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कोरिया में सफेद हाथी साबित हो रहे हैं गौठान, भूख से मर रहे मवेशियों का जिम्मेदार कौन ? - gathering of cattle in the road and street in Bharatpur

कोरिया जिले के भरतपुर में 77 गौठानों का निर्माण हुआ है. बावजूद इसके मवेशी खुले सड़क में हादसों को न्यौता दे रहे(gathering of cattle in the road and street in Bharatpur) हैं.

कोरिया में सफेद हाथी साबित हो रहे हैं गौठान
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Published : Jun 1, 2022, 1:58 PM IST

कोरिया : छत्तीसगढ़ सरकार की महत्वाकांक्षी योजना गौठान कोरिया जिले में दम तोड़ रही ( Gothan is proving to be white elephant in Koriya) है. शासन ने किसानों के फसलों के सही रख रखाव के लिए इस योजना को पूरे छत्तीसगढ़ में चालू किया था, जिसमें गांवों में लाखों रुपये खर्च कर गोठानों का निर्माण करवाया गया. लेकिन ना तो गोठान का सही उपयोग हो रहा है और ना ही रोका-छेका अभियान का. यह सिर्फ कागजी पन्नों में नजर आ रहा है. जिसके कारण मवेशी इधर-उधर भटकर किसानों के फसलों को नुकसान पहुंचा रहे हैं.तो कहीं सड़कों पर बैठकर हादसों को बुलावा दे रहे हैं. इससे आए दिन सड़क पर मवेशियों की वजह से दुर्घटना हो रही है.

कहां का है मामला : कोरिया जिले के भरतपुर में गौठान योजना ध्वस्त (Gothan scheme demolished in Bharatpur) साबित हो रही है. मवेशियों के लिए बनाए गए गोठानों की हालत बदतर है. भरतपुर ब्लॉक में 77 गौठान का निर्माण हुआ है. लेकिन लगभग सभी गौठानों में देखरेख की कमी है. जिसके कारण मवेशी गौठान में कम और सड़क पर ज्यादा घूम रहे हैं. गौठान में वर्तमान स्थिति ऐसी है कि एक भी मवेशी नजर नहीं आते. सभी मवेशी गांव की गलियों, सड़कों, मोहल्लों और घरों के सामने बैठे रहते हैं.

गली और मोहल्ले में घूम रहे मवेशी : मुख्य सड़क चौराहे पर मवेशियों के बैठे रहने से वाहन चालकों को भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ता (gathering of cattle in the road and street in Bharatpur) है. कभी-कभी लोग हादसे का शिकार भी हो जाते हैं. सड़क पर बैठे मवेशी हार्न बजाने पर भी नहीं हटते. साप्ताहिक बाजार के दिन लोगों को और काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है. खुले में घूम रहे मवेशी लोगों के सामानों को काफी नुकसान पहुंचाते हैं, जिसकी भरपाई छोटे सब्जी व्यापारी को खुद करना पड़ता है.

मवेशियों से कब मिलेगा छुटकारा : गांव गांव में बने गौठानों की स्थिति को देखने के लिए ना तो जनप्रतिनिधि आते हैं और ना ही प्रशासनिक टीम. सरकार नरवा, गरवा, घुरवा, बाडी, गोधन न्याय योजना और रोका छेका में करोड़ों अरबों रुपए खर्च कर रही हैं. लेकिन हकीकत में करोड़ों रुपए खर्च करने के बाद भी आम जनता को योजना का लाभ नहीं मिल रहा है.भरतपुर ब्लाक में ही मवेशी खुलेआम गली मोहल्ला चौक में घूमते बैठे नजर आ रहे (Cattle giving invitation to accidents) हैं.

ये भी पढ़ें - फेल होता नजर आ रहा रोका छेका अभियान, सड़कों पर घूम रहे मवेशी

क्या कहते हैं अधिकारी : मुख्य कार्यपालन अधिकारी भरतपुर के सामने जब ये बात रखी गई तो उन्होंने कहा कि ''गौठान सभी गायों के लिए खुला है. गाय खुले गौठान में जाकर पानी और चारा वगैरह खा पी सकती है. गौठान में हम किसी गाय को बंधक नहीं बना सकते.'' अब देखने वाली बात यह होगी की दरबदर और भूख प्यास से इस गर्मी में जो मवेशी दम तोड़ रहे हैं. उन मवेशियों की सुध लेने वाला जिम्मेदार कौन है ?

