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कोरिया जिला अस्पताल ब्लड बैंक की हालत खस्ता, एक यूनिट ही बचा है खून - रक्तदान के क्या हैं फायदे

Koriya District Hospital कोरिया का जिला अस्पताल इन दिनों ब्लड की कमी से जूझ रहा है.300 यूनिट वाले ब्लड बैंक में सिर्फ एक यूनिट ही ब्लड बचा है. Blood Bank Condition Is Bad

Koriya District Hospital
कोरिया जिला अस्पताल ब्लड बैंक की हालत खस्ता
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By ETV Bharat Chhattisgarh Team

Published : Dec 27, 2023, 1:17 PM IST

Updated : Dec 27, 2023, 3:26 PM IST

कोरिया जिला अस्पताल ब्लड बैंक की हालत खस्ता

बैकुंठपुर : कोरिया जिला अस्पताल में ब्लड बैंक का बुरा हाल है.300 यूनिट क्षमता वाले ब्लड बैंक में सिर्फ एक यूनिट ही ब्लड बचा है. ऐसा माना जा रहा है कि समाज सेवियों और युवाओं ने बीते कई महीनों से ब्लड बैंक में खून नहीं दिया है.जिसके कारण ब्लड बैंक में अब खून की कमी है. अस्पताल स्टाफ के मुताबिक कोविड के दौरान स्थिति सामान्य थी.लेकिन अब ब्लड बैंक की हालत खस्ता है.इसलिए यदि किसी मरीज को ब्लड की जरुरत हुई तो उसके परिजन खून के लिए परेशान होते हैं.

रोजाना 10 यूनिट ब्लड की जरुरत : जिला अस्पताल में दूसरे ब्लड ग्रुप के डोनर को लेकर पहुंचने वालों को भी मरीज के ग्रुप का ब्लड नहीं मिल रहा है.आपको बता दें कि जिला अस्पताल बैकुंठपुर में रोज करीब 10 यूनिट ब्लड की जरूरत होती है.ब्लड बैंक में ब्लड नहीं होने से सड़क हादसों में गंभीर रूप से घायल, सर्जिकल डिलीवरी, ऑपरेशन और रक्त की कमी वाले रोगियों के लिए खतरा पैदा हो गया है. इमरजेंसी के दौरान खतरा और भी बढ़ गया है.

कितनी है खून की जरूरत ? : डॉक्टरों के अनुसार जिला अस्पताल के ब्लड बैंक में खून की खपत के हिसाब माहभर में करीब 450 यूनिट खून की जरूरत है. लेकिन लोग रक्तदान करने नहीं पहुंच रहे हैं. शिविर के दौरान कुछ दिन ही ब्लड बैंक में 30 से 40 यूनिट का स्टॉक रह पाता है.

मरीज दूसरे जिलों में हो रहे हैं रेफर : खून की कमी के कारण सड़क हादसों में गंभीर रुप से घायल , सिकलिंग के मरीज , डिलीवरी के लिए पहुंचनी वाली प्रसूताओं को खून नहीं मिल पा रहा है. इस कारण मरीजों के ऑपरेशन में मुश्किल आ रही है. मरीजों को मजबूरन अंबिकापुर या बिलासपुर रेफर किया जा रहा है. लोगों को जागरूक उद्देश्य से जिला प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग भी सक्रिय नजर नहीं आ रहा है.


300 लोगों को ब्लड देने की जरुरत : ब्लड बैंक के प्रभारी ने बताया कि यदि जिले के 300 लोग हर महीने में रक्तदान करें तो ब्लड बैंक से लोगों को बिना ब्लड लिए नि:शुल्क ब्लड उपलब्ध कराया जा सकता है. एक स्वस्थ शरीर में 5 से 6 लीटर खून होता है. रक्तदान में सिर्फ 250 एमएल खून निकाला जाता है.निकालने के कुछ समय बाद ही शरीर उतना रक्त बना लेता है.तीन माह बाद फिर से कोई भी रक्त दे सकता है.

रक्तदान शिविर लगाने की हो रही है बात : मामले में सीएमएचओ डॉ आर एस सेंगर का कहना है कि ब्लड बैंक में खून की कमी को लेकर जल्द ही स्वास्थ्य विभाग की ओर से बड़े स्तर पर रक्तदान शिविर का आयोजन किया जाएगा.पहले जिला मुख्यालय के समाज सेवियों के साथ कई वर्गों का सहयोग मिलता था. चिरमिरी, मनेंद्रगढ़ से लोग रक्तदान करते थे. रक्तदान शिविर में कमी आई है जिस कारण ब्लड बैंक में ब्लड कम है.

रक्तदान के क्या हैं फायदे ? : डाॅक्टरों का मानना है कि रक्तदान करने कई फायदे हैं. इससे हार्ट अटैक की संभावनाएं कम होती है, क्योंकि रक्तदान से खून का थक्का नहीं जमता, इससे खून कुछ मात्रा में पतला हो जाता है और हार्ट अटैक का खतरा टल जाता है.शरीर में एनर्जी आती है, क्योंकि ब्लड निकालने के बाद नए ब्लड सेल्स बनते हैं. इससे शरीर में तंदरुस्ती आती है. लीवर से जुड़ी समस्याओं में राहत मिलती है. शरीर में ज्यादा आयरन की मात्रा लीवर पर दबाव डालती है और रक्तदान से आयरन की मात्रा बैलेंस हो जाती है.

