कोरिया: व्यवहार न्यायालय जनकपुर के न्यायाधीश भगवान दास पनिका ने कार्यक्रम को संबोधित किया. संबोधन में उन्होंने कहा कि विधिक जागरूकता का मुख्य उद्देश्य नागरिकों को कानून से संबंधित बातों से परिचित कराकर उनका सशक्तिकरण करना है. विधिक सेवा कार्यक्रम के अंतर्गत न केवल कमजोर व्यक्तियों को विधिक सेवा उपलब्ध कराया जाना शामिल है, बल्कि सुदूर एवं ग्रामीण अंचलों में कैम्प लगाकर आम जनता को विभिन्न विधिक प्रावधानों से अवगत कराया गया. विधिक रूप से साक्षर बनाना भी विधिक सेवा कार्यक्रम का एक अभिन्न अंग है. जिसे विधिक साक्षरता कार्यक्रम के रूप में जाना जाता है. Legal Awareness Day organized in Bharatpur
न्यायाधीश भगवान दास पनिका ने कहा कि "नागरिकों को अपने अधिकारों को प्राप्त करने के लिए विधिक रूप से जागरूक होना जरूरी है. विधिक अज्ञानता के कारण लोग अपने अधिकारों से वंचित हो जाते हैं. कोई गरीब व्यक्ति धनाभाव के चलते अपने मुकदमे की पैरवी नहीं कर पा रहा है या उसे वकील नियुक्त करने में परेशानी आ रही है तो वह जिला विधिक सेवा प्राधिकरण में आवेदन कर सकता है. कुछ औपचारिकताओं को पूर्ण करने के बाद उसे प्राधिकरण की ओर से वकील मुहैया कराया जाता है".
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जिला और तहसील में न्यायालीन सेवा प्राधिकरण की स्थापना: उन्होंने कहा कि हर जिले और हर तहसील पर एक सेवा प्राधिकरण की स्थापना की गई है, जहां किसी भी समस्या संबंधित जानकारी प्राप्त कर सकते हैं. गृह उद्योग की संचालिका निलिमा चतुर्वेदी ने घरेलू हिंसा अधिनियम, दहेज निवारण अधिनियम, मोटरयान अधिनियम, कन्या भ्रूण हत्या के संबंध में छोटी छोटी बातों को उपस्थित महिलाओं से साझा किया.
महिलाओं को महिला कानून से अवगत कराया: सीनियर अधिवक्ता सीताराम गुप्ता ने नाबालिग बालिकाओं के विवाह के बारे में विस्तृत रूप से जानकारी दी. इस कार्यक्रम में अनुविभागीय अधिकारी राजस्व मूलचंद चोपड़ा, थाना प्रभारी जनकपुर एम एल शुक्ला, सरपंच जयमानिया बाई, संतोषी रात्र बसंती बर्मन, दीपक सहित अन्य ग्रामीण क्षेत्रों से आई महिलाएं शामिल हुईं.