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कोरिया: प्रमाणपत्र बनाने के नाम पर दिव्यांग दंपति से फर्जीवाड़ा

कोरिया: जिले के खड़गवां थाना क्षेत्र के पढिता में रहने वाले दिव्यांग दंपति के नाम पर फर्जी तरीके से लोन लेने का मामला प्रकाश में आया है.

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Published : Apr 5, 2019, 11:26 PM IST

पीड़ित महिला

कोरिया: अपने नाम से लोन लेने की जानकारी मिलने के बाद दिव्यांग दम्पत्ति ने कोरिया कलेक्टर को अपनी फरियाद सुनाई जिसके बाद कलेक्टर ने समाज कल्याण विभाग को मामले के जांच के निर्देश दिए हैं.

लोन दिलाने के नाम पर फर्जीवाड़ा


प्रमाणपत्र बनाने के नाम पर कराए हस्ताक्षर
पीड़ित दिव्यांग दंपति ने ईटीवी भारत के संवाददाता को बताया कि 'उसके गांव में रहने वाली आंगनबाड़ी कार्यकर्ता सीता सिंह और शिक्षक लव कुमार महिला के विकलांगता प्रमाण पत्र को नवीनीकरण कराने के नाम पर ले गए थे. कुछ दिनों के बाद महिला को यह कहकर बैकुंठपुर लाया गया कि कागज में हस्ताक्षर करना है.


'मानसिक रूप से कमजोर है पति'
पीड़िता ने बताया कि 'दिव्यांग होने के साथ उनके पति मानसिक रूप से भी कमजोर हैं और वह भी कम पढ़ी लिखी है, जिसका फायदा उठाकर आंगनवाड़ी कार्यकर्ता और शिक्षक ने उनसे लोन के कागजों पर हस्ताक्षर करा लिए. कुछ दिनों के बाद जब जनपद पंचायत के माध्यम से उन्हें जानकारी मिली कि उनके नाम से लोन निकला गया है जिसकी प्रोजेक्ट राशि 10 लाख रुपये है और उसमें से साढ़े आठ लाख रुपये स्वीकृत हो चुके हैं.


'साढ़े आठ लाख का लिया गया लोन'
इस बात की जानकारी लगते ही दिव्यांग दंपति के पैरों तले से जमीन खिसक गई. इसके बाद जब उन्होंने समाज कल्याण विभाग बैंकुठपुर आकर पता किया तो जानकारी मिली की उनके नाम से साढ़े आठ लाख रुपये का लोन निकाला गया है.


कलेक्टर ने दिए जांच के निर्देश
जब विभाग के अधिकारियों ने दिव्यांग दंपति को वो दस्तावेज दिखाए, जिनके आधार पर लोन लिया गया है तो, उन्हें यह समझते देर नहीं लगी कि, दिव्यांगता का प्रमाण पत्र के नवीनीकरण के नाम पर उनसे लोन के दस्तेवेजों में हस्ताक्षर कराए गए हैं. दिव्यांग दम्पत्ति ने इस पूरे मामले की जानकारी कोरिया कलेक्टर को दी है, जिसपर कलेक्टर ने जांच के आदेश दे दिए हैं.

कोरिया: अपने नाम से लोन लेने की जानकारी मिलने के बाद दिव्यांग दम्पत्ति ने कोरिया कलेक्टर को अपनी फरियाद सुनाई जिसके बाद कलेक्टर ने समाज कल्याण विभाग को मामले के जांच के निर्देश दिए हैं.

लोन दिलाने के नाम पर फर्जीवाड़ा


प्रमाणपत्र बनाने के नाम पर कराए हस्ताक्षर
पीड़ित दिव्यांग दंपति ने ईटीवी भारत के संवाददाता को बताया कि 'उसके गांव में रहने वाली आंगनबाड़ी कार्यकर्ता सीता सिंह और शिक्षक लव कुमार महिला के विकलांगता प्रमाण पत्र को नवीनीकरण कराने के नाम पर ले गए थे. कुछ दिनों के बाद महिला को यह कहकर बैकुंठपुर लाया गया कि कागज में हस्ताक्षर करना है.


'मानसिक रूप से कमजोर है पति'
पीड़िता ने बताया कि 'दिव्यांग होने के साथ उनके पति मानसिक रूप से भी कमजोर हैं और वह भी कम पढ़ी लिखी है, जिसका फायदा उठाकर आंगनवाड़ी कार्यकर्ता और शिक्षक ने उनसे लोन के कागजों पर हस्ताक्षर करा लिए. कुछ दिनों के बाद जब जनपद पंचायत के माध्यम से उन्हें जानकारी मिली कि उनके नाम से लोन निकला गया है जिसकी प्रोजेक्ट राशि 10 लाख रुपये है और उसमें से साढ़े आठ लाख रुपये स्वीकृत हो चुके हैं.