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कोरिया जिला अस्पताल ब्लड बैंक की हालत खस्ता

बैकुंठपुर : कोरिया जिला अस्पताल में ब्लड बैंक का बुरा हाल है.300 यूनिट क्षमता वाले ब्लड बैंक में सिर्फ एक यूनिट ही ब्लड बचा है. ऐसा माना जा रहा है कि समाज सेवियों और युवाओं ने बीते कई महीनों से ब्लड बैंक में खून नहीं दिया है.जिसके कारण ब्लड बैंक में अब खून की कमी है. अस्पताल स्टाफ के मुताबिक कोविड के दौरान स्थिति सामान्य थी.लेकिन अब ब्लड बैंक की हालत खस्ता है.इसलिए यदि किसी मरीज को ब्लड की जरुरत हुई तो उसके परिजन खून के लिए परेशान होते हैं.

रोजाना 10 यूनिट ब्लड की जरुरत : जिला अस्पताल में दूसरे ब्लड ग्रुप के डोनर को लेकर पहुंचने वालों को भी मरीज के ग्रुप का ब्लड नहीं मिल रहा है.आपको बता दें कि जिला अस्पताल बैकुंठपुर में रोज करीब 10 यूनिट ब्लड की जरूरत होती है.ब्लड बैंक में ब्लड नहीं होने से सड़क हादसों में गंभीर रूप से घायल, सर्जिकल डिलीवरी, ऑपरेशन और रक्त की कमी वाले रोगियों के लिए खतरा पैदा हो गया है. इमरजेंसी के दौरान खतरा और भी बढ़ गया है.

कितनी है खून की जरूरत ? : डॉक्टरों के अनुसार जिला अस्पताल के ब्लड बैंक में खून की खपत के हिसाब माहभर में करीब 450 यूनिट खून की जरूरत है. लेकिन लोग रक्तदान करने नहीं पहुंच रहे हैं. शिविर के दौरान कुछ दिन ही ब्लड बैंक में 30 से 40 यूनिट का स्टॉक रह पाता है.

मरीज दूसरे जिलों में हो रहे हैं रेफर : खून की कमी के कारण सड़क हादसों में गंभीर रुप से घायल , सिकलिंग के मरीज , डिलीवरी के लिए पहुंचनी वाली प्रसूताओं को खून नहीं मिल पा रहा है. इस कारण मरीजों के ऑपरेशन में मुश्किल आ रही है. मरीजों को मजबूरन अंबिकापुर या बिलासपुर रेफर किया जा रहा है. लोगों को जागरूक उद्देश्य से जिला प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग भी सक्रिय नजर नहीं आ रहा है.


300 लोगों को ब्लड देने की जरुरत : ब्लड बैंक के प्रभारी ने बताया कि यदि जिले के 300 लोग हर महीने में रक्तदान करें तो ब्लड बैंक से लोगों को बिना ब्लड लिए नि:शुल्क ब्लड उपलब्ध कराया जा सकता है. एक स्वस्थ शरीर में 5 से 6 लीटर खून होता है. रक्तदान में सिर्फ 250 एमएल खून निकाला जाता है.निकालने के कुछ समय बाद ही शरीर उतना रक्त बना लेता है.तीन माह बाद फिर से कोई भी रक्त दे सकता है.

रक्तदान शिविर लगाने की हो रही है बात : मामले में सीएमएचओ डॉ आर एस सेंगर का कहना है कि ब्लड बैंक में खून की कमी को लेकर जल्द ही स्वास्थ्य विभाग की ओर से बड़े स्तर पर रक्तदान शिविर का आयोजन किया जाएगा.पहले जिला मुख्यालय के समाज सेवियों के साथ कई वर्गों का सहयोग मिलता था. चिरमिरी, मनेंद्रगढ़ से लोग रक्तदान करते थे. रक्तदान शिविर में कमी आई है जिस कारण ब्लड बैंक में ब्लड कम है.

रक्तदान के क्या हैं फायदे ? : डाॅक्टरों का मानना है कि रक्तदान करने कई फायदे हैं. इससे हार्ट अटैक की संभावनाएं कम होती है, क्योंकि रक्तदान से खून का थक्का नहीं जमता, इससे खून कुछ मात्रा में पतला हो जाता है और हार्ट अटैक का खतरा टल जाता है.शरीर में एनर्जी आती है, क्योंकि ब्लड निकालने के बाद नए ब्लड सेल्स बनते हैं. इससे शरीर में तंदरुस्ती आती है. लीवर से जुड़ी समस्याओं में राहत मिलती है. शरीर में ज्यादा आयरन की मात्रा लीवर पर दबाव डालती है और रक्तदान से आयरन की मात्रा बैलेंस हो जाती है.

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Last Updated : Dec 27, 2023, 3:26 PM IST
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