कोरिया : छत्तीसगढ़ सरकार की महत्वाकांक्षी योजना गौठान कोरिया जिले में दम तोड़ रही ( Gothan is proving to be white elephant in Koriya) है. शासन ने किसानों के फसलों के सही रख रखाव के लिए इस योजना को पूरे छत्तीसगढ़ में चालू किया था, जिसमें गांवों में लाखों रुपये खर्च कर गोठानों का निर्माण करवाया गया. लेकिन ना तो गोठान का सही उपयोग हो रहा है और ना ही रोका-छेका अभियान का. यह सिर्फ कागजी पन्नों में नजर आ रहा है. जिसके कारण मवेशी इधर-उधर भटकर किसानों के फसलों को नुकसान पहुंचा रहे हैं.तो कहीं सड़कों पर बैठकर हादसों को बुलावा दे रहे हैं. इससे आए दिन सड़क पर मवेशियों की वजह से दुर्घटना हो रही है.

कहां का है मामला : कोरिया जिले के भरतपुर में गौठान योजना ध्वस्त (Gothan scheme demolished in Bharatpur) साबित हो रही है. मवेशियों के लिए बनाए गए गोठानों की हालत बदतर है. भरतपुर ब्लॉक में 77 गौठान का निर्माण हुआ है. लेकिन लगभग सभी गौठानों में देखरेख की कमी है. जिसके कारण मवेशी गौठान में कम और सड़क पर ज्यादा घूम रहे हैं. गौठान में वर्तमान स्थिति ऐसी है कि एक भी मवेशी नजर नहीं आते. सभी मवेशी गांव की गलियों, सड़कों, मोहल्लों और घरों के सामने बैठे रहते हैं.

गली और मोहल्ले में घूम रहे मवेशी : मुख्य सड़क चौराहे पर मवेशियों के बैठे रहने से वाहन चालकों को भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ता (gathering of cattle in the road and street in Bharatpur) है. कभी-कभी लोग हादसे का शिकार भी हो जाते हैं. सड़क पर बैठे मवेशी हार्न बजाने पर भी नहीं हटते. साप्ताहिक बाजार के दिन लोगों को और काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है. खुले में घूम रहे मवेशी लोगों के सामानों को काफी नुकसान पहुंचाते हैं, जिसकी भरपाई छोटे सब्जी व्यापारी को खुद करना पड़ता है.

मवेशियों से कब मिलेगा छुटकारा : गांव गांव में बने गौठानों की स्थिति को देखने के लिए ना तो जनप्रतिनिधि आते हैं और ना ही प्रशासनिक टीम. सरकार नरवा, गरवा, घुरवा, बाडी, गोधन न्याय योजना और रोका छेका में करोड़ों अरबों रुपए खर्च कर रही हैं. लेकिन हकीकत में करोड़ों रुपए खर्च करने के बाद भी आम जनता को योजना का लाभ नहीं मिल रहा है.भरतपुर ब्लाक में ही मवेशी खुलेआम गली मोहल्ला चौक में घूमते बैठे नजर आ रहे (Cattle giving invitation to accidents) हैं.

ये भी पढ़ें - फेल होता नजर आ रहा रोका छेका अभियान, सड़कों पर घूम रहे मवेशी

क्या कहते हैं अधिकारी : मुख्य कार्यपालन अधिकारी भरतपुर के सामने जब ये बात रखी गई तो उन्होंने कहा कि ''गौठान सभी गायों के लिए खुला है. गाय खुले गौठान में जाकर पानी और चारा वगैरह खा पी सकती है. गौठान में हम किसी गाय को बंधक नहीं बना सकते.'' अब देखने वाली बात यह होगी की दरबदर और भूख प्यास से इस गर्मी में जो मवेशी दम तोड़ रहे हैं. उन मवेशियों की सुध लेने वाला जिम्मेदार कौन है ?

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