कोरिया: अपने नाम से लोन लेने की जानकारी मिलने के बाद दिव्यांग दम्पत्ति ने कोरिया कलेक्टर को अपनी फरियाद सुनाई जिसके बाद कलेक्टर ने समाज कल्याण विभाग को मामले के जांच के निर्देश दिए हैं.
प्रमाणपत्र बनाने के नाम पर कराए हस्ताक्षर
पीड़ित दिव्यांग दंपति ने ईटीवी भारत के संवाददाता को बताया कि 'उसके गांव में रहने वाली आंगनबाड़ी कार्यकर्ता सीता सिंह और शिक्षक लव कुमार महिला के विकलांगता प्रमाण पत्र को नवीनीकरण कराने के नाम पर ले गए थे. कुछ दिनों के बाद महिला को यह कहकर बैकुंठपुर लाया गया कि कागज में हस्ताक्षर करना है.
'मानसिक रूप से कमजोर है पति'
पीड़िता ने बताया कि 'दिव्यांग होने के साथ उनके पति मानसिक रूप से भी कमजोर हैं और वह भी कम पढ़ी लिखी है, जिसका फायदा उठाकर आंगनवाड़ी कार्यकर्ता और शिक्षक ने उनसे लोन के कागजों पर हस्ताक्षर करा लिए. कुछ दिनों के बाद जब जनपद पंचायत के माध्यम से उन्हें जानकारी मिली कि उनके नाम से लोन निकला गया है जिसकी प्रोजेक्ट राशि 10 लाख रुपये है और उसमें से साढ़े आठ लाख रुपये स्वीकृत हो चुके हैं.
'साढ़े आठ लाख का लिया गया लोन'
इस बात की जानकारी लगते ही दिव्यांग दंपति के पैरों तले से जमीन खिसक गई. इसके बाद जब उन्होंने समाज कल्याण विभाग बैंकुठपुर आकर पता किया तो जानकारी मिली की उनके नाम से साढ़े आठ लाख रुपये का लोन निकाला गया है.
कलेक्टर ने दिए जांच के निर्देश
जब विभाग के अधिकारियों ने दिव्यांग दंपति को वो दस्तावेज दिखाए, जिनके आधार पर लोन लिया गया है तो, उन्हें यह समझते देर नहीं लगी कि, दिव्यांगता का प्रमाण पत्र के नवीनीकरण के नाम पर उनसे लोन के दस्तेवेजों में हस्ताक्षर कराए गए हैं. दिव्यांग दम्पत्ति ने इस पूरे मामले की जानकारी कोरिया कलेक्टर को दी है, जिसपर कलेक्टर ने जांच के आदेश दे दिए हैं.