कोरिया : अक्सर आपने सड़कों और गली मोहल्लों पर आवारा पशुओं को देखा होगा.लेकिन ये आवारा पशु ग्रामीण क्षेत्रों में किसानों के लिए बड़ी मुसीबत से कम नहीं है.क्योंकि यदि किसानों ने अपने खेत के चारों तरफ घेरा नहीं लगाया तो पशु आसानी से उनकी फसल को बर्बाद कर देते हैं.ऐसा ही कुछ हो रहा था बैकुंठपुर क्षेत्र के ग्रामीण एरिया में रहने वाले किसानों के साथ कई बार ग्रामीणों ने आवारा पशुओं को लेकर नगरपालिका से इंतजाम करने की गुहार लगाई.लेकिन ना तो नगर पालिका और ना ही जिला प्रशासन ने इस ओर ध्यान दिया.इसलिए ग्रामीणों ने अपनी परेशानी का हल खुद निकाला. वार्ड नंबर 19-20 जूनापारा और केनापारा क्षेत्र के महिलाओं और पुरुषों ने मिलकर 200 आवारा पशुओं को नगरपालिका कॉम्प्लेक्स में लाकर छोड़ दिया.
खेत चरने की समस्या से थे परेशान : ग्रामीणों की माने तो वो इन मवेशियों के कारण परेशान हैं.मवेशी आधी रात को खेत चर जाते हैं.जिनसे उनकी फसल बर्बाद होती है.कई इंतजाम करने के बाद भी समस्या का समाधान नहीं हुआ.वहीं नगरपालिका ने भी इस ओर ध्यान नहीं दिया.लिहाजा अब इन्हीं गौवंशों को लाकर नगरपालिका के सामने रखने के अलावा हमारे पास कोई चारा नहीं है. आपको बता दें कि महिलाओं और पुरुषों ने रात 11 बजे से लेकर 2 बजे तक मवेशियों को घेरा बनाकर नगर पालिका कॉम्प्लेक्स के अंदर रखा. जनपद सीईओ के समझाइए देने के बाद भी महिलाएं नहीं मानी.
'' जब तक हमारी खेती किसानी के समस्या का हल इन आवारा गाय बैलों को लेकर नहीं होगा. हम लोग यहीं पर गाय बैलों को घेर करके रखे रहेंगे''-कौशिल्या, ग्रामीण महिला
आवारा पशुओं को नगरपालिका में लाने वाले ग्रामीणों की माने तो उनकी फसल पर खतरा मंडरा रहा है.जिस पर कोई भी जिम्मेदार ध्यान नहीं दे रहा.
हमें न्याय चाहिए.आवारा पशुओं के कारण फसल बर्बाद हो रही है.जिला प्रशासन किसानों की नहीं सुन रहा है.ऐसे में फसल बर्बाद होने पर किसानों को आर्थिक परेशानी झेलनी पड़ेगी. सोनाली, ग्रामीण महिला
सीएम भूपेश के निर्देश को भी दिखा रहे ठेंगा : आपको बता दें कि जिला प्रशासन मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के आदेश पर भी गंभीर नहीं हो रहा है.सीएम भूपेश ने पशुओं को रोड पर छोड़ने वाले मालिकों के खिलाफ कार्रवाई के निर्देश दिए हैं.लेकिन इसका असर बैकुंठपुर में नहीं हो रहा है. जब गाय दूध देना बंद कर देती है तो उसे मालिक खुले में छोड़ देते हैं.जो भोजन की तलाश में खेतों में जाकर नुकसान पहुंचाते हैं.लेकिन इस समस्या से निजात पाने के लिए ग्रामीणों ने विरोध का अनोखा तरीका निकाला है.