एमसीबी: एमसीबी जिले के दूरस्थ वनांचल क्षेत्र विकासखंड भरतपुर के जनकपुर में राष्ट्रपति के दत्तक पुत्र कहलाने वाली विशेष पिछड़ी जनजाति (बैगा परिवार) के घर गिराने का नोटिस राजस्व विभाग ने पिछले दिनों नोटिस चस्पा किया था. पिछले दिनों राजस्व टीम घर गिराने पहुंची, जिसे देख प्रेमलाल बैगा बेहोश हो गए. परिवार ने आरोप लगाया कि इसी सदमें से सोमवार को उनकी मौत हो गई.
1935 के पहले के दस्तावेजों में है जमीन के उल्लेख: प्रेमलाल बैगा की पुश्तैनी जमीन का उल्लेख 1935-36 के पूर्व और बाद के रिकॉर्ड में है. विकासखंड जनकपुर के तुर्रापारा निवासी प्रेमलाल बैगा के पुरखे करीब 60 साल से शासकीय जमीन पर कब्जा कर कृषि कार्य करते आ रहे है. 20 साल पहले जनकपुर में भूमाफिया सक्रिय हो गए. राजस्व विभाग से मिलकर शासकीय जमीनों को खोज कर कब्जा कर लिया.
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रिकाॅर्ड में हेराफेरी कर बनवाया गया पट्टा: आरोप है कि राजस्व रिकाॅर्ड गायब कराने के साथ ही रिकाॅर्ड में हेराफेरी कर पट्टा तक बनवा लिया गया. गरीब बैगा परिवार पट्टा नहीं बनवा सका, जबकि सरकार के निर्देशानुसार प्रशासन 2005 से पूर्व के काबिज भूमि का शिविर के माध्यम से आवेदन लेकर लोगों को पट्टा वितरण किया जा रहा है.
भूमाफिया से विवाद के बाद दूसरे के नाम हो गई जमीन: ग्राम पंचायत जनकपुर की सरपंच जयमनिया बाई ने बताया कि "प्रेमलाल बैगा का परिवार अपने पिता के जीवित काल के समय से ही मकान और खेत बनाकर निवास कर रहा है. एक स्थानीय भूमाफिया से विवाद होने के बाद बैगा परिवार के पुरखो के कब्जे की जमीन अचानक दूसरे के नाम हो गई. पिछले दिनों प्रशासनिक अमला जब जेसीबी लेकर बैगा परिवार का मकान गिराने पहुंचा तो परिवार का मुखिया सदमे से अचेत हो गया. इलाज के दौरान सोमवार की सुबह उनका निधन हो गया."
कई बार पट्टा बनवाने के लिए किया आवेदन: परिवार की राधा बैगा ने बताया कि "हम लोग यहां चार पांच पीढ़ियों से बसे हुए हैं. अब हमारा घर गिराने एसडीएम और तहसीलदार आए हुए हैं जेसीबी मशीन लेकर, लेकिन घर नहीं गिरा पाए. वापस चले गए. हम लोगों के पास पूरा कागज है लेकिन आज तक हमारा पट्टा नहीं बन पाया है. जेसीबी मशीन देखकर पति और ससुर को सदमा लगा. ससुर का इलाज के दौरान हॉस्पिटल में स्वर्गवास हो गया. जब तक हम लोगों के साथ न्याय नहीं होगा, तब तक हम लोग इनका अंतिम संस्कार नहीं करेंगे."
परिवार ने जो दस्तावेज दिखाए उसमें नहीं था नक्शा: एसडीएम भरतपुर मूलचंद चोपड़ा का कहना है कि "परिवार ने जो दस्तावेज दिखाए थे, उसमें नक्शा नहीं था. परिवार के साथ पूरी सहानुभूति है. पुराना आवंटन है, प्रक्रिया लंबी है. दस्तावेज और नक्शा दिखवाया जा रहा है. जो भी हमसे बन पड़ेगा वह सब हम करेंगे."