कोरिया : छत्तीसगढ़ में चौथे बाघ अभयारण्य (tiger reserve) का रास्ता साफ हो गया है. नेशनल टाइगर कंजर्वेशन अथॉरिटी (National Tiger Conservation Authority) की तकनीकी समिति ने गुरु घासीदास टाइगर रिजर्व (Guru Ghasidas Tiger Reserve) को मंजूरी दे दी है. जल्द ही इसकी अधिसूचना जारी की जाएगी. बाघों के संरक्षण के लिए कोरिया जिले में स्थित गुरु घासीदास राष्ट्रीय उद्यान (National Park) को टाइगर रिजर्व बनाने के प्रयास पिछले सात साल से चल रहे हैं. सरकार ने 2018 में इसका प्रस्ताव पारित किया, लेकिन स्पष्ट खाका तब भी तैयार नहीं था.
2 हजार 829 वर्ग किलोमीटर तय किया गया इसका क्षेत्रफल
इस साल 21 जून को हुई राज्य वन्य जीव बोर्ड की बैठक में गुरु घासीदास टाइगर रिजर्व का पूरा क्षेत्रफल और नक्शा पेश किया गया था. इसका क्षेत्रफल 2 हजार 829 वर्ग किलोमीटर तय किया गया है. इसके कोर एरिया में 2 हजार 49 वर्ग किलोमीटर और बफर एरिया में 780 वर्ग किलोमीटर का जंगल होगा. बोर्ड की मंजूरी के बाद वन विभाग ने यह प्रस्ताव नेशनल टाइगर कंजर्वेशन अथॉरिटी को भेज दिया. अब नेशनल टाइगर कंजर्वेशन अथॉरिटी की तकनीकी समिति ने परीक्षण के बाद इस प्रस्ताव को अपनी मंजूरी दे दी है. वन विभाग के वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि एक अधिसूचना के बाद टाइगर रिजर्व अस्तित्व में आ जाएगा.
छत्तीसगढ़ में पहले से हैं तीन टाइगर रिजर्व
छत्तीसगढ़ में अभी तक तीन टाइगर रिजर्व हैं. इनमें उदंती सीतानदी टाइगर रिजर्व, गरियाबंद, इंद्रावती टाइगर रिजर्व, दंतेवाड़ा और अचानकमार टाइगर रिजर्व, मुंगेली शामिल हैं. पिछली सरकार ने कवर्धा के भोरमदेव अभयारण्य को टाइगर रिजर्व बनाने का प्रस्ताव बनाया था, जिसका स्थानीय स्तर पर भारी विरोध हुआ था. सरकार ने साल 2018 में उस प्रस्ताव को ही खारिज कर दिया.
टाइगर रिजर्व के ये होंगे फायदे
बाघों के संरक्षण के प्रयास तेज होंगे. इसे नेशनल टाइगर कंजर्वेशन अथॉरिटी से फंड भी मिल सकेगा. बाघ सहित अन्य वन्यप्राणियों के संरक्षण और संवर्धन के लिए योजनाएं बनाई जाएंगी. नेशनल टाइगर कंजर्वेशन अथॉरिटी टाइगर रिजर्व का 10 वर्षीय मास्टर प्लान स्वीकृत करेगा. छत्तीसगढ़ को देश के टाइगर रिजर्व के नक्शे में जगह मिलेगी, इससे प्रदेश में पर्यटन का एक और द्वार खुलेगा.
नए टाइगर रिजर्व में है यह सब
गुरु घासीदास नेशनल पार्क कोरिया जिले के बैकुंठपुर-सोनहत मार्ग पर पांच किलोमीटर की दूरी पर है. साल 2001 से पहले यह मध्य प्रदेश के सीधी स्थित संजय नेशनल पार्क का हिस्सा था. पार्क के अंदर हसदेव नदी बहती है और गोपद नदी का उद्गम है. पहाड़ों की शृंखला के अलावा साल, साजा, धावडा, कुसुम और तेंदू के पेड़ों और वनौषधियों से घिरे पार्क में बाघ, तेंदुआ, गौर, चिंकारा का प्राकृतिक निवास है. इसके भीतर 35 राजस्व गांवों में चेरवा, पंडो, गोंड़, खैरवार व अगरिया जनजातियां रहती हैं.
इलाके में ये पर्यटन स्थल हैं
टाइगर रिजर्व क्षेत्र में आमापानी, खेकड़ा माडा हिलटॉप, गांगीरानी माता की गुफा, नीलकंठ जलप्रपात बसेरा, आनंदपुर, बीजाधुर, सिद्धबाबा की गुफा, च्यूल जलप्रपात, कोहरापाट, छतोड़ा की गुफा प्रमुख दर्शनीय स्थल हैं. तमोर पिंगला अभयारण्य क्षेत्र को गुरुघासीदास राष्ट्रीय उद्यान क्षेत्र में समाहित कर टाइगर रिजर्व बनाने कोशिशें लगातार की जा रही थी. जब सरगुजा वन वृत्त के मुख्य वन सरंक्षक के पद पर केके बिसेन पदस्थ थे, उस दौरान बारनवापारा से लगभग 40 चीतलों को तमोर पिंगला अभयारण्य क्षेत्र में रखा गया था. इसके लिए बकायदा लोहे का बाड़ा भी बनाया गया था. अनुकूलन के बाद चीतलों को जंगल मे छोड़ने की तैयारी थी. शिकार करने वाले वन्यजीवों की खाद्य श्रृंखला को बनाए रखने यह काम किया गया था.
हाथियों के प्रबंधन में भी मिलेगी मदद
छत्तीसगढ़ वन्यजीव बोर्ड की पिछली बैठक में मुख्यमंत्री और वनमंत्री के समक्ष टाइगर रिजर्व का प्रस्ताव रखा गया था. उनके दिशा-निर्देशन में ही पहल हुई थी. टाइगर रिजर्व से सिर्फ बाघों का संरक्षण नहीं, हाथियों के प्रबंधन में भी मदद मिलेगी. बड़ा वनक्षेत्र सरंक्षित और सुरक्षित रहेगा. पर्यटन के क्षेत्र में कार्य होंगे इको टूरिज्म को बढ़ावा मिलेगा.