रही है.

पढ़ें-कोरिया: महिला पुलिस स्वयं सेविकाओं को 11 महीने से नहीं मिला वेतन, पहुंची मनेन्द्रगढ़ थाना

आंवला के आयुर्वेदिक गुण

आयुर्वेद में आंवला के कई गुण बताये हैं. इसमें विटामिन सी भरपूर मात्रा में है. इसका सेवन करने से डायबिटीज में लाभ होता है, आंखों की रोशनी बढ़ती है. हीमोग्लोबिन नियंत्रित रहता है, एसिडिटी में फायदेमंद होता है. चरक संहिता और पुरातन चिकित्सा पद्धति में भी आंवले का सेवन करने को महत्व दिया गया है. आंवला आंखों, बालों और त्वचा के लिए फायदेमंद है.

कोरिया: आयुर्वेद में जहां आंवला को औषधि के रूप में इस्तेमाल किया जाता है, वहीं हिंदू धर्म में आंवला को पूजनीय भी माना जाता है. यही कारण है कि आंवला को पूजने के लिए एक खास तिथि, कार्तिक मास की नवमी को आंवला नवमीं के रूप में मनाये जाने की परंपरा चली आ रही है. सोमवार को आंवला नवमीं मनाई जा रही है, इस दिन आंवले के पेड़ की पूजा-अर्चना की जाती है.

जनकपुर में पिछले कुछ सालों से तेजी से विकास के काम हुए है. सड़क के लिए कई रास्तों के किनारे से पेड़ों को काट दिया गया, इसमें आंवला के पेड़ भी शामिल थे. अब जगलों में ही आंवले के पेड़ नजर आते हैं. कॉलोनी में महिलाओं को अब पूजा करने के लिए आंवला पेड़ ढूंढने के लिए मशक्कत करनी पड़ती है.

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इस साल कोरोना महामारी को देखते हुए घर पर ही आंवला पूजा करन के निर्देश दिए गए हैं. मान्यता है कि आंवला पेड़ में भगवान विष्णु और शंकर का वास होता है. दोनों देवों की एक साथ पूजा-अर्चना करने से पापों का नाश होता है और पुण्य बढ़ता है. इसी मान्यता के चलते परिवार समेत महिलाएं आंवला पेड़ के नीचे बैठकर पूजा-अर्चना करती है. पेड़ के नीचे बैठकर भोजन भी ग्रहण किया जाता है.

आंवला नवमी को लेकर ये है मान्यता

आंवला नवमी पर आंवला पेड़ को पूजे जाने की शुरुआत माता लक्ष्मी ने की थी. शास्त्रों में वर्णित है कि एक बार माता लक्ष्मी धरती लोक का भ्रमण करने निकली. उन्हें भगवान विष्णु और शिव की पूजा एक साथ करने की इच्छा जागृत हुई. मां लक्ष्मी ने तुलसी और बेल का गुण एक साथ पाए जाने वाले आंवले के फल को ही भगवान विष्णु और शंकर मानकर पूजा की. पूजा से प्रसन्न होकर भगवान विष्णु और शिव प्रकट हुए, तब मां लक्ष्मी ने भगवान शिव और विष्णु को आंवला वृक्ष के नीचे बैठकर भोजन कराया. तभी से आंवला पेड़ को पूजने की परंपरा चली आ रही है.

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आंवला के आयुर्वेदिक गुण

आयुर्वेद में आंवला के कई गुण बताये हैं. इसमें विटामिन सी भरपूर मात्रा में है. इसका सेवन करने से डायबिटीज में लाभ होता है, आंखों की रोशनी बढ़ती है. हीमोग्लोबिन नियंत्रित रहता है, एसिडिटी में फायदेमंद होता है. चरक संहिता और पुरातन चिकित्सा पद्धति में भी आंवले का सेवन करने को महत्व दिया गया है. आंवला आंखों, बालों और त्वचा के लिए फायदेमंद है.

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