'साढ़े आठ लाख का लिया गया लोन'
इस बात की जानकारी लगते ही दिव्यांग दंपति के पैरों तले से जमीन खिसक गई. इसके बाद जब उन्होंने समाज कल्याण विभाग बैंकुठपुर आकर पता किया तो जानकारी मिली की उनके नाम से साढ़े आठ लाख रुपये का लोन निकाला गया है.


कलेक्टर ने दिए जांच के निर्देश
जब विभाग के अधिकारियों ने दिव्यांग दंपति को वो दस्तावेज दिखाए, जिनके आधार पर लोन लिया गया है तो, उन्हें यह समझते देर नहीं लगी कि, दिव्यांगता का प्रमाण पत्र के नवीनीकरण के नाम पर उनसे लोन के दस्तेवेजों में हस्ताक्षर कराए गए हैं. दिव्यांग दम्पत्ति ने इस पूरे मामले की जानकारी कोरिया कलेक्टर को दी है, जिसपर कलेक्टर ने जांच के आदेश दे दिए हैं.

Intro:दिव्यांग से फर्जीवाड़ा
एंकर-कोरिया जिले के खड़गवां थाना क्षेत्र में आने वाले ग्राम पढिता में रहने वाले एक दिव्यांग दम्पत्ति के नाम पर फर्जी तरीके से लोन निकालने का मामला प्रकाश में आया है।अपने
नाम से किसी और के द्वारा लोन निकालने की जानकारी मिलने के बाद दिव्यांग दम्पत्ति ने कलेक्टर कोरिया को अपनी फरियाद सुनाई जिसके बाद कलेक्टर ने समाज कल्याण
विभाग को मामले के जांच के लिए निर्देशित किया है।

Body:व्ही ओ-खड़गवां थाना क्षेत्र के पढिता गांव में रहने वाले दिव्यांग दंपति ने हमारे संवाददाता को बताया कि उसके गांव में रहने वाली आंगनबाड़ी कार्यकर्ता सीता सिंह व शिक्षक लव
कुमार दिव्यांग महिला के विकलांगता प्रमाण पत्र को नवीनीकरण कराने के नाम पर ले गए थे ।कुछ दिनों के बाद महिला को यह कहकर बैकुंठपुर लाए कि वहां कागज में हस्ताक्षर करना है ।पीड़िता ने बताया कि दिव्यांग होने के साथ उनके पति मानसिक रूप से भी कमजोर है और वह भी कम पढ़ी लिखी है जिसका फायदा उठाकर आंगनवाड़ी कार्यकर्ता व शिक्षक
ने उनसे लोन के कागजों पर हस्ताक्षर करवा लिए ।कुछ दिनों के बाद जनपद पंचायत में उन्हें जानकारी मिली उनके नाम से लोन निकला है उसमें प्रोजेक्ट राशि 10 लाख रुपये है
जिसमें से साढे आठ लाख रु स्वीकृत हो चुके हैं।यह सुनते ही दिव्यांग दम्पत्ति के पैरों तले जमीन खिसक गई ।और जब उन्होंने समाज कल्याण विभाग बैंकुठपुर आकर पता किया
तो पता चला उनके नाम से साढ़े आठ लाख रु का लोन निकाला गया है। इस फर्जीवाड़े की जानकारी उन्होंने विभागीय अधिकारियों को दी तो उन्हें वे दस्तावेज दिखाए गए जिनके
आधार पर लोन स्वीकृत हुआ था तब दिव्यांग दम्पत्ति को यह समझतेर देर नहीं लगी कि विकलांगता प्रमाण पत्र के नवीनीकरण के नाम पर उनसे लोन के कागजों पर हस्ताक्षर
करवा दिए गए थे। दिव्यांग दम्पत्ति ने इस पूरे मामले की जानकारी कलेक्टर कोरिया को दी है ।
बाईट - सरिता (पीड़िता)
बाइट- श्याम सुंदर दास( उपसंचालक समाज कल्याण विभाग)
Conclusion:अब देखना यह है कि इतना बड़ा फर्जीवाड़ा आखिर कैसे हो गया आखिर बिना किसी
जांच के लोन कैसे स्वीकृत हो गया। इससे साफ है कि ऊपर से नीचे तक के अधिकारी इस फर्जीवाड़े में शामिल हैं।